कभी साइकिल पर बेचता था रिंग, अब अरबों का मालिक – कौन है असली Changur Baba? एक होटल के कमरे में अचानक दरवाजा जोर से खुलता है। भीतर मौजूद एक शख्स घबराकर खड़ा होता है। हाथ में उसके मोबाइल की स्क्रीन पर एक विदेशी नंबर फ्लैश हो रहा था। बाहर से आवाज आती है – “ATS… हाथ ऊपर करो!” कमरे में अफरा-तफरी मच जाती है। जिस शख्स को लोग “Changur Baba” के नाम से जानते थे, उसका असली नाम जमालुद्दीन था।
बाबा का चोगा, माथे पर तिलक, और हाथ में रुद्राक्ष की माला… लेकिन अंदर से एक ऐसा दिमाग, जिसने सिर्फ दस सालों में भीख से लेकर अरबों की काली कमाई तक का सफर तय कर लिया था। लोग हैरान थे – आखिर ये बाबा इतना अमीर कैसे हो गया? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले, अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं, तो कृपया चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि हमारी हर नई वीडियो की अपडेट सबसे पहले आपको मिलती रहे। तो चलिए, बिना किसी देरी के आज की चर्चा शुरू करते हैं!
Changur Baba की कहानी किसी धार्मिक संत की नहीं, एक चालाक अपराधी की कहानी है, जिसने धर्म को अपने धंधे का हथियार बना लिया। बलरामपुर के एक छोटे से गांव में कभी जो आदमी रोज़ की रोटी के लिए भी जूझता था, वो आज देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियों की रडार पर है। उसकी गिरफ्तारी ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश को चौंका दिया है। एक शख्स, जो कभी साइकिल पर रिंग्स और जेम्स बेचता था, वो कैसे विदेशी फंडिंग से 100 करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया?
कहा जाता है कि जमालुद्दीन उर्फ Changur Baba की ज़िंदगी बेहद गरीबी में बीती। गांव में उसकी कोई खास पहचान नहीं थी, लोग उसे कभी मज़ाक में ‘बाबा’ तो कभी ‘भिखारी’ कहकर पुकारते थे। लेकिन तभी उसने खुद को बदलने का फैसला लिया – और वो भी नाम और रूप दोनों में। वो बन गया “Changur Baba” – माथे पर तिलक, हाथ में गंडे-ताबीज, और ज़ुबान पर धर्म की बातें। पर अंदर ही अंदर एक खतरनाक जाल बुन रहा था, जो लोगों को लालच और भय के ज़रिए अपने जाल में फंसा सके।
Changur Baba ने शुरुआत की साइकिल पर घूम-घूमकर अंगूठियां और पत्थर बेचने से। लेकिन ये काम असली नहीं था, ये तो बस एक परदा था। उसके पीछे एक योजना थी – धर्मांतरण की एक सुनियोजित साजिश। बाबा ने धीरे-धीरे अपनी पहचान को पवित्रता का आवरण पहनाया और लोगों के बीच खुद को आध्यात्मिक मार्गदर्शक बताने लगा। कमजोर, बेसहारा, गरीब तबके के लोग उसके पहले शिकार बने। वो उन्हें चमत्कारों, बेहतर ज़िंदगी और पैसे का झांसा देकर अपने जाल में फंसाने लगा।
ATS और ED की जांच में यह बात सामने आई कि Changur Baba ने, बीते दस सालों में कम से कम 100 करोड़ रुपए की दौलत इकट्ठा कर ली। और ये सब एक ऐसे धंधे से जो न कानून मानता था, न नैतिकता – धर्मांतरण का कारोबार। इसके लिए उसे फंडिंग मिलती थी वेस्ट एशिया यानी मध्य पूर्व के देशों से। ये पैसा सीधे उसके और उसके सहयोगियों के 40 से ज्यादा बैंक खातों में आता था, जहां से फिर उसे हवाला, प्रॉपर्टी, महंगी गाड़ियां और नकदी में बदला जाता था।
जांच में खुलासा हुआ कि Changur Baba के पास लखनऊ, बलरामपुर, और आसपास के कई शहरों में महंगी प्रॉपर्टी, शोरूम, बंगले और कारें हैं। एक वक्त था जब वो दूसरों के घरों में झूठ बोलकर खाना मांगता था, और आज उसके पास लग्ज़री जीवनशैली के सारे साधन हैं। सवाल ये नहीं कि उसने कितना पैसा कमाया, सवाल ये है कि ये पैसा आया कहां से? जवाब है – धर्मांतरण का धंधा, जो उसने मासूम और असहाय लोगों की मजबूरी को भुनाकर खड़ा किया।
उत्तर प्रदेश ATS और ईडी की छानबीन ने इस गिरोह की परतें खोलीं तो पता चला कि, Changur Baba की गतिविधियां सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थीं। उसने 40 से ज़्यादा बार विदेश की यात्राएं की थीं। और इन यात्राओं का मकसद था – फंडिंग जुटाना और धार्मिक कट्टरता फैलाने वाले नेटवर्क से संपर्क बनाए रखना। उसने धर्मांतरण की बाकायदा रेट लिस्ट तैयार कर रखी थी – जैसे कोई व्यापार चल रहा हो। औरतों के लिए अलग दाम, बच्चों के लिए अलग, और समूह में धर्मांतरण करने पर ‘डिस्काउंट’ तक।
सबसे दर्दनाक पहलू ये है कि उसने जिन महिलाओं को निशाना बनाया, उनमें से अधिकतर गरीब, बेसहारा और सहायता की तलाश में थीं। Changur Baba ने धर्म का चोला पहनकर उनकी कमज़ोरी को अपनी ताकत बना लिया। उन्हें कभी इलाज, कभी रोज़गार, और कभी शादी का सपना दिखाकर अपने नेटवर्क में शामिल किया। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई महिलाएं डर के कारण आज भी सामने नहीं आना चाहतीं। धर्म, जो किसी की आत्मा का रास्ता होता है, उसे उसने ‘रेवेन्यू मॉडल’ बना दिया।
लेकिन जब तक लोग समझ पाते कि वो बाबा नहीं, एक साजिश है – तब तक बहुत देर हो चुकी थी। Changur Baba के साथ उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन भी इस धंधे का अहम हिस्सा थी। दोनों को लखनऊ के एक फाइव स्टार होटल से गिरफ्तार किया गया – जहां वो अगली फंडिंग और टारगेट्स की योजना बना रहे थे। छापे में उनके पास से लाखों की नकदी, दस्तावेज़, फर्जी आईडी और मोबाइल डिवाइसेज़ बरामद हुए।
ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच में ये भी सामने आया कि वेस्ट एशिया से आए फंड्स को छांगुर बाबा ‘धार्मिक चैरिटी’ के नाम पर दिखाकर अलग-अलग खातों में डालता था। फिर उन्हीं पैसों से ज़मीनें खरीदी जातीं, नई दुकानों में निवेश होता, और सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को बहकाने वाली कंटेंट फैलाई जाती। बाबा की टीम ने बाकायदा ट्रेंड लोगों को ‘रिलीज़’ किया था जो गांव-गांव जाकर धर्मांतरण का प्रचार करते थे।
Changur Baba की कहानी बताती है कि कैसे आज के दौर में ‘धर्म’ को भी मुनाफे का सौदा बना लिया गया है। ये केवल कानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि समाज की उस नींव पर हमला है, जो आपसी भरोसे और धार्मिक सहिष्णुता पर टिकी है। ATS ने बताया कि बाबा और उसकी टीम के टारगेट हमेशा वही लोग होते थे जो सामाजिक रूप से कमजोर होते थे – ताकि कम संसाधनों और उम्मीदों का फायदा उठाया जा सके।
आज जब बाबा गिरफ्तार है, उसके खिलाफ एक-एक करके 100 करोड़ से भी ज़्यादा की संपत्ति का रिकॉर्ड निकल रहा है। जांच एजेंसियों का कहना है कि ये केवल शुरुआत है – अब इस गिरोह से जुड़े बाकी चेहरों की तलाश जारी है। ED ने उसकी विदेशी यात्राओं और पैसे के लेनदेन के आंकड़ों को इंटरपोल और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से साझा किया है।
समाज में जब कोई धर्मगुरु बनकर सामने आता है, तो लोग आंख मूंदकर भरोसा कर लेते हैं। खासकर वो लोग जो जीवन की परेशानियों में डूबे होते हैं, उन्हें लगता है शायद कोई राह दिखाने वाला मिला है। छांगुर बाबा ने इसी भावना को छला। उसने ‘बाबा’ की छवि को नकाब बनाया, और उस नकाब के पीछे अरबों का काला कारोबार चलता रहा।
इस पूरी कहानी में जो सबसे चौंकाने वाली बात है, वो ये कि इतनी बड़ी साजिश इतनी चुपचाप कैसे चलती रही? क्या कोई और भी इस गिरोह के पीछे था? क्या राजनीतिक या सामाजिक स्तर पर कोई संरक्षण मिला? ये वो सवाल हैं जिनका जवाब आज भी अधूरा है, लेकिन जांच एजेंसियों की सक्रियता से उम्मीद है कि जल्द ही असल ‘मास्टरमाइंड’ भी सामने आएगा।
Changur Baba की गिरफ़्तारी भले ही देर से हुई हो, लेकिन इससे समाज को एक बहुत बड़ा सबक मिला है – कि अंधभक्ति के नाम पर आंख मूंद लेना अब सबसे बड़ी भूल है। ये ज़रूरी है कि हम अपने आस-पास की हर गतिविधि पर नज़र रखें, सवाल करें, और जांचें कि कौन हमारे बीच से ही हमें तोड़ने की कोशिश कर रहा है।
आज जब बाबा सलाखों के पीछे है, उसकी वो ‘बाबागिरी’ का चोगा नीचे पड़ा है, और उसके असली चेहरे की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं – तो समाज को समझना होगा कि असली भक्ति, सच्चे धर्म में होती है, न कि उसके नाम पर कमाई करने वालों में। Changur Baba की तरह और भी कई चेहरे हैं जो अभी पर्दे के पीछे हैं – लेकिन अब पर्दा उठ चुका है।
Conclusion:-
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