Avadhut sathe: ट्रेडिंग गुरु की प्रेरणादायक कहानी और निवेशकों के लिए सीख I 2025

ज़रा सोचिए… आप शेयर बाज़ार सीखने के लिए किसी क्लास में दाख़िल हुए हैं। क्लासरूम में सन्नाटा है, सामने एक बड़ा स्क्रीन है जिस पर लगातार लाल और हरे रंग की कैंडल्स चमक रही हैं। सब लोग ध्यान से देख रहे हैं कि अगली चाल क्या होगी। तभी अचानक आपका शिक्षक, जो अभी तक गंभीर अंदाज़ में चार्ट समझा रहा था, म्यूजिक प्ले करता है और खुद स्टेज पर डांस करने लगता है। वह हँसते हुए कहता है—“ट्रेडिंग भी डांस की तरह है, लय पकड़ो, ताल पकड़ो और फिर मुनाफ़ा अपने आप आ जाएगा।”

पूरा क्लासरूम तालियों से गूंज उठता है। आप सोचते हैं—“वाह, सीखना इतना आसान और मजेदार भी हो सकता है?” यही स्टाइल था Avadhut sathe का। उनका अंदाज़ इतना अलग था कि लोग उन्हें डांसिंग ट्रेडिंग गुरु कहकर बुलाने लगे। लेकिन अब वही गुरु, जिनके यूट्यूब चैनल पर नौ लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं और जिनकी क्लासेस में हज़ारों लोग जाते हैं, सेबी के शिकंजे में फँस गए हैं। शिकायत है कि वे Investors को गुमराह कर रहे थे और पेनी स्टॉक्स जैसे खतरनाक शेयरों को प्रमोट कर रहे थे। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि पुणे के मशहूर फिनफ्लुएंसर Avadhut sathe पर यह कार्रवाई अचानक नहीं हुई। 20 अगस्त को सेबी की एक बड़ी टीम ने उनकी कर्जत स्थित ट्रेडिंग अकादमी, ASTA (Avadhut Sathe Trading Academy) पर छापा मारा। यह वही जगह थी जहाँ से साठे ने हजारों लोगों को मार्केट का ज्ञान देने का दावा किया था। लेकिन इस बार यहां कक्षा नहीं चल रही थी, बल्कि जांच हो रही थी। सेबी के अधिकारी लैपटॉप, मोबाइल, हार्ड डिस्क और कई डिजिटल डिवाइस जब्त कर रहे थे।

रिपोर्ट्स कहती हैं कि सेबी को पहले से शिकायतें मिल रही थीं कि उनकी क्लासों में, कुछ ऐसे शेयरों को उदाहरण के तौर पर पेश किया जा रहा था जो बेहद सस्ते दाम पर मिलते हैं—जिन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है। इन स्टॉक्स में अचानक कीमत बढ़ने और गिरने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। अक्सर बड़े खिलाड़ी इन्हें खरीदकर भाव बढ़ा देते हैं और जब छोटे Investor उनमें फँसते हैं, तो वे अपने हिस्से का मुनाफा लेकर निकल जाते हैं और आम आदमी को घाटा होता है। यही आरोप अब साठे पर है।

सेबी की यह कार्रवाई कई महीनों की तैयारी का नतीजा थी। यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था। पिछले कुछ महीनों से सेबी खासतौर पर उन फिनफ्लुएंसर्स और ट्रेडिंग कोच पर नज़र बनाए हुए था, जो बिना लाइसेंस के लोगों को Investment की सलाह दे रहे हैं। सोशल मीडिया और यूट्यूब पर इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है।

कोई कहता है—“10 दिन में ट्रेडिंग प्रो बनो,” तो कोई दावा करता है—“हमारे कोर्स से गारंटीड मुनाफ़ा मिलेगा।” सेबी बार-बार चेतावनी देता रहा कि बिना रजिस्ट्रेशन कोई भी सलाह देना गैरकानूनी है। लेकिन कई लोग इन नियमों को नज़रअंदाज़ करते रहे। Avadhut sathe का मामला इसलिए बड़ा बना क्योंकि वे देश के सबसे पॉपुलर ट्रेडिंग गुरुओं में गिने जाते हैं। इसीलिए जब उनके खिलाफ छापा पड़ा, तो पूरे देश का ध्यान इस ओर खिंच गया।

52 वर्षीय Avadhut sathe का नाम आज हर जगह चर्चा में है। वे सिर्फ़ एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक परफॉर्मर भी हैं। वे शेयर बाज़ार को चार्ट्स और ग्राफ्स तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उसे एक शो बना देते हैं। जब वे लेक्चर देते हैं तो कभी मजाक करते हैं, कभी स्टेज पर नाचते हैं, और कभी छात्रों को बुलाकर उनके साथ एक्टिंग करते हैं।

यही वजह है कि लोग उन्हें “मार्केटिंग गुरु” कहते हैं। उन्होंने अब तक 18,000 से ज़्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी है। ज्यादातर उनके छात्र मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं, जिनके लिए 18,000 रुपये का एक मॉड्यूल फीस भरना आसान नहीं होता। लेकिन वे इस उम्मीद में पैसा लगाते हैं कि शायद यह कोर्स उनकी ज़िंदगी बदल दे।

साठे का सफर भी दिलचस्प रहा है। उनका बचपन मुंबई के एक छोटे से चॉल में बीता। वहीं से उन्होंने बड़े सपने देखे। इंजीनियरिंग पढ़ाई के बाद उन्होंने आईटी सेक्टर में नौकरी शुरू की। Hexaware Technologies में काम किया और फिर विदेश—सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका तक सफर किया।

बाहर की दुनिया देखने के बाद उन्होंने महसूस किया कि उनका असली जुनून शेयर बाज़ार है। 2007 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह ट्रेडिंग और टीचिंग में उतर गए। 2008 में उन्होंने एक छोटा सा सेमिनार किया था, जिसमें सिर्फ़ 12 लोग आए थे। लेकिन आज उनकी अकादमी भारत की सबसे बड़ी रिटेल ट्रेडिंग स्कूलों में गिनी जाती है।

उनकी सोच भी अलग थी। वे कहते थे—“दुनिया में अब युद्ध सिर्फ़ हथियारों से नहीं होते, बल्कि जानकारी से भी होते हैं। शेयर बाज़ार एक ऐसा युद्धक्षेत्र है, जहाँ ट्रेडिंग सबसे बड़ा हथियार है।” यही विचार उनके छात्रों को प्रेरित करता था। वे महसूस करते थे कि वे सिर्फ़ पैसे नहीं कमा रहे, बल्कि एक राष्ट्रीय गौरव की लड़ाई लड़ रहे हैं।

लेकिन लोकप्रियता जितनी तेजी से बढ़ती है, उतनी ही जल्दी संदेह भी जन्म लेता है। सेबी की नज़र लंबे समय से उन पर थी। Investors से लगातार शिकायतें आ रही थीं कि उनकी क्लास में पेनी स्टॉक्स का ज़िक्र होता है और लोग उसी में Investment करने लगते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह सब अनजाने में था या किसी खास मकसद से? क्या उनके और कुछ बड़े ऑपरेटरों के बीच कोई समझौता था, ताकि वे सस्ते शेयरों का प्रचार करें और कीमतें बढ़ें?

सेबी ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया। कर्जत में उनका छापा दो दिन चला। इतनी लंबी छानबीन से पता चलता है कि मामला सतही नहीं था। वहां से डेटा, ट्रेडिंग पैटर्न और ईमेल्स जब्त किए गए हैं। यह साफ है कि आने वाले हफ्तों में और खुलासे होंगे।

Avadhut sathe के खिलाफ कार्रवाई केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे फिनफ्लुएंसर समुदाय के लिए एक चेतावनी है। सोशल मीडिया पर हजारों लोग ट्रेडिंग की सलाह देते हैं। कुछ वाकई पढ़े-लिखे और रजिस्टर्ड हैं, लेकिन ज्यादातर केवल भीड़ के भरोसे पर चल रहे हैं। अब सेबी यह साफ संदेश देना चाहता है कि इस तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी।

लेकिन इस पूरी कहानी का एक और पक्ष भी है—छोटे Investor। आज भारत में हर दूसरा युवा शेयर मार्केट में पैसा लगाना चाहता है। किसी को जल्दी अमीर बनना है, किसी को अतिरिक्त income चाहिए। ऐसे में जब कोई करिश्माई व्यक्ति स्टेज पर आकर कहता है—“मेरे कोर्स से ज़िंदगी बदल जाएगी,” तो लोग प्रभावित हो जाते हैं। वे फीस भरते हैं, समय लगाते हैं और उम्मीदों से भरे रहते हैं। लेकिन अगर अंत में उन्हें घाटा होता है, तो उनकी उम्मीदें ही नहीं, उनके सपने भी टूट जाते हैं।

Avadhut sathe का मामला यही दिखाता है कि शेयर बाज़ार सीखना आसान नहीं है। यह न तो डांस से सीखा जा सकता है और न ही जोश से। इसके लिए अनुशासन, धैर्य और सही मार्गदर्शन चाहिए। यही कारण है कि सेबी बार-बार कहता है—“बिना लाइसेंस वालों की बातों पर भरोसा मत कीजिए।”

आज Avadhut sathe अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी परीक्षा से गुज़र रहे हैं। एक तरफ़ उनका बनाया साम्राज्य है—ASTA, यूट्यूब चैनल, हजारों फॉलोअर्स। दूसरी तरफ़ सेबी की सख़्त कार्रवाई और कानून की धाराएँ। आने वाले समय में यह तय होगा कि वे निर्दोष साबित होंगे या दोषी। लेकिन इतना तय है कि उनकी कहानी अब सिर्फ़ ट्रेडिंग क्लासरूम की नहीं रही, बल्कि देशभर में एक चेतावनी की मिसाल बन गई है। और आम Investors के लिए यह सबसे बड़ा सबक—हर चमक सोना नहीं होती। शेयर बाज़ार में धैर्य और नियम सबसे बड़ा हथियार हैं, न कि तड़क-भड़क और वादे।

Conclusion

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