A&A Cheats and Finance: 15% मुनाफे के झांसे से करोड़ों की ठगी, केरल के इस दंपति ने रची केन्या भागने की साजिश!

आप सोचिए… आपने अपनी पूरी ज़िंदगी की कमाई एक जगह लगाई हो। सपने देखे हों कि अब बुढ़ापे में आराम से जिएंगे। बच्चों की पढ़ाई, घर की मरम्मत, बहू-बेटी की शादी, और थोड़ा बहुत घूमना-फिरना। और फिर एक दिन आपको पता चले कि जिन लोगों पर आपने आंख मूंदकर भरोसा किया था, वो आपका सब कुछ लेकर हमेशा के लिए गायब हो चुके हैं। न पैसा वापस आएगा, न भरोसा। दिल बैठ जाता है, ज़िंदगी जैसे एकदम खाली लगती है। और ऐसा ही हुआ सैकड़ों लोगों के साथ… जिन्होंने केरल के रहने वाले एक पति-पत्नी के मीठे वादों पर भरोसा कर लिया था। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

ये कहानी है टॉमी ए वर्गीज और शाइनी टॉमी की। एक साधारण दंपति, जो पिछले 25 साल से बेंगलुरु के राममूर्ति नगर में ‘A&A Cheats and Finance’ नाम की कंपनी चला रहे थे। बाहर से सब कुछ आम था—दफ्तर था, कर्मचारी थे, और हर महीने मिलने वाले मोटे मुनाफे के वादे। ये कोई झोलाछाप ठग नहीं थे, इनका कारोबार कागज़ों में रजिस्टर्ड था। लोगों से मिलते थे, मुस्कराते थे, चाय-पानी कराते थे और ऐसे बात करते थे कि जैसे आप इनके पुराने रिश्तेदार हों। इनका जादू चल गया… और धीरे-धीरे 750 से ज़्यादा लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई इनके हवाले कर दी।

15% मुनाफा… वो भी हर महीने। कोई छोटी बात नहीं है। लेकिन जब सामने वाला आपको भरोसेमंद लगे, तो शक की गुंजाइश भी नहीं रहती। और यही किया इस दंपति ने। उन्होंने पहले कुछ महीनों तक हर Investor को समय पर मोटा रिटर्न दिया। लोगों को यकीन दिलाया कि ये स्कीम असली है। कुछ ने 5 लाख रुपए लगाए, तो कुछ ने 50 लाख। और कुछ बुजुर्गों ने तो अपना सब कुछ ही बेच डाला, ये सोचकर कि बुढ़ापे का सहारा मिल गया।

समस्या तब शुरू हुई जब धीरे-धीरे मुनाफे की रकम आनी बंद हो गई। शुरू में तो लोगों ने सोचा कि शायद देरी हो रही है। फिर बहाने मिलने लगे—अरे आज ऑफिस बंद था, बैंक की गड़बड़ी है, अकाउंट में ट्रांजैक्शन रुका हुआ है। लेकिन जैसे-जैसे हफ्ते बीतते गए, एक-एक करके लोग समझ गए कि कुछ तो गड़बड़ है। और फिर आया वो झटका, जिसने सबको हिलाकर रख दिया—टॉमी और शाइनी देश छोड़कर केन्या भाग चुके थे।

इस खबर ने बेंगलुरु के उन इलाकों में भूचाल ला दिया, जहां इनके Investor रहते थे। एक बुजुर्ग Investor, जिसने अपनी जिंदगी की 70 लाख रुपये की जमापूंजी लगा दी थी, वो पुलिस स्टेशन पहुंचा और शिकायत दर्ज करवाई। लेकिन जो सबसे दिल तोड़ने वाली बात थी—वो ये कि उस शिकायत दर्ज होने से दो दिन पहले ही यह दंपति देश से फरार हो चुका था। यानी सब कुछ पहले से प्लान किया गया था। उन्होंने अपनी संपत्तियां बेचना शुरू कर दी थीं। बेंगलुरु के कृष्णराजपुरम वाला अपार्टमेंट भी चुपचाप बेच दिया गया था।

जब पुलिस को खबर लगी, तो उन्होंने मामले की तहकीकात शुरू की। A&A Cheats and Finance के रिकॉर्ड खंगाले गए। पुराने Investors से पूछताछ शुरू हुई। हर बयान दर्द से भरा हुआ था—किसी ने बेटी की शादी के पैसे गंवाए थे, किसी ने बेटे की पढ़ाई का फंड, किसी ने रिटायरमेंट की पूरी राशि लगा दी थी। पुलिस को शुरुआती जांच में ही 368 ऐसे Investor मिले, जिनसे कुल मिलाकर लगभग 40 करोड़ की ठगी की गई थी। लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा गहरी थी।

दरअसल, चिटफंड का सिस्टम ही ऐसा है कि इसमें भरोसा ही सबसे बड़ा आधार होता है। यह कोई शेयर मार्केट जैसा पारदर्शी सिस्टम नहीं होता। इसमें एक कंपनी आपको कहती है कि आप हर महीने कुछ पैसे जमा कीजिए, हम आपको हर महीने मोटा रिटर्न देंगे। और फिर कुछ समय बाद, आपको आपकी पूरी राशि ब्याज सहित लौटा दी जाएगी। शुरुआत में सब ठीक चलता है, ताकि विश्वास बना रहे। लेकिन फिर एक दिन अचानक वो भरोसा टूट जाता है—और साथ में टूट जाती है सैकड़ों परिवारों की उम्मीदें।

टॉमी और शाइनी ने भी यही खेल खेला। इन्होंने पहले कुछ लोगों को फायदा देकर भरोसा जीता, फिर लोगों से कहा कि “अपने जान-पहचान वालों को भी जोड़ो, रेफरल पर बोनस मिलेगा।” और इस तरह एक चेन बन गई—बिल्कुल MLM जैसी। धीरे-धीरे लोगों ने अपने जानने वालों को जोड़ा, कुछ ने तो अपनी ज़मीन-जायदाद तक बेचकर Investment कर दिया। लेकिन इनका असली प्लान कुछ और ही था।

भागने से पहले इन्होंने धीरे-धीरे अपनी सभी संपत्तियां बेच दीं। घर, ऑफिस, गाड़ियां—सबकुछ। यहां तक कि अपने Investors से पैसे लेकर ही इन्होंने पासपोर्ट अपडेट करवाए, विदेशी दौरे की तैयारी की और केन्या के लिए उड़ान भर ली। किसी को भनक तक नहीं लगी। सबको यही लगा कि बस कुछ दिनों की बात है, पैसे आ जाएंगे। लेकिन जैसे ही यह खबर फैली कि टॉमी और शाइनी देश छोड़ चुके हैं, लोगों की आंखें खुल गईं… और पुलिस का दरवाज़ा खटखटाने वालों की कतारें लग गईं।

अब तक 350 से ज़्यादा लोग पुलिस के पास जाकर बयान दर्ज करा चुके हैं। लेकिन पुलिस का मानना है कि असल पीड़ितों की संख्या 750 से भी ज्यादा हो सकती है। कुछ तो डर और शर्म के मारे सामने नहीं आ रहे, और कुछ को अभी तक पता ही नहीं कि उनके साथ धोखा हो चुका है।

केन्या भाग जाना कोई आसान बात नहीं है। इसके लिए समय, पैसा और तैयारी चाहिए। यानी ये दंपति महीनों से इसकी तैयारी कर रहे थे। और यही बात सबसे ज़्यादा परेशान करती है—कि जो लोग हर महीने ऑफिस आकर मीठी-मीठी बातें करते थे, मुस्कराते थे, त्योहारों पर मिठाई भेजते थे, वही लोग एक दिन सब कुछ लूटकर फरार हो गए।

अब इस मामले में एक और कड़ी सवाल खड़ी कर रही है—क्या यह दंपति अकेला था? या फिर इनके पीछे एक पूरा नेटवर्क था? क्या इनके संपर्क किसी बैंक अधिकारियों से थे? क्या उन्होंने स्थानीय पुलिस या नेताओं से कोई संरक्षण पाया था? इन सवालों की जांच अभी बाकी है, लेकिन जो स्पष्ट है वो यह कि टॉमी और शाइनी ने एक योजनाबद्ध साजिश के तहत, लोगों का विश्वास जीता और फिर उसी भरोसे को अपनी ढाल बनाकर करोड़ों लूट लिए।

इस मामले ने एक बार फिर चिटफंड जैसे स्कीमों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार और एजेंसियों को इस पूरे तंत्र पर फिर से नज़र डालनी होगी। क्योंकि जब तक ऐसे फ्रॉड करने वालों को जल्द पकड़कर सख्त सज़ा नहीं दी जाएगी, तब तक यह खेल यूं ही चलता रहेगा। Investors को भी अब जागरूक होना पड़ेगा। किसी भी स्कीम में Investment करने से पहले उसकी वैधता, रजिस्ट्रेशन, बैकअप और Risk को समझना जरूरी है।

पुलिस ने अब इस दंपति के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है और इंटरपोल से भी संपर्क किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि भारत सरकार जल्द ही इन दोनों को प्रत्यर्पण संधि के तहत केन्या से वापस लाने की कोशिश करेगी। लेकिन इसमें वक्त लग सकता है, और सबसे बड़ा सवाल यह रहेगा कि क्या इनसे लोगों के पैसे वसूल हो सकेंगे? क्या वो करोड़ों की रकम अब भी इनके पास है, या फिर सबकुछ सफेदपोश लेन-देन में बदल दिया गया है?

हर दिन पुलिस स्टेशन के बाहर कतारें लग रही हैं, हर चेहरा एक सी कहानी कह रहा है—”हमने भरोसा किया था… हमने अपने बच्चों के लिए सपना देखा था… और अब सब खत्म हो गया।” यह केवल एक आर्थिक अपराध नहीं है, यह एक भावनात्मक धोखा है, जिसमें लोगों की ज़िंदगी, उनका भविष्य, और उनका आत्मविश्वास सबकुछ टूट गया है।

यह कहानी हमें एक बड़ी सीख देती है—कि किसी भी लालच में आकर, बिना जांच-पड़ताल किए, बिना दस्तावेज पढ़े, अपने सपनों को किसी अनजान के हवाले नहीं करना चाहिए। क्योंकि जब सपना टूटता है, तो सिर्फ पैसा नहीं जाता… विश्वास भी चला जाता है।

और इसलिए, अगर आप भी किसी स्कीम में Investment करने जा रहे हैं, तो पहले जांचें, समझें, और फिर ही कोई फैसला लें। याद रखिए, 15% मुनाफे का वादा बहुत अच्छा सुनाई देता है… लेकिन कई बार ये वादा एक ऐसा जाल बन जाता है, जिससे निकल पाना नामुमकिन होता है।

Conclusion:-

“अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business YouTube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love

Leave a Comment