नमस्कार दोस्तों, सोचिए, एक ऐसा लड़का, जिसकी जिंदगी की शुरुआत एक साधारण परिवार में हुई हो। एक ऐसा लड़का, जिसके पास न कोई बड़ी पूंजी थी, न कोई बड़ा बिजनेस बैकग्राउंड, और न ही सफलता की कोई गारंटी। लेकिन उसके अंदर कुछ अलग था। उसके पास एक ऐसा हुनर था, जो उसे भीड़ से अलग बनाता था। उसके पास एक ऐसा विजन था, जो बाकी लोगों को नहीं दिखता था।
आज वही लड़का टेलीकॉम इंडस्ट्री का किंग बन चुका है। जिस लड़के ने कभी साइकिल के छोटे-छोटे पार्ट्स बेचकर अपने करियर की शुरुआत की थी, वह आज दुनिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक का मालिक है। जी हां, हम बात कर रहे हैं Sunil Mittal की, जो आज 22.5 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं। सुनील मित्तल की यह कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। यह कहानी संघर्ष, मेहनत और दूरदृष्टि की कहानी है।
यह कहानी उस हौसले की है, जिसने हर मुश्किल को पार करके एक नया इतिहास रच दिया। सवाल यह है कि आखिर कैसे Sunil Mittal ने इस मुकाम को हासिल किया? कैसे उन्होंने भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल को खड़ा किया? कैसे उन्होंने दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते टेलीकॉम बाजारों में अपनी पहचान बनाई? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
सुनील भारती मित्तल का जन्म 23 अक्टूबर 1957 को लुधियाना, पंजाब में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उनका परिवार राजनीति से जुड़ा हुआ था। उनके पिता सतपाल मित्तल कांग्रेस के बड़े नेता थे और दो बार सांसद भी रह चुके थे। मित्तल परिवार का नाम लुधियाना में बहुत सम्मान के साथ लिया जाता था। लेकिन Sunil Mittal का झुकाव राजनीति की तरफ कभी नहीं था।
उन्होंने बचपन से ही अपने अंदर एक अलग किस्म की सोच को महसूस किया था। वह जानते थे कि वह अपने जीवन में कुछ अलग करने के लिए पैदा हुए हैं। उनकी स्कूली शिक्षा मसूरी के वेल्हम स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से आगे की पढ़ाई की और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया।
उनके पिता चाहते थे कि Sunil Mittal भी राजनीति में आएं, लेकिन Sunil Mittal का झुकाव बिजनेस की तरफ था। उन्होंने बचपन से ही बिजनेस में रुचि लेनी शुरू कर दी थी। 18 साल की उम्र में सुनील ने अपने पिता से 20,000 रुपये का कर्ज लिया और अपने दोस्त के साथ मिलकर साइकिल पार्ट्स का कारोबार शुरू किया। सुनील ने उस समय हीरो साइकिल के लिए पार्ट्स बनाने का काम शुरू किया।
उन्होंने लुधियाना में एक छोटी सी यूनिट लगाई और धीरे-धीरे इस बिजनेस को बढ़ाना शुरू किया। महज तीन साल के भीतर उन्होंने तीन यूनिट्स खड़ी कर दीं। यह बिजनेस अच्छा चल रहा था। Sunil Mittal को मुनाफा भी हो रहा था। लेकिन Sunil Mittal को यहां रुकना मंजूर नहीं था। वह हमेशा कुछ नया और बड़ा करने की सोचते थे।
साइकिल पार्ट्स के बिजनेस में सफलता मिलने के बाद Sunil Mittal ने इस बिजनेस को बेचने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने एक नई इंडस्ट्री में कदम रखने की योजना बनाई। 1980 के दशक में भारत में बिजली की समस्या बहुत बड़ी थी। सुनील ने इस मौके को पहचान लिया और इलेक्ट्रिक पावर जेनरेटर का कारोबार शुरू किया।
उन्होंने जापान से इलेक्ट्रिक जेनरेटर इम्पोर्ट करना शुरू किया और भारत में इसकी बिक्री करने लगे। इस कारोबार से सुनील को अच्छा मुनाफा हो रहा था। लेकिन तभी 1983 में भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक जेनरेटर के इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया। Sunil Mittal के लिए यह बहुत बड़ा झटका था। उनका पूरा बिजनेस बंद होने की कगार पर आ गया। लेकिन Sunil Mittal ने हार मानने की बजाय नए मौके की तलाश शुरू कर दी।
उसी समय सुनील को एक ऐसा मौका मिला, जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी। Sunil Mittal एक बार ताइवान गए थे। वहां उन्होंने पुश बटन वाले टेलीफोन देखे। उस समय भारत में रोटरी डायल वाले टेलीफोन का इस्तेमाल होता था। पुश बटन वाले टेलीफोन भारत के लोगों के लिए एक नई चीज थी।
सुनील ने तुरंत ताइवान की कंपनी से संपर्क किया और भारत में पुश बटन टेलीफोन लाने का करार किया। उन्होंने बीटल नाम से एक कंपनी बनाई, जो पुश बटन वाले टेलीफोन और फैक्स मशीन बेचती थी। यह प्रोडक्ट भारत में लोगों को बहुत पसंद आया। इस बिजनेस से Sunil Mittal को बड़ी सफलता मिली।
Sunil Mittal की किस्मत ने यहीं से करवट लेना शुरू किया। 1992 में भारत सरकार ने पहली बार मोबाइल सेवा के लिए लाइसेंस जारी करने का ऐलान किया। सुनील मित्तल ने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। उन्होंने सरकार से लाइसेंस के लिए आवेदन किया और भारती टेलीकॉम के नाम से एक कंपनी बनाई। 1995 में सुनील ने भारती सेलुलर लिमिटेड (BCL) के तहत मोबाइल सेवा शुरू की। इसी के साथ भारतीय बाजार में एयरटेल का सफर शुरू हुआ।
एयरटेल के शुरुआती दिनों में सुनील मित्तल को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। नेटवर्क कनेक्टिविटी, इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या, सरकार की नीतियां और तकनीकी दिक्कतें – हर मोर्चे पर Sunil Mittal को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन सुनील ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने एक मजबूत नेटवर्क खड़ा किया और प्रीपेड सेवा की शुरुआत की, जो भारतीय ग्राहकों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गई। सुनील ने एयरटेल के बिजनेस मॉडल को भारतीय ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से ढाला।
एयरटेल ने साल 2000 तक पूरे भारत में अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया। सुनील मित्तल का विजन सिर्फ भारत तक सीमित नहीं था। वह भारत के बाहर भी अपने बिजनेस को फैलाना चाहते थे। साल 2010 में उन्होंने अफ्रीका की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी ज़ैन (Zain) के अफ्रीकी ऑपरेशन्स को 10.7 अरब डॉलर में खरीद लिया। यह डील उस समय भारतीय बिजनेस इतिहास की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय डील में से एक थी। इस डील के बाद एयरटेल ने अफ्रीका के 15 से ज्यादा देशों में अपना नेटवर्क स्थापित किया, और देखते ही देखते एयरटेल अफ्रीका में सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक बन गई।
सुनील मित्तल ने न केवल अपने बिजनेस को अफ्रीका में स्थापित किया, बल्कि वहां की टेलीकॉम इंडस्ट्री को भी नए मुकाम तक पहुंचाया। इसके बाद सुनील ने यूरोप, दक्षिण एशिया और मिडिल ईस्ट के बाजारों में भी कदम रखा। आज एयरटेल का नेटवर्क 17 देशों में फैला हुआ है और कंपनी का टर्नओवर लगातार बढ़ रहा है। एयरटेल के 49 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं और कंपनी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
सुनील मित्तल की दूरदर्शिता और लीडरशिप ने एयरटेल को सिर्फ भारत की ही नहीं, बल्कि दुनिया की टॉप टेलीकॉम कंपनियों में शामिल कर दिया। आज सुनील मित्तल की नेटवर्थ 22 अरब डॉलर से ज्यादा है। भारती एयरटेल में उनकी हिस्सेदारी करीब 25% है। इसके अलावा भारती एंटरप्राइजेज और दूसरी होल्डिंग कंपनियों में भी उनकी बड़ी हिस्सेदारी है।
सुनील मित्तल ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया कि अगर इंसान के पास विजन, हौसला और मेहनत करने का जज्बा हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने साइकिल के छोटे-छोटे पार्ट्स बेचने से शुरुआत की थी और आज वह दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस टाइकून में से एक हैं। सुनील मित्तल की सफलता की कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करने का सपना देखता है। सुनील की कहानी इस बात का सबूत है कि मेहनत और सही दिशा में किया गया काम कभी बेकार नहीं जाता। अगर आपके पास हौसला और जुनून है, तो आप भी सुनील मित्तल की तरह एक नई मिसाल कायम कर सकते हैं।
Conclusion
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