ज़रा सोचिए… एक ऐसा देश, जिसे दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है, जहाँ आज भी लाखों लोग रोजगार और रोज़मर्रा की सुविधाओं के लिए संघर्ष करते हैं। उसी देश की ऊँची पहाड़ियों के बीच से एक ऐसा नाम निकलता है, जिसने पूरे नेपाल ही नहीं बल्कि भारत और दुनिया के कई देशों की थालियों में अपनी जगह बना ली।
वो नाम है—Binod Chaudhary। जिस शख़्स को लोग नेपाल का नूडल किंग कहते हैं, क्योंकि उन्होंने नेपाल की ‘मैगी’ कही जाने वाली वाई वाई नूडल्स बनाकर इतिहास रच दिया। आज उनकी दौलत 2 अरब डॉलर से भी ज़्यादा है यानी लगभग 18 हज़ार करोड़ रुपये। लेकिन इस मुकाम तक पहुँचने की कहानी सिर्फ़ एक कारोबारी सफलता नहीं, बल्कि मेहनत, दूरदर्शिता और जुनून से लिखी गई दास्तान है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
नेपाल इन दिनों युवाओं के विद्रोह और राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से दुनिया की सुर्खियों में है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक इस्तीफ़ा दे चुके हैं। लेकिन इस अफरा-तफरी के बीच अगर कोई नाम है, जो स्थिरता और सफलता की मिसाल बना हुआ है, तो वह है Binod Chaudhary का। वह सिर्फ़ एक अरबपति नहीं, बल्कि नेपाल के इकलौते ऐसे बिज़नेसमैन हैं जिन्होंने अपने देश की सीमाओं को पार करते हुए दुनिया के पाँच महाद्वीपों तक अपने कारोबार का साम्राज्य फैला दिया है। अब सवाल यह है कि आख़िर वह नेपाल का नूडल किंग कैसे बने?
कहानी शुरू होती है 1980 के दशक से, जब नेपाल में खाने-पीने के बाज़ार में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। लोग पारंपरिक खाने पर ही निर्भर थे। तभी चौधरी ग्रुप ने 1984 में चुपचाप एक नया प्रयोग किया—वाई वाई इंस्टैंट नूडल्स। शुरुआत में लोग हिचकिचाए। उन्हें लगा कि ये महज़ कुछ पैकेट नूडल्स हैं, जो शायद चलेंगे नहीं। लेकिन कुछ ही महीनों में वाई वाई ने युवाओं और बच्चों के दिलों में अपनी जगह बना ली। आसान, सस्ता और स्वाद से भरपूर यह नूडल लोगों के रोज़मर्रा के खाने का हिस्सा बन गया।
वाई वाई की सफलता इतनी तेज़ थी कि नेपाल के हर घर में यह पहुँच गया। छोटे-छोटे ढाबों से लेकर बड़े रेस्टोरेंट्स तक, हर जगह वाई वाई बिकने लगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलाई 2025 में जब कंपनी ने वाई वाई इंस्टैंट कप नूडल्स की नई रेंज लॉन्च की, तो Binod Chaudhary ने यह याद किया कि किस तरह 1984 में ललितपुर जिले के भैंसेपाटी के सैबू में एक साधारण फैक्ट्री से इस ब्रांड की शुरुआत हुई थी।
लेकिन चौधरी का सपना नेपाल तक सीमित नहीं था। 2006 में उन्होंने भारत के सिक्किम में रंगपो के पास पहली अंतरराष्ट्रीय फैक्ट्री खोली। यह उनके साम्राज्य की अंतरराष्ट्रीय छलांग थी। और आज हालात यह हैं कि भारत में वाई वाई नूडल्स तीसरा सबसे बड़ा इंस्टैंट नूडल ब्रांड है। इसका सालाना रेवेन्यू 800 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है और 2026 तक इसे 1,200 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि वाई वाई अब 200 से 250 SKU यानी अलग-अलग वैराइटी और पैकेजिंग में बिकता है। 30 से ज़्यादा देशों में इसकी मौजूदगी है। भारत, बांग्लादेश, सर्बिया, यहाँ तक कि मिस्र तक में इसके कारखाने हैं। और यही वजह है कि इसे नेपाल का पहला असली मल्टीनेशनल ब्रांड कहा जाता है।
लेकिन Binod Chaudhary सिर्फ़ नूडल्स तक नहीं रुके। असली अरबपति वही होता है जो हर सेक्टर में हाथ आज़माए और वहाँ अपनी छाप छोड़े। यही उन्होंने किया। वह सीजी कॉर्प ग्लोबल के चेयरमैन हैं, और इस समूह का कारोबार एफएमसीजी, रियल एस्टेट, शिक्षा, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और हॉस्पिटैलिटी जैसे तमाम क्षेत्रों में फैला हुआ है।
उनके पास दुनिया भर में 143 होटल्स हैं, जिनमें भारत की ताज होटल चेन के साथ साझेदारी भी शामिल है। यानी अगर आप किसी लग्ज़री होटल में रुकते हैं, तो बहुत मुमकिन है कि उसका हिस्सा चौधरी ग्रुप के पोर्टफोलियो में हो। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा निवेश किया है और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर फाइनेंस तक में उनकी गहरी पकड़ है।
लेकिन उनके जीवन की जड़ें भारत से भी जुड़ी हैं। Binod Chaudhary के दादा मूल रूप से राजस्थान से थे, जो बाद में नेपाल जाकर बस गए। वहाँ उन्होंने टेक्सटाइल का कारोबार शुरू किया। उनके पिता ने नेपाल का पहला डिपार्टमेंटल स्टोर खोला। यानि बिज़नेस उनके खून में था। लेकिन उसे आगे बढ़ाकर वैश्विक स्तर तक ले जाने का काम Binod Chaudhary ने किया।
उनकी नेटवर्थ आज 2 अरब डॉलर से ज़्यादा है। वह पहली बार 2013 में Forbes Billionaires List में शामिल हुए थे। तब से लेकर अब तक उनकी संपत्ति लगातार बढ़ रही है। 2021 में उनकी नेटवर्थ 1.4 अरब डॉलर थी, जो अब 2 अरब डॉलर तक पहुँच चुकी है। यानी मुश्किलों से जूझते नेपाल में भी उन्होंने अपनी कहानी को चमकते अक्षरों में लिखा है।
अगर आप वाई वाई की लोकप्रियता समझना चाहते हैं, तो बस भारत की तस्वीर देख लीजिए। यहाँ पर बच्चों से लेकर कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स तक, हर किसी की थाली में वाई वाई की जगह है। मैगी के बाद भारत का यह सबसे पसंदीदा नूडल है। यहाँ तक कि गाँवों के किराना दुकानों से लेकर शहरों के सुपरमार्केट तक, हर जगह इसकी माँग बनी रहती है।
Binod Chaudhary की सफलता ने उन्हें सिर्फ़ बिज़नेसमैन ही नहीं, बल्कि नेपाल की राजनीति का भी हिस्सा बना दिया। वह नेपाली कांग्रेस पार्टी से संसद के सदस्य हैं और कई बार उन्होंने सार्वजनिक मंचों से यह कहा है कि उनका सपना सिर्फ़ पैसा कमाना नहीं, बल्कि नेपाल को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाना है।
उनके तीन बेटे—निर्वाण, राहुल और वरुण—आज उनके कारोबार को संभालने में उनका साथ दे रहे हैं। निर्वाण नेपाल में रहते हैं, जबकि राहुल और वरुण विदेश से ग्रुप को सपोर्ट करते हैं। यह बिज़नेस अब चौधरी परिवार की अगली पीढ़ी के हाथों में और भी आगे बढ़ रहा है।
कहानी का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि नेपाल जैसे छोटे देश से निकलकर, Binod Chaudhary ने यह दिखा दिया कि अगर आपके पास दूरदर्शिता और मेहनत है तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। उन्होंने सिर्फ़ नूडल्स बेचकर अरबों की संपत्ति नहीं बनाई, बल्कि नेपाल की पहचान को भी बदल दिया।
आज जब नेपाल राजनीतिक संकट में है और युवाओं का विद्रोह पूरी दुनिया की सुर्खियाँ बना हुआ है, तब यह भी सोचना ज़रूरी है कि उसी देश से एक ऐसा अरबपति निकला जिसने दुनिया को स्वाद चखाया और यह साबित किया कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती।
उनकी कहानी हमें यही सिखाती है कि मुश्किल हालातों में भी मौके छुपे होते हैं। 1980 के दशक में जब नेपाल की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही थी, तभी Binod Chaudhary ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने न सिर्फ़ उनकी ज़िंदगी बदली बल्कि करोड़ों लोगों की थाली भी बदल दी। आज वाई वाई सिर्फ़ एक नूडल नहीं, बल्कि एक ब्रांड, एक पहचान और एक सपने की उड़ान है। और उसके पीछे खड़े हैं वो अरबपति—Binod Chaudhary—जिन्हें दुनिया नेपाल के नूडल किंग के नाम से जानती है।
Conclusion
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