Wealth: Warren Buffett के 5 गोल्डन रूल्स अमीर बनने के लिए पैसों की गलतियों से बचें I

ज़रा सोचिए… आप एक ऐसे कमरे में खड़े हैं, जहाँ दीवारें नोटों के बंडलों से ढकी हुई हैं। हर टेबल पर डॉलर और रुपयों की गड्डियाँ रखी हैं। आपको लगता है कि यह तो सपनों की दुनिया है, लेकिन तभी इन पैसों की गूँज के बीच एक ठंडी, गंभीर आवाज़ सुनाई देती है—“ये दौलत टिक सकती है, बस शर्त है कि आप गलतियों से बचें।”

यह आवाज़ किसी और की नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े Investor Warren Buffett की है। वही बफेट, जिन्हें “ओरेकल ऑफ ओमाहा” कहा जाता है। वही बफेट, जिन्होंने अपनी समझ, धैर्य और अनुशासन से अरबों डॉलर की कंपनी खड़ी कर दी। और वही बफेट, जो बार-बार चेतावनी देते हैं कि अमीर बनने का खेल असल में गलतियों से बचने का खेल है।

Warren Buffett का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। 1930 में अमेरिका के ओमाहा शहर में जन्मे इस साधारण लड़के ने बचपन से ही पैसों की कीमत समझी। 11 साल की उम्र में जब बच्चे खिलौनों में खोए रहते हैं, तब बफेट ने अपना पहला स्टॉक खरीदा।

उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में अख़बार बाँटे, कोका-कोला की बोतलें बेचकर मुनाफा कमाया, और छोटे-छोटे धंधों से यह सीख लिया कि पैसा कमाना आसान हो सकता है, लेकिन उसे टिकाना बेहद कठिन है। यही वजह है कि बाद में जब वह बर्कशायर हैथवे जैसी दिग्गज कंपनी के चेयरमैन बने, तब भी उन्होंने कभी चमक-दमक वाली ज़िंदगी नहीं अपनाई। आज भी उनका घर वही पुराना है, उनकी कार साधारण है और उनकी पसंद सादी। लेकिन सोचिए, इतनी सादगी के बावजूद वह दुनिया के टॉप अरबपतियों में शामिल हैं।

बफेट का मानना है कि इंसान अमीर जटिल तरीकों से नहीं, बल्कि मूर्खतापूर्ण गलतियों से बचकर बनता है। और यही वजह है कि उन्होंने पैसों से जुड़ी पाँच सबसे बड़ी गलतियों की तरफ़ बार-बार ध्यान दिलाया है। उन्होंने कहा है कि अगर आप इन पाँच गलतियों से बच गए, तो चाहे आपकी income कितनी भी कम हो, आप समय के साथ सुरक्षित और सम्पन्न हो सकते हैं। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

पहली गलती है—ज़रूरत से ज़्यादा उधार लेना। बफेट कहते हैं कि कर्ज़ एक बर्फ़ के गोले की तरह है। शुरुआत में छोटा लगता है, manageable लगता है। लेकिन जैसे-जैसे यह लुढ़कता है, वैसे-वैसे बड़ा होता जाता है और आख़िरकार इतना विशाल हो जाता है कि आपके ऊपर आकर सबकुछ कुचल देता है।

भारत में देखें तो हर साल लाखों लोग सिर्फ़ कर्ज़ की वजह से दिवालिया हो जाते हैं। क्रेडिट कार्ड का कर्ज़, होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन—सब मिलाकर इंसान की कमाई का बड़ा हिस्सा सिर्फ़ ब्याज चुकाने में चला जाता है। यही वजह है कि बफेट कहते हैं—“कभी भी इतना कर्ज़ मत लो, जिसे आप अपनी नींद खोकर चुकाने की सोचने लगें।”

दूसरी गलती है—बिना ज़रूरत की चीज़ों पर खर्च करना। बफेट का मशहूर कथन है, “अगर आप वो चीज़ें खरीदते हैं जिनकी आपको ज़रूरत नहीं है, तो एक दिन आपको वे चीज़ें बेचनी पड़ेंगी जिनकी आपको ज़रूरत है।” यह बात जितनी सरल लगती है, उतनी गहरी है।

भारत जैसे देश में जहाँ EMI पर फोन से लेकर गाड़ियों तक सब मिल जाता है, वहाँ लोग दिखावे की दौड़ में फँस जाते हैं। सोचिए, महँगी कार, ब्रांडेड कपड़े, लेटेस्ट गैजेट—ये सब हमें अमीर दिखाते ज़रूर हैं, लेकिन अमीर बनाते नहीं। वॉरेन बफेट खुद दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं, लेकिन उन्होंने कभी ब्रांडेड कपड़ों और लग्ज़री लाइफ़स्टाइल पर खर्च नहीं किया। उनका कहना है कि असली अमीरी आपके बैंक अकाउंट की मजबूती से मापी जाती है, न कि आपकी अलमारी की चमक से।

तीसरी गलती है—गलत Investment विकल्प चुनना। जब बाज़ार चढ़ता है तो हर कोई सोचता है कि जल्दी से Investment करें और रातोंरात अमीर बन जाएँ। लेकिन बफेट का नियम है—“कभी भी ऐसे व्यवसाय में Investment मत करो जिसे आप समझते नहीं।” शेयर बाज़ार में कई लोग बिना रिसर्च किए पैसे लगा देते हैं।

किसी दोस्त ने बताया, किसी टीवी चैनल ने सुझाया, या फिर सोशल मीडिया पर किसी ने स्टॉक की तारीफ़ कर दी—बस लोग कूद पड़ते हैं। और यही गलती उन्हें बर्बाद कर देती है। 2008 के वित्तीय संकट में लाखों लोगों की जमा पूँजी इसलिए डूब गई क्योंकि उन्होंने बिना समझे Investment किया था। बफेट का कहना है कि Investment कोई जुआ नहीं है, बल्कि एक बिज़नेस है। इसमें धैर्य चाहिए, समझ चाहिए, और सबसे बढ़कर—लालच पर काबू चाहिए।

चौथी गलती है—इमरजेंसी फंड न बनाना। जीवन हमेशा प्लान के हिसाब से नहीं चलता। कभी नौकरी छूट सकती है, कभी बीमारी आ सकती है, कभी अचानक बड़ा खर्च सामने आ सकता है। ऐसे समय में अगर आपके पास इमरजेंसी फंड नहीं है, तो आप मजबूरी में कर्ज़ लेते हैं और वही कर्ज़ आपको जकड़ लेता है। बफेट हमेशा कहते हैं कि कमाई का एक हिस्सा, चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, इमरजेंसी फंड में डालो। भारत में कोविड महामारी के दौरान लाखों लोगों की नौकरियाँ गईं। जिनके पास इमरजेंसी फंड था, उन्होंने उस संकट को संभाल लिया। लेकिन जिनके पास नहीं था, वे कर्ज़ और परेशानियों के दलदल में फँस गए।

पाँचवीं गलती है—जल्दी अमीर बनने का जाल। आजकल हर जगह शॉर्टकट की बातें होती हैं—क्रिप्टोकरेंसी से रातोंरात करोड़पति बनने की कहानियाँ, पोंजी स्कीम में दुगना-तिगुना पैसा मिलने का लालच, या फिर “गेट-रिच-क्विक” स्कीम्स। लेकिन बफेट कहते हैं कि “अमीर बनने का कोई शॉर्टकट नहीं है।” उनका मानना है कि बाज़ार हमेशा अधीर लोगों से पैसा छीनकर धैर्यवान लोगों को देता है। उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी तक को “चूहे का ज़हर” कहा, क्योंकि उनका मानना है कि इसमें कोई असली वैल्यू नहीं है। असली अमीरी धीरे-धीरे आती है, और उसके लिए धैर्य, अनुशासन और लगातार Investment की आदत चाहिए।

अब सोचिए, ये पाँच नियम सुनने में कितने सामान्य लगते हैं। लेकिन इन्हें अपनाना सबसे कठिन है। इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है लालच और अधीरता। हम हमेशा जल्दी अमीर बनने के पीछे भागते हैं, दिखावे के लिए खर्च करते हैं और भविष्य की सुरक्षा को भूल जाते हैं। यही वजह है कि बफेट बार-बार कहते हैं कि अमीर बनने का खेल दरअसल अपनी कमजोरियों पर जीत पाने का खेल है।

अगर आप बफेट की ज़िंदगी पर गहराई से नज़र डालें, तो देखेंगे कि उनकी सफलता का राज़ कोई जादुई फ़ॉर्मूला नहीं था। बल्कि उनकी सबसे बड़ी ताकत यह थी कि उन्होंने गलतियों से बचना सीखा। उन्होंने कभी भी पैसा अपने सिर पर चढ़ने नहीं दिया। उनकी सादगी, धैर्य और अनुशासन ही उनकी असली पूँजी रही।

आज पूरी दुनिया में करोड़ों लोग उनके विचारों से प्रेरित होते हैं। भारत में भी लाखों Investor वॉरेन बफेट के इन नियमों को अपनाकर अपनी ज़िंदगी बदल चुके हैं। अमीर बनने की असली कुंजी यही है कि आप अपने पैसों के साथ सही व्यवहार करना सीखें। और जब अगली बार आप किसी नए Investment की सोचें, कोई लोन लेने का मन बनाएँ, या किसी चमकदार चीज़ के पीछे भागें—तो ज़रा ठहरकर वॉरेन बफेट के इन पाँच गोल्डन रूल्स को याद कर लीजिए। यही वो बातें हैं जो आपके पैसों को सुरक्षित और टिकाऊ बना सकती हैं।

Conclusion

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