Rare Earth Metals का खेल: क्या पाकिस्तान बनेगा अमीर या फिर असीम मुनीर का नया धोखा? 2025

सोचिए, एक ऐसा देश जिसकी पहचान आज पूरी दुनिया में “कंगाल” शब्द से जुड़ चुकी है। IMF के दरवाजे पर हर दूसरे महीने दस्तक देने वाला, अपनी मुद्रा की बेबसी पर आँसू बहाने वाला और जनता को महंगाई की आग में झोंकने वाला पाकिस्तान। वही पाकिस्तान अब अचानक दुनिया को ये भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा है कि उसके पास एक ऐसा “खजाना” है, जिससे उसका कर्ज न केवल चुक जाएगा बल्कि वह दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाएगा।

ज़रा सोचिए, ये सुनकर कैसा लगेगा? गरीबी और कर्ज़ में डूबा मुल्क, जहां रोटी-दाल भी लोगों के लिए लग्ज़री बन चुकी हो, वहां अचानक से अमीरी के सपनों का महल खड़ा कर देना—ये सुनने में किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसा ही लगता है। और इस कहानी का “हीरो” कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर हैं, जिन्होंने खुलेआम दावा किया कि पाकिस्तान के पास Rare Earth Metals का खजाना है। लेकिन असली सवाल यही है—क्या ये सिर्फ सपने हैं या इसमें सच्चाई की भी कोई गुंजाइश है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

दरअसल, “Rare Earth Metals” वो शब्द है, जिसने आज पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को बांध रखा है। ये धातुएँ इतनी कीमती क्यों हैं? क्योंकि इनसे ही बनती हैं इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ, मोबाइल फोन, लैपटॉप्स, मिसाइलें, ड्रोन और वो तमाम चीज़ें जिनके बिना आधुनिक दुनिया अधूरी है। चीन ने इस खेल को बखूबी समझा और पिछले कई दशकों से उसने रेयर अर्थ मेटल्स की खान और रिफाइनिंग अपने कब्जे में कर रखी है।

आज स्थिति ये है कि पूरी दुनिया की सप्लाई चेन चीन के इशारों पर नाचती है। अमेरिका, भारत और यूरोप लगातार इस निर्भरता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आसानी से ये संभव नहीं। ऐसे में अगर पाकिस्तान अचानक दावा करे कि उसके पास भी ऐसा ही खजाना है, तो जाहिर है पूरी दुनिया का ध्यान उसकी ओर जाएगा।

असीम मुनीर ने अपनी बात बलूचिस्तान के “रेको दिक माइनिंग प्रोजेक्ट” से जोड़ी। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान अगले साल से हर साल, 2 अरब डॉलर कमा सकता है और आने वाले वर्षों में ये मुनाफा और भी बढ़ेगा। सुनने में ये आंकड़ा बड़ा लगता है। एक ऐसा मुल्क जिसकी अर्थव्यवस्था अभी IMF के एक-एक डॉलर के कर्ज़ पर टिकी हुई है, उसके लिए 2 अरब डॉलर का सालाना फायदा किसी ऑक्सीजन सिलेंडर से कम नहीं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या ये दावा उतना आसान है जितना सुनने में लगता है? क्योंकि पाकिस्तान की ज़मीन पर सिर्फ खनिज नहीं, बल्कि खून-खराबा, अलगाववादी आंदोलन और आतंकवाद भी दफन है।

बलूचिस्तान का जिक्र आते ही तस्वीर साफ हो जाती है। वही बलूचिस्तान जहां दशकों से अलगाववादी हिंसा चल रही है। वही इलाका जहां चीन के CPEC प्रोजेक्ट्स बार-बार हमलों का शिकार हुए हैं। और अब वही जगह पाकिस्तान को अमीरी की राह दिखाने वाली बताई जा रही है। रेको दिक प्रोजेक्ट, जो कई सालों से विवादों में घिरा है, अब पाकिस्तान की उम्मीदों का सबसे बड़ा सहारा बन गया है। लेकिन सवाल है कि क्या वहां Foreign investors अपनी पूंजी लगाएंगे? क्या वे अपनी सुरक्षा दांव पर लगाकर पाकिस्तान को रेयर अर्थ मेटल्स का बादशाह बनाने के लिए आगे आएंगे?

मुनीर की रणनीति समझना मुश्किल नहीं है। वो पाकिस्तान की खनिज संपदा को एक तरह का “स्ट्रैटेजिक हथियार” बनाना चाहते हैं। उनका इशारा साफ है—जैसे चीन रेयर अर्थ मेटल्स के दम पर पूरी दुनिया को अपनी शर्तों पर चलवा रहा है, वैसे ही पाकिस्तान भी अपने खजाने को इस्तेमाल कर अमीरी की राह पकड़ सकता है। और इसीलिए वो अमेरिका की तरफ हाथ बढ़ा रहे हैं।

पिछले कुछ महीनों में असीम मुनीर अमेरिका के दो दौरे कर चुके हैं। और अमेरिका भी इस वक्त चीन पर निर्भरता से छुटकारा पाने के लिए किसी भी विकल्प पर गंभीरता से विचार करने को मजबूर है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का बयान इस दिशा में पाकिस्तान के लिए हौसला बढ़ाने वाला था, जब उन्होंने साफ कहा कि वाशिंगटन पाकिस्तान के साथ खनिज और हाइड्रोकार्बन सेक्टर में सहयोग करना चाहता है।

लेकिन यहां एक दूसरी सच्चाई भी है। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा रेयर अर्थ उत्पादक है, वो पाकिस्तान को इतनी आसानी से अपना विकल्प नहीं बनने देगा। चीन ने पिछले साल अमेरिका और यूरोप को झटका देते हुए कई महत्वपूर्ण खनिजों के Export पर रोक लगा दी थी। उसका मकसद साफ था—दुनिया को उसकी मुट्ठी में रखना।

भारत भी इस रोक का शिकार हुआ और अपनी 70% ज़रूरत चीन से पूरी करने की मजबूरी में फंस गया। अब अगर पाकिस्तान ये दावा करे कि वो चीन का विकल्प बन सकता है, तो ये खेल और भी बड़ा हो जाएगा। सवाल ये है कि पाकिस्तान के पास न तो चीन जैसी तकनीक है, न अनुभव और न ही स्थिरता—तो फिर क्या ये मुमकिन है?

अब जरा पाकिस्तान की असलियत पर लौटते हैं। एक ऐसा मुल्क जिसकी मुद्रा का हाल ये है कि डॉलर के मुकाबले दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। जहां महंगाई इतनी बढ़ गई है कि दूध-दही जैसी बुनियादी चीज़ें आम आदमी की पहुँच से बाहर हो चुकी हैं। IMF के कर्ज़ के बिना पाकिस्तान का महीना निकलना मुश्किल है। ऐसे हालात में असीम मुनीर का ये ऐलान, गरीब जनता के लिए सिर्फ एक नारा बनकर रह जाता है—जैसे किसी प्यासे को रेगिस्तान में मृगतृष्णा दिखे। लेकिन हकीकत ये है कि रेयर अर्थ मेटल्स की खानें भी तब तक खजाना नहीं बन सकतीं जब तक उन्हें निकालने, शुद्ध करने और बेचने की क्षमता न हो।

बलूचिस्तान के हालात इस कहानी को और पेचीदा बनाते हैं। रेको दिक का इलाका पहले से ही हमलों का शिकार रहा है। वहां सुरक्षा की गारंटी आज तक कोई नहीं दे पाया। हाल ही में अमेरिका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को आतंकवादी संगठन घोषित किया, जिससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ गईं। ऐसे माहौल में अगर कोई विदेशी कंपनी Investment करना चाहेगी भी तो सबसे पहले वो सुरक्षा पर सवाल उठाएगी। और पाकिस्तान का रिकॉर्ड इस मामले में कभी भरोसेमंद नहीं रहा।

भरोसा—यही वो शब्द है जो पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमी है। बिजली प्रोजेक्ट्स से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक, पाकिस्तान ने कई बार foreign investors को धोखा दिया है। भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद ने हर बार उसके सपनों को जमीन पर पटक दिया। अब जब मुनीर रेयर अर्थ मेटल्स से अमीरी की कहानी बुन रहे हैं, तो दुनिया के दिमाग में यही सवाल गूंजता है—क्या ये वही पुरानी कहानी नहीं है जिसे पाकिस्तान बार-बार सुनाता है, लेकिन अंत में हकीकत कुछ और निकलती है?

आज पूरी दुनिया की नज़र रेयर अर्थ मेटल्स पर है। चीन इस खेल का बादशाह है और अमेरिका उसे मात देने के लिए हर विकल्प तलाश रहा है। भारत भी इस दौड़ में शामिल है। लेकिन पाकिस्तान का दावा अभी एक ऐसे बीज जैसा है जिसे रेगिस्तान में बो दिया गया हो। बोना आसान है, लेकिन ये पौधा बनेगा या नहीं, किसी को नहीं पता। शायद यही वजह है कि पाकिस्तान की जनता भी इस दावे को सुनकर सपने देखने लगी है—लेकिन सपनों से पेट नहीं भरता।

तो क्या पाकिस्तान सच में कंगाली से अमीरी की ओर बढ़ पाएगा? या फिर ये भी वही कहानी होगी, जिसमें बड़े-बड़े दावे होंगे, उम्मीदें जगाई जाएंगी, लेकिन नतीजा वही होगा—न कर्ज़ कम होगा, न अमीरी आएगी, और पाकिस्तान का आम आदमी सिर्फ सुनहरे वादों की धूल निगलता रह जाएगा।

Conclusion

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love

Leave a Comment