Radhika Gupta का मंत्र: Investment से पहले की ये 3 बातें बना सकती हैं आपको करोड़पति!

कल्पना कीजिए… आप एक ऐसी नाव में बैठे हैं जो समुद्र के बीचोंबीच है। हवा तेज़ है, लहरें ऊंची हैं… और आपके पास ना कोई पतवार है, ना कोई दिशा। अब सोचिए—क्या आप ऐसे ही समुद्र में उतरना चाहेंगे? नहीं न? लेकिन हैरानी की बात ये है कि लाखों लोग हर साल अपनी मेहनत की कमाई को ‘Investment’ के नाम पर ऐसे ही समुद्र में उतार देते हैं I

बिना तैयारी, बिना समझ, सिर्फ दूसरों को देखकर। और जब नुकसान होता है, तब होश आता है। लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। इसी अनजाने डर और भ्रम से बचाने के लिए एक महिला ने तीन ऐसे सबक दिए हैं, जो आपकी Investment की सोच को पूरी तरह बदल सकते हैं—नाम है Radhika Gupta। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Radhika Gupta, एडलवाइस म्यूचुअल फंड की सीईओ, खुद एक सफल Investor हैं, और लाखों नए Investors की मेंटर भी। उन्होंने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा की, जिसने इंटरनेट पर हलचल मचा दी। वजह? उनकी वो तीन चेतावनियां, जो हर नए Investor को ज़रूर सुननी चाहिए। क्योंकि ये सिर्फ सलाह नहीं हैं—ये वो आइना हैं, जो हमें हमारे पैसे से जुड़े फैसलों पर गहराई से सोचने पर मजबूर करते हैं।

Radhika Gupta कहती हैं कि “Investment करना ऐसा नहीं कि किसी दोस्त ने कहा और आपने कर लिया। ये एक गंभीर प्रक्रिया है, जिसकी जड़ें आपकी आदतों में होती हैं।” और पहली चेतावनी यहीं से शुरू होती है—लोग सोचते हैं कि जो पैसे महीने के आखिर में बच गए, वही Investment के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं। लेकिन Radhika Gupta इस सोच को पूरी तरह गलत मानती हैं। उनका कहना है, “बचत सिर्फ रोकना है, Investment बढ़ाने की प्रक्रिया है।” बचत एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन Investment एक प्लान है, एक सफर है जो समय के साथ बढ़ता है।

यहां पर हमें एक बात समझनी होगी—अच्छी फाइनेंशियल आदतें Investment से भी पहले आती हैं। आप कितना खर्च कर रहे हैं, कहां कर रहे हैं, और क्यों कर रहे हैं—इन सब पर नजर रखना बेहद ज़रूरी है। अगर आप अपने खर्चों का हिसाब नहीं रखते, तो आप कभी नहीं जान पाएंगे कि आपके पास Investment के लिए कितना है। और अगर आप हर महीने लोन की ईएमआई, क्रेडिट कार्ड का ब्याज, और फालतू खर्चों में फंसे हैं, तो Investment करने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि पहले आपकी कमाई इन झंझटों से आज़ाद होनी चाहिए।

Radhika Gupta का दूसरा ज़ोरदार पॉइंट है—”हर Investment दो चीज़ों के इर्द-गिर्द घूमता है: रिस्क और रिटर्न।” लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर कोई हाई रिटर्न पाने के लिए हाई रिस्क उठाए। यहां सबसे बड़ा सवाल होता है—आपकी risk appetite क्या है? यानी आप कितना जोखिम उठा सकते हैं? क्या आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हर महीने का खर्च एक सीमित सैलरी से चलाते हैं? या आप ऐसे हैं जिनके पास एक्स्ट्रा पैसे हैं, जिनसे कुछ एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है? क्योंकि अगर आपने अपनी रिस्क क्षमता नहीं जानी, तो आप गलत उत्पाद में पैसा लगाकर अपना भविष्य बिगाड़ सकते हैं।

मान लीजिए, आपकी योजना है कि अगले 5 साल में घर खरीदना है। तब आप उस पैसे को कहीं ज्यादा रिस्की जगह नहीं लगा सकते। वहीं अगर आपकी योजना 20 साल बाद की रिटायरमेंट है, तो आपके पास समय है, उतार-चढ़ाव को झेलने की क्षमता है, और वहां आप थोड़ा रिस्क लेकर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं। यहीं पर आता है प्लानिंग का असली मतलब—हर Investment का मकसद अलग होता है, और वही तय करता है कि कहां और कितना Investment करें।

अब आती है Radhika Gupta की तीसरी और शायद सबसे ज़रूरी चेतावनी—बीमा और Investment को एक समझना सबसे बड़ी भूल है। ये सुनने में शायद साधारण लगे, लेकिन यही एक गलती करोड़ों लोग हर साल करते हैं। Radhika Gupta बताती हैं कि बहुत सारे लोग ULIP जैसे प्लान ले लेते हैं, जो बीमा और Investment का कॉम्बो ऑफर करते हैं। लेकिन नतीजा? न आपको सही बीमा मिलता है, न ही अच्छा रिटर्न। ये दो चीज़ें हैं जिनका मकसद अलग है। बीमा है सुरक्षा के लिए, जबकि Investment है धन बढ़ाने के लिए। दोनों को मिलाकर हम न तो पूरी सुरक्षा पाते हैं, न ही पूरी कमाई।

यह बात इतनी अहम है कि Radhika Gupta ने अपनी नई किताब ‘मैंगो मिलियनेयर’ में भी इस पर विस्तार से चर्चा की है। इस किताब को उन्होंने निरंजन अवस्थी के साथ मिलकर लिखा है, और इसका उद्देश्य है—नए Investors को उनकी भाषा में सही रास्ता दिखाना। बिना भारी-भरकम शब्दों के, बिना डर फैलाए, सीधे-सीधे और समझदारी से बात रखना। और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत भी है।

Radhika Gupta की नाराज़गी तब दिखी जब किसी जानकार व्यक्ति ने उनसे पूछा—“SIP लें या Mutual Fund?” अब ज़रा सोचिए, जिस व्यक्ति को इन दोनों के फर्क का ही नहीं पता, वो भला Investment का सही निर्णय कैसे ले सकता है? उन्होंने साफ-साफ समझाया कि SIP कोई अलग Investment नहीं है, बल्कि Mutual Fund में Investment करने का तरीका है। जैसे EMI से आप घर खरीदते हैं, वैसे ही SIP से आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा Investment करते हैं। Mutual Fund है ‘क्या’, और SIP है ‘कैसे’।

इस भ्रम से निकलना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि जब तक आप बुनियादी बातें नहीं समझेंगे, आप सिर्फ दूसरों के कहने पर Investment करते रहेंगे, और खुद कभी आत्मनिर्भर नहीं बन पाएंगे। और यही वजह है कि Radhika Gupta बार-बार कहती हैं—”आपका पोर्टफोलियो आपके लिए है, न कि चाचा, फ्रेंड या पड़ोसी के लिए।” आपके पड़ोसी FD में हैं, दोस्त क्रिप्टो में, और रिश्तेदार रियल एस्टेट में—इसका मतलब यह नहीं कि आपको भी वही करना है। क्योंकि उनकी ज़रूरतें, जोखिम उठाने की क्षमता और जीवन के लक्ष्य अलग हैं।

Radhika Gupta की यह बात आज के सोशल मीडिया के दौर में और भी ज्यादा अहम हो जाती है, जहां हम दूसरों के Investment के स्क्रीनशॉट देखकर अपने फैसले बदल लेते हैं। कोई शेयर मार्केट में 3 महीने में दोगुना कर गया, तो हम भी वही करने दौड़ पड़ते हैं। लेकिन हम यह नहीं देखते कि उसने कितना रिस्क लिया, कितनी रिसर्च की, और क्या वो वाकई हमारे जैसे हालात में था?

एक समझदार Investor वही होता है जो अपने गोल्स को पहचानता है, अपने रिस्क प्रोफाइल को जानता है, और उसके अनुसार अपने पोर्टफोलियो को बनाता है। और ये कोई एक दिन में नहीं होता। इसके लिए वक्त लगता है, धैर्य चाहिए, और सबसे ज़रूरी—सीखने की इच्छा चाहिए। तभी तो Radhika Gupta कहती हैं कि Investment कोई प्रोडक्ट नहीं, ये सोच है। एक mindset, जो धीरे-धीरे विकसित होता है।

Radhika Gupta की बातें सुनकर एक बात तो साफ हो जाती है—अगर आप सही Investment करना चाहते हैं, तो पहले खुद को समझना पड़ेगा। आपकी कमाई कितनी है? खर्चे कैसे हैं? आपके लक्ष्य क्या हैं? आप कितने समय तक Investment करना चाहते हैं? और आप कितना नुकसान सह सकते हैं? जब ये सारे जवाब आपके पास होंगे, तभी आप सही प्लान बना पाएंगे।

अब सवाल उठता है—अगर कोई शुरुआत करना चाहता है, तो कहां से करे? Radhika Gupta के अनुसार, सबसे पहले एक habit बनाइए—हर महीने एक छोटी राशि अलग रखिए और SIP से शुरुआत कीजिए। चाहे 500 रुपये से ही क्यों न हो, लेकिन consistency बनाए रखिए। धीरे-धीरे जब समझ बढ़ेगी, तो आप सही फंड्स, सही टर्म और सही रिटर्न का चुनाव खुद करना सीख जाएंगे।

यह भी जानना ज़रूरी है कि हर investment journey में उतार-चढ़ाव आते हैं। कभी मार्केट गिरेगा, कभी बढ़ेगा। लेकिन जैसे Radhika Gupta कहती हैं, “आपका ध्यान noise पर नहीं, अपने goal पर होना चाहिए।” क्योंकि Investment लंबी दौड़ का खेल है, और जो टिकता है, वही जीतता है।

आज के दौर में, जहां हर दिन नए-नए Investment विकल्प सामने आते हैं—क्रिप्टो से लेकर NFT, रियल एस्टेट से लेकर स्टार्टअप्स—वहां सबसे बड़ी समझदारी यही है कि आप खुद से सवाल पूछें: “क्या ये मेरे लिए सही है?” क्योंकि हर ग्लैमरस स्कीम जरूरी नहीं कि आपके पोर्टफोलियो के लायक हो।

Radhika Gupta जैसी विशेषज्ञों की बातें हमें एक गहरी सीख देती हैं—कि असली ताकत उत्पाद में नहीं, सोच में है। अगर आपकी सोच स्पष्ट है, तो आप किसी भी मार्केट में, किसी भी समय, सही फैसले ले सकते हैं। और यही फर्क करता है एक आम Investor और एक समझदार Investor में।

तो दोस्तों, अगली बार जब आप Investment करने जाएं, तो सिर्फ ये याद रखें—बिना तैयारी छलांग न लगाएं, अपनी रिस्क समझें, और बीमा को Investment न समझें। क्योंकि यही तीन बातें हैं जो Radhika Gupta की ‘गोल्डन वॉर्निंग’ हैं—और अगर इन्हें समझ लिया, तो Investment सिर्फ पैसा नहीं बढ़ाएगा, बल्कि आपको आत्मनिर्भर बना देगा।

Conclusion

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