Payal Arora: एयर इंडिया हादसे में क्यों छा गया उनका नाम? जानिए इस बहादुर अफसर की पूरी कहानी। 2025

12 जून 2025… अहमदाबाद एयरपोर्ट पर जैसे ही एयर इंडिया की फ्लाइट रनवे से उतरते हुए डगमगाई, लोगों की चीखें आसमान को चीरने लगीं। कुछ ही सेकंड में विमान ज़मीन से टकराया और एक भयानक हादसे में तब्दील हो गया। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे ने न केवल यात्रियों की ज़िंदगी को दांव पर लगा दिया, बल्कि एक सवाल छोड़ गया—आख़िर इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

शुरुआती जांच में तकनीकी खराबी, मौसम और पायलट की थकान पर चर्चा हुई, लेकिन जब डीजीसीए ने अपनी रिपोर्ट जारी की, तो हर किसी की नजर एक नाम पर जा टिकी—Payal Arora। वो नाम जो शायद आम लोगों के लिए अब तक अनसुना था, मगर अब इस बड़े विमान हादसे की सबसे अहम कड़ी बन चुका है। लेकिन सवाल सिर्फ इतना नहीं कि Payal Arora कौन हैं, बल्कि असली सवाल ये है कि उनके फैसलों में ऐसी क्या चूक हुई, जिसने सैकड़ों यात्रियों की जान Risk में डाल दी? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

 डीजीसीए यानी Directorate General of Civil Aviation की रिपोर्ट में जिन तीन लोगों पर उंगली उठी है, उनमें से सबसे ज़्यादा चर्चा Payal Arora को लेकर हो रही है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एयर इंडिया के क्रू शेड्यूलिंग सिस्टम में लगातार लापरवाहियां बरती गईं। ड्यूटी रोस्टर में बार-बार ऐसे कर्मचारियों को जोड़ा गया जिनका या तो ट्रेनिंग अधूरी थी या फिर आराम का नियम टूटा गया था। और इन तमाम गड़बड़ियों की ज़िम्मेदारी सीधे तौर पर जाती है—Payal Arora के सिर।

Payal Arora, एयर इंडिया की क्रू शेड्यूलिंग और प्लानिंग हेड हैं। यानी एयरक्राफ्ट में किस दिन कौन पायलट उड़ान भरेगा, किस दिन किस क्रू मेंबर को कितने घंटे की ड्यूटी करनी है, किसे रेस्ट मिलना चाहिए—इन सबका पूरा प्लान उनके दफ्तर से ही बनता है। एआरएमएस नाम के सॉफ्टवेयर सिस्टम के जरिए यह सभी शेड्यूल तैयार किए जाते हैं। लेकिन यहीं से शुरू हुई चूकों की एक ऐसी श्रृंखला, जिसे नज़रअंदाज़ करना अब नामुमकिन है।

एआरएमएस यानी Air Route Management System—एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म जो किसी भी एयरलाइन की रीढ़ होता है। इसमें उड़ानों की टाइमिंग से लेकर फ्लाइट क्रू की ड्यूटी तक सब कुछ तय होता है। लेकिन जब हाल ही में इस सिस्टम को अपडेट किया गया, तो उसमें कई खामियां सामने आईं। और डीजीसीए की जांच में यह बात भी साफ हुई कि Payal Arora और उनकी टीम ने इस अपडेट के बाद ना तो नियमों के अनुरूप बदलाव किए, ना ही पुरानी गड़बड़ियों को दुरुस्त किया। इसके बजाय, बार-बार नियम तोड़कर फ्लाइट्स को उसी तरह से शेड्यूल किया गया जैसे पहले हो रहा था।

लेकिन यहां से कहानी और भी गंभीर होती चली गई। डीजीसीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि एयर इंडिया की तरफ से भले ही ये गलतियां स्वेच्छा से स्वीकार की गई हों, लेकिन यह भी उतना ही साफ है कि यह केवल एक तकनीकी गलती नहीं थी—बल्कि एक प्रणालीगत विफलता थी। और जब कोई सिस्टम बार-बार विफल होता है, तो सवाल सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि उस नेतृत्व पर उठता है जो उस सिस्टम को चला रहा था। और यही कारण है कि Payal Arora का नाम सबसे आगे आया।

Payal Arora के खिलाफ यह आरोप है कि उन्होंने बार-बार ऐसे क्रू सदस्यों को उड़ानों पर भेजा जिनका रेस्ट पीरियड पूरा नहीं हुआ था। किसी भी पायलट को तय समय के बाद विश्राम देना अनिवार्य होता है, ताकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से ताज़ा होकर अगली उड़ान के लिए तैयार हो। लेकिन एयर इंडिया की कई फ्लाइट्स में पायलट और क्रू को लगातार शेड्यूल किया गया, जिससे उनकी परफॉर्मेंस और ध्यान में कमी आई। अहमदाबाद की उस दुखद फ्लाइट में भी पायलट की थकान को एक कारण माना गया है।

यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन गड़बड़ियों के बावजूद एयर इंडिया की टीम ने ना तो पर्याप्त ऑडिट किया, ना ही किसी हाई लेवल मीटिंग में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। इसका मतलब साफ है—या तो यह जानबूझकर अनदेखी थी या फिर एक ऐसी लापरवाही जो अपराध की श्रेणी में आ सकती है। और इस लापरवाही की लकीर Payal Arora के टेबल से ही निकलकर रनवे तक पहुंच गई।

लेकिन क्या सिर्फ Payal Arora ही जिम्मेदार हैं? डीजीसीए ने जिन तीन अधिकारियों को दोषी ठहराया है, उनमें एक नाम है डिविजनल वाइस प्रेसिडेंट चूरा सिंह का और दूसरा नाम है ऑपरेशन्स डायरेक्टोरेट की चीफ मैनेजर पिंकी मित्तल का। इन तीनों अधिकारियों ने मिलकर वह प्रणाली चलाई जो क्रू की सुरक्षा और उड़ान की जिम्मेदारी संभालती है। लेकिन जब हर स्तर पर लापरवाही होती रही, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति की भूल नहीं रह जाती—यह एक संगठनात्मक संकट बन जाता है।

लेकिन तब भी, Payal Arora की भूमिका इसलिए ज्यादा अहम हो जाती है क्योंकि क्रू शेड्यूलिंग सीधे उनकी निगरानी में होती है। उन्होंने न केवल सिस्टम की गलतियों को अनदेखा किया, बल्कि बार-बार फ्लाइट क्रू को नियमों के खिलाफ ड्यूटी पर लगाया। इस वजह से जो गलत जोड़ी बनी, वो अंततः एक हादसे की वजह बनी। यही वजह है कि मीडिया में अब सबसे ज्यादा सुर्खियों में Payal Arora हैं।

सोचिए, अगर एक फ्लाइट का प्लान इस तरह बिना पर्याप्त विश्राम और ट्रेनिंग के तैयार किया जाए, तो उसमें सवार सैकड़ों यात्रियों की ज़िंदगी किसी लॉटरी से कम नहीं होती। कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है। और जब यह अनहोनी हो ही जाए, तो यह एक चेतावनी बन जाती है—सिस्टम को सुधारिए, नहीं तो अगली बार नुकसान और भी बड़ा हो सकता है।

यहां पर सवाल उठता है कि एयर इंडिया जैसे विशाल संगठन में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? टाटा ग्रुप के अधिग्रहण के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब एयर इंडिया एक नई उड़ान भरेगा, सुरक्षा के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर की मिसाल बनेगा। लेकिन ये हादसा और उसके बाद की रिपोर्ट ने इन उम्मीदों को बुरी तरह झकझोर दिया है। और यह भी दिखाया है कि सिर्फ निजीकरण ही काफी नहीं होता, जब तक सिस्टम के भीतर काम करने वालों की जवाबदेही तय न की जाए।

Payal Arora की प्रोफाइल पर अगर गौर करें, तो वह एक अनुभवी अधिकारी मानी जाती हैं। लेकिन यही अनुभव अगर नियमों को तोड़ने का साहस दे दे, तो वह जिम्मेदारी नहीं, बल्कि घातक बन जाता है। डीजीसीए ने यह साफ कर दिया है कि Payal Arora के नेतृत्व में जो गलतियां हुईं, वह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि प्रणालीगत विफलता थी।

अब मामला सिर्फ एक रिपोर्ट का नहीं है। अब सवाल है—क्या एयर इंडिया इस रिपोर्ट के आधार पर अंदरूनी जांच करेगा? क्या Payal Arora और बाकी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी? या फिर यह मामला भी उन हजारों सरकारी रिपोर्टों की तरह इतिहास में दब जाएगा, जहां हादसे तो दर्ज होते हैं, लेकिन जिम्मेदारों को कभी सज़ा नहीं मिलती?

देश की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइन में ऐसी लापरवाही, और फिर उस पर रिपोर्ट में आए तथ्यों ने हर यात्री को एक सवाल पूछने पर मजबूर कर दिया है—क्या हम वाकई सुरक्षित हैं? क्या वो महिला अधिकारी, जिनके हाथ में हमारी उड़ानों का भविष्य है, वे सचमुच उस जिम्मेदारी को समझती हैं? क्या Payal Arora के खिलाफ अब कोई कड़ा कदम उठाया जाएगा या फिर एक और नाम चुपचाप सिस्टम में गुम हो जाएगा?

Conclusion

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