Site icon

Tariff नीति से बदलेंगे अमेरिका-चीन व्यापार संबंध, नए अवसर या बढ़ता तनाव? 2025

Tariff

नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए, एक ऐसी दुनिया जहां दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आमने-सामने खड़ी हैं। व्यापार, Investment और बाजार सब कुछ दांव पर लगा हुआ है। एक तरफ वाशिंगटन में बैठे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं, जो ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर अडिग हैं और चीन पर लगातार Tariff बढ़ा रहे हैं। दूसरी तरफ बीजिंग में शी जिनपिंग हैं, जो न केवल जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं, बल्कि अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार हैं।

ये कोई साधारण व्यापारिक तनातनी नहीं, बल्कि एक ऐसी लड़ाई है जो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को हिला सकती है। सवाल ये है कि इस बार इस Tariff वार का अंजाम क्या होगा? क्या अमेरिका इस लड़ाई में जीत पाएगा, या फिर चीन एक ऐसा दांव खेलेगा, जिससे अमेरिका खुद ही अपने फैसले पर पछताने लगेगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में चीन से आने वाले सामानों पर 10% अतिरिक्त Tariff लगाने की घोषणा की थी। यह कोई पहला मौका नहीं था जब अमेरिका ने चीन पर Tariff बढ़ाया हो। 2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने इसी तरह के कदम उठाए थे, जिससे चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक युद्ध की शुरुआत हुई थी। तब से अब तक दोनों देशों ने एक-दूसरे के Products पर अरबों डॉलर के Tariff लगाए हैं, और इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। इस बार भी कहानी कुछ अलग नहीं है।

जैसे ही ट्रंप प्रशासन ने चीनी Products पर 10% अतिरिक्त Tariff लगाने की घोषणा की, बीजिंग ने तुरंत जवाबी कदम उठाया। चीन ने अमेरिकी Products पर 15% तक का अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है। यह कदम केवल Tariff तक सीमित नहीं था। चीन ने अमेरिका के खिलाफ World Trade Organization (WTO) में कानूनी कार्रवाई भी शुरू कर दी है। चीन का कहना है कि अमेरिका के इस फैसले से बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली कमजोर होती है और अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

Chinese Customs Commission ने साफ कर दिया है कि चीन 10 मार्च 2025 से अमेरिका से Imported, कुछ Products पर 15% तक की अतिरिक्त शुल्क दरें लागू करेगा। इनमें से कुछ प्रमुख Products पर अलग-अलग शुल्क लगाए गए हैं। जैसे चिकन, गेहूं, मक्का और कपास पर 15% टैक्स लगेगा, जबकि ज्वार, सोयाबीन, सुअर का मांस, गोवंश का मांस, जलीय Product, फल, सब्जियां और डेयरी प्रोडक्ट्स पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर अमेरिकी किसानों और food industry पर भारी पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिका के कृषि Products का एक बड़ा हिस्सा चीन को Export किया जाता है।

इसके अलावा, चीन ने 10 अमेरिकी कंपनियों को ‘गैर-भरोसेमंद इकाई’ सूची में डाल दिया है। इसका मतलब ये है कि अब इन कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। ये कंपनियां रक्षा, सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), Aviation और आईटी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जुड़ी हुई हैं। इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने से चीन अमेरिका की टेक इंडस्ट्री और रक्षा क्षेत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।

चीन का ये कदम केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिका की कई टेक कंपनियां चीन में बड़ी मात्रा में अपने Product बेचती हैं और वहां से कल-पुर्जे Import भी करती हैं। अगर चीन ने इन कंपनियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया, तो इसका सीधा असर अमेरिकी टेक इंडस्ट्री पर पड़ेगा। एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए चीन एक बहुत बड़ा बाजार है। अगर चीन इन पर और सख्ती करता है, तो अमेरिका को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है।

हालांकि, इस Tariff युद्ध में एक और बड़ा मुद्दा उभरकर सामने आ रहा है—अमेरिकी डॉलर की Global स्थिति। चीन ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता, कम करने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है। बीजिंग अब अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के साथ युआन में व्यापार करने की रणनीति अपना रहा है।

अगर चीन ने बड़े स्तर पर अमेरिकी डॉलर का बहिष्कार करना शुरू कर दिया, तो इससे अमेरिका की वित्तीय स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। डॉलर की Global प्रभुत्वता अमेरिका के लिए एक ताकत रही है, लेकिन अगर चीन इस दिशा में आगे बढ़ा, तो यह अमेरिका के लिए एक नई आर्थिक चुनौती पैदा कर सकता है।

इसके अलावा, इस संघर्ष का एक और अहम पहलू यह है कि अब अन्य देश भी इस टकराव का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं। भारत, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश अब अपनी Export क्षमता बढ़ाने और Global बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन यदि अमेरिकी Products पर प्रतिबंध लगाता है, तो उसकी जगह लेने के लिए ये देश तैयार हैं। इसी तरह, अमेरिका भी चीन के विकल्प तलाशने में जुटा हुआ है। यह स्थिति Global व्यापार समीकरण को पूरी तरह से बदल सकती है। इससे न केवल अमेरिका और चीन के लिए नई चुनौतियां खड़ी होंगी, बल्कि अन्य देशों के लिए भी नए अवसर पैदा होंगे।

अब सवाल उठता है कि ट्रंप इस पूरी स्थिति से कैसे निपटेंगे? क्या वे चीन पर और ज्यादा Tariff लगाएंगे, या फिर बातचीत का रास्ता अपनाएंगे? फिलहाल तो ट्रंप के रुख से ऐसा लगता है कि वे झुकने के मूड में नहीं हैं। उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत वे चीन को यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है, और उसे अपने नियमों से चलने की आदत डालनी होगी। लेकिन क्या यह इतना आसान होगा?

अगर इतिहास को देखा जाए, तो चीन हमेशा से लंबी रणनीति के तहत चलता है। बीजिंग को पता है कि अगर अमेरिका ने Tariff लगाया है, तो उसे भी जवाब देना ही होगा। यही वजह है कि चीन ने एकतरफा प्रतिक्रिया देने की बजाय पूरी योजना बनाकर जवाबी कार्रवाई की है। चीन ने अमेरिकी कृषि Products पर Tariff बढ़ाने के साथ-साथ टेक्नोलॉजी कंपनियों को भी निशाने पर लिया है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी।

इसके अलावा, चीन का एक और बड़ा हथियार है – रेयर अर्थ मेटल्स। ये वे दुर्लभ धातुएं हैं जिनका इस्तेमाल स्मार्टफोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक कारों, रक्षा उपकरणों और अन्य हाई-टेक Products में किया जाता है। चीन दुनिया में रेयर अर्थ मेटल्स का सबसे बड़ा सप्लायर है और अगर उसने अमेरिका को इनकी सप्लाई रोक दी, तो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री गंभीर संकट में आ सकती है।

लेकिन यह विवाद केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। जब दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आपस में भिड़ती हैं, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। इस Tariff युद्ध का प्रभाव यूरोप, भारत, जापान और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी देखने को मिलेगा। अगर यह विवाद और गहरा हुआ, तो Global बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे Investors का भरोसा डगमगा सकता है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इस आर्थिक जंग में वाकई चीन पर हावी हो सकता है, या फिर बीजिंग के जवाबी कदम उसे भारी पड़ेंगे? क्या ट्रंप प्रशासन अपने फैसले पर कायम रहेगा, या फिर चीन की ओर से मिल रही कड़ी प्रतिक्रिया के बाद कोई नरम रुख अपनाएगा? इस टकराव का नतीजा आने वाले महीनों में साफ हो सकता है, लेकिन एक बात तो तय है – यह व्यापार युद्ध इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है।

Conclusion

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love
Exit mobile version