नमस्कार दोस्तों, कल्पना कीजिए कि आप किसी कॉफी शॉप से एक कप गर्म कॉफी लेकर निकल रहे हैं। आपने सोचा होगा कि Starbucks कॉफी आपको एक ताजगी देगी, आपका मूड फ्रेश करेगी। लेकिन अचानक वह गर्म कॉफी आपके हाथ से गिर जाती है और गर्मी की वजह से आपकी Skin जलने लगती है। आप दर्द से चीख पड़ते हैं और अस्पताल में इलाज कराना पड़ता है।
इसके बाद आप क्या सोचेंगे? शायद यही कि यह आपकी गलती थी या फिर आप अपनी किस्मत को कोसेंगे। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि ऐसी ही एक घटना में एक व्यक्ति को 434 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला है, तो क्या आप इस पर यकीन करेंगे? जी हां, यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक सच्ची घटना है। यह मामला अमेरिका का है, जहां (Starbucks) ने एक ग्राहक को गर्म कॉफी गिरने के कारण करीब 434 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है।
सवाल यह है कि आखिर इस मामले की शुरुआत कैसे हुई? एक कप कॉफी गिरने की इतनी बड़ी कीमत कैसे चुकानी पड़ी? और आखिर इस फैसले का असर Starbucks जैसी बड़ी कंपनी पर क्या होगा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
यह कहानी 2020 की है। अमेरिका के एक डिलीवरी ड्राइवर माइकल गार्सिया ने एक दिन Starbucks के ड्राइव-थ्रू से कॉफी का ऑर्डर दिया। उन्होंने तीन कप कॉफी का ऑर्डर किया था। स्टारबक्स की सर्वर (बरिस्ता) ने उन्हें तीनों कप थमाए। माइकल ने जैसे ही कप हाथ में लिए, तभी एक कप का ढक्कन खुल गया और गर्म कॉफी सीधे उनके हाथ और शरीर पर गिर गई।
कॉफी इतनी गर्म थी कि उनकी Skin तुरंत जलने लगी। माइकल गार्सिया के शरीर के कई हिस्सों पर (Third Degree Burn) हो गए। दर्द से तड़पते हुए गार्सिया को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टर्स ने बताया कि जलन इतनी गहरी थी कि उनकी Skin पूरी तरह से झुलस चुकी थी। उन्हें प्लास्टिक सर्जरी की जरूरत पड़ी।
इस घटना के बाद माइकल गार्सिया ने सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने आरोप लगाया कि Starbucks ने उन्हें जो कॉफी दी थी, उसका ढक्कन ठीक से बंद नहीं था। यह स्टारबक्स की लापरवाही थी, जिसकी वजह से उन्हें इतना बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। गार्सिया के वकीलों ने कोर्ट में बताया कि इस घटना के कारण माइकल को थर्ड डिग्री बर्न हुए, जिससे उनकी (Nerves) डैमेज हो गईं।
उनकी Skin का रंग और बनावट हमेशा के लिए बदल गई। इस दुर्घटना का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा। गार्सिया लंबे समय तक डिप्रेशन में रहे। उन्हें रोजाना दर्द से जूझना पड़ा। गार्सिया के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि इस दुर्घटना ने माइकल गार्सिया के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान Starbucks ने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की। कंपनी ने कहा कि यह एक सामान्य दुर्घटना थी और इसके लिए कंपनी को दोष नहीं दिया जा सकता। स्टारबक्स ने दावा किया कि कॉफी का ढक्कन ठीक से बंद था और यह गार्सिया की गलती थी कि उन्होंने कप को सही तरीके से नहीं पकड़ा। लेकिन गार्सिया के वकीलों ने Starbucks के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कोर्ट में सबूत पेश किए कि स्टारबक्स के कई आउटलेट्स पर कॉफी के कप के ढक्कन से जुड़ी शिकायतें पहले भी आ चुकी हैं। गार्सिया के वकीलों ने कहा कि Starbucks को इस समस्या के बारे में पहले से पता था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया।
कोर्ट में इस मामले की सुनवाई पांच साल तक चली। गार्सिया के वकीलों ने कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट और वीडियो फुटेज पेश की, जिसमें गार्सिया के शरीर पर पड़े जलने के निशान साफ देखे जा सकते थे। डॉक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया था कि माइकल को थर्ड डिग्री बर्न हुए हैं और उनका शरीर पहले जैसा नहीं रहेगा। इसके अलावा गार्सिया को (Mental Trauma) भी झेलना पड़ा।
आखिरकार, कोर्ट ने गार्सिया के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने Starbucks को आदेश दिया कि वह माइकल गार्सिया को 5 करोड़ डॉलर यानी करीब 434 करोड़ रुपये का मुआवजा दे। कोर्ट ने कहा कि स्टारबक्स की लापरवाही के कारण माइकल गार्सिया को गंभीर शारीरिक और मानसिक नुकसान झेलना पड़ा, जिसकी भरपाई कंपनी को करनी होगी।
इस फैसले के बाद Starbucks के लिए स्थिति बहुत मुश्किल हो गई। कंपनी ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई। स्टारबक्स का कहना था कि इतनी बड़ी रकम का मुआवजा देना उचित नहीं है।
कंपनी ने कहा कि यह मामला कोर्ट के बाहर सुलझाया जा सकता था। दरअसल, इस मामले के दौरान Starbucks ने कई बार गार्सिया को समझौते का प्रस्ताव दिया था। पहले कंपनी ने गार्सिया को 30 लाख डॉलर यानी करीब 26 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। जब गार्सिया ने इसे ठुकरा दिया, तो कंपनी ने 3 करोड़ डॉलर यानी करीब 261 करोड़ रुपये की पेशकश की। लेकिन गार्सिया ने इसे भी ठुकरा दिया।
गार्सिया ने Starbucks के सामने तीन प्रमुख शर्तें रखी थीं। पहली शर्त यह थी कि स्टारबक्स सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। दूसरी शर्त थी कि स्टारबक्स अपनी सुरक्षा नीतियों में बदलाव करे और सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।
तीसरी शर्त यह थी कि स्टारबक्स अपने स्टाफ को ग्राहकों को गर्म ड्रिंक सर्व करने से पहले सेफ्टी चेकिंग की ट्रेनिंग दे। Starbucks ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया। गार्सिया ने कहा कि मुआवजा एक बात है, लेकिन भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्टारबक्स को अपनी नीतियों में बदलाव करना चाहिए।
हालांकि, कोर्ट के इस फैसले के बाद Starbucks की छवि को गहरा झटका लगा है। कंपनी की सुरक्षा नीतियों और ग्राहक सेवा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले भी स्टारबक्स पर ग्राहक सेवा और प्रोडक्ट क्वालिटी को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन यह मामला इतना बड़ा था कि इससे कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।
गार्सिया का कहना है कि पैसा उनकी जिंदगी में आए नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता। लेकिन इस फैसले से एक बड़ा संदेश गया है कि ग्राहकों की सुरक्षा सबसे ऊपर है। किसी भी बड़ी कंपनी को अपने ग्राहकों की सुरक्षा को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि ग्राहक की सुरक्षा से समझौता करने की गलती कितनी भारी पड़ सकती है।
इस फैसले के बाद Starbucks ने कहा कि वह इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। लेकिन इस मामले ने कॉर्पोरेट सेक्टर को एक बड़ा सबक सिखाया है। Customer service और Product safety से समझौता करने की गलती कितनी महंगी पड़ सकती है, यह मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है। माइकल गार्सिया को मिले इस मुआवजे ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं। यह मामला हर बड़ी कंपनी के लिए एक चेतावनी है कि ग्राहक की सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि एक छोटी सी गलती, कंपनी के लिए करोड़ों रुपये के नुकसान का कारण बन सकती है।
Conclusion
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