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Middle Class Benefits: Standard Deduction मिडिल क्लास के लिए बजट 2025 में टैक्स बचाने का सुनहरा मौका I

Standard Deduction

नमस्कार दोस्तों, हर साल जब आम बजट पेश होता है, तो नौकरीपेशा लोगों की सबसे बड़ी चिंता यही होती है कि इस बार उन्हें टैक्स में कितनी राहत मिलेगी। आम आदमी की कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार को जाता है, और बची हुई रकम से घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, लोन की किस्तें और रोजमर्रा के खर्च पूरे करने होते हैं। ऐसे में, अगर सरकार कोई ऐसी योजना लेकर आए जो सीधे तौर पर टैक्स लायबिलिटी कम करे, तो यह निश्चित रूप से मिडिल क्लास के लिए राहत भरी खबर होती है।

इस साल मोदी सरकार 3.0 के पहले पूर्ण बजट में मिडिल क्लास को टैक्स में बड़ी राहत देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। इस बजट में सरकार ने घोषणा की है कि नई टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही, Standard Deduction की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है। यह घोषणा उन लाखों सैलरीड कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है, जो हर महीने अपनी मेहनत की कमाई में से एक बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में चुकाते हैं।

यह फैसला उन लोगों को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगा जो प्राइवेट या सरकारी नौकरी कर रहे हैं, और उनकी सैलरी एक निश्चित सीमा से अधिक है। Standard Deduction का सीधा मतलब यह है कि, अब 12,75,000 रुपये तक की सालाना सैलरी वालों को इनकम टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। इस फैसले के बाद नौकरीपेशा लोगों की टैक्स लायबिलिटी कम होगी और उनकी बचत में बढ़ोतरी होगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Standard Deduction क्या है और यह नौकरीपेशा लोगों को कैसे फायदा पहुंचाता है?

Standard Deduction एक ऐसी Tax Exemption है, जो सैलरीड टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स को मिलती है। यह एक निश्चित राशि होती है, जिसे व्यक्ति की कुल इनकम में से घटा दिया जाता है, जिससे उसकी Taxable Income कम हो जाती है। जब टैक्सेबल इनकम कम होगी, तो स्वाभाविक रूप से व्यक्ति की टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाएगी।

सरल भाषा में समझें, तो अगर किसी व्यक्ति की सालाना सैलरी 10 लाख रुपये है और सरकार ने Standard Deduction 75,000 रुपये तय किया है, तो उसकी टैक्सेबल इनकम 10 लाख रुपये की जगह 9,25,000 रुपये मानी जाएगी। इससे उसकी टैक्स लायबिलिटी घट जाएगी और उसे सरकार को कम टैक्स चुकाना होगा।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि Standard Deduction का दावा करने के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होती। आमतौर पर टैक्स छूट लेने के लिए हमें इंश्योरेंस की रसीदें, Investment Certificate और कई अन्य दस्तावेज देने पड़ते हैं, लेकिन Standard Deduction पूरी तरह से एक निश्चित राशि के रूप में तय किया जाता है, और हर सैलरीड व्यक्ति को यह स्वतः मिल जाता है।

सरकार ने इसे इसलिए लागू किया है ताकि नौकरीपेशा लोगों को टैक्स में राहत मिले और उनकी डिस्पोजेबल इनकम यानी खर्च करने योग्य आय में बढ़ोतरी हो। जब लोगों के पास ज्यादा पैसे बचेंगे, तो वे अधिक खर्च कर सकेंगे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

Standard Deduction की शुरुआत कब हुई और इसमें क्या बदलाव हुए?

Standard Deduction को सबसे पहले 1974 में लागू किया गया था। उस समय यह एक अहम tax छूट थी, जो नौकरीपेशा लोगों को उनकी इनकम पर राहत देने के लिए दी जाती थी। लेकिन 2005 में इसे समाप्त कर दिया गया, जिससे नौकरीपेशा लोगों की टैक्स लायबिलिटी अचानक बढ़ गई।

फिर 2018 के बजट में इसे दोबारा लागू किया गया और उस समय इसकी सीमा 40,000 रुपये रखी गई थी। अगले कुछ वर्षों में इसे 50,000 रुपये तक बढ़ाया गया। अब, 2025 के बजट में सरकार ने इसे 75,000 रुपये तक कर दिया है, जो कि एक ऐतिहासिक बदलाव है। इस बदलाव का सीधा असर करोड़ों टैक्सपेयर्स पर पड़ेगा। अब नौकरीपेशा लोगों को अधिक टैक्स बचाने का मौका मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

Standard Deduction और अन्य Tax exemption में क्या अंतर है?

टैक्स में छूट पाने के कई तरीके होते हैं, लेकिन अधिकतर डिडक्शन (जैसे सेक्शन 80C, HRA, मेडिकल इंश्योरेंस) का फायदा लेने के लिए हमें कुछ शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप 80C के तहत टैक्स बचाना चाहते हैं, तो आपको PPF, LIC, EPF, होम लोन आदि में Investment करना होगा।

इसी तरह, अगर आप HRA (House Rent Allowance) का दावा करना चाहते हैं, तो आपको किराए की रसीद देनी होगी। लेकिन Standard Deduction का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए किसी तरह की शर्त पूरी करने की जरूरत नहीं होती। आपको कहीं Investment करने की जरूरत नहीं, न ही किसी तरह का खर्च दिखाने की जरूरत होती है। यह सभी सैलरीड टैक्सपेयर्स को स्वतः मिलता है, जिससे टैक्स बचाने की प्रक्रिया आसान हो जाती है।

Standard Deduction का दावा कैसे करें?

अगर आप नौकरी करते हैं, तो आपकी कंपनी आपको हर साल Form 16 देती है। यह एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें आपकी सैलरी, टैक्सेबल इनकम और कटौतियों की पूरी जानकारी होती है।

जब आप Income Tax Return (ITR) फाइल करते हैं, तो आपको अलग से Standard Deduction का दावा करने की जरूरत नहीं होती। यह आपकी कंपनी द्वारा पहले से ही आपकी सैलरी से घटा दिया जाता है और आपकी टैक्सेबल इनकम उसी के अनुसार तय की जाती है।

अगर आपकी सैलरी 12,75,000 रुपये है और आप नई टैक्स रिजीम चुनते हैं, तो आपको 75,000 रुपये का Standard Deduction मिलेगा। यानी आपकी टैक्सेबल इनकम 12 लाख रुपये रह जाएगी, और इस बजट के मुताबिक 12 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।

मिडिल क्लास को इस फैसले से कितना फायदा होगा?

सरकार के इस फैसले से सबसे बड़ा फायदा मिडिल क्लास और नौकरीपेशा लोगों को मिलेगा। पहले, अगर किसी व्यक्ति की सालाना सैलरी 12 लाख रुपये होती थी, तो उसे टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब, Standard Deduction के कारण, 12,75,000 रुपये तक की सैलरी वालों को इनकम टैक्स नहीं भरना होगा। इससे लाखों लोगों की बचत में इजाफा होगा। लोग ज्यादा पैसे बचा सकेंगे और उसे अपने खर्चों में उपयोग कर सकेंगे। इससे न केवल उनका जीवन स्तर बेहतर होगा, बल्कि वे अधिक Investment भी कर सकेंगे, जिससे भविष्य में उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।

आपको पुरानी टैक्स रिजीम चुननी चाहिए या नई?

अगर आप ज्यादा बचत करना चाहते हैं और आपकी सैलरी 12,75,000 रुपये तक है, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इसमें टैक्स स्लैब कम हैं और Standard Deduction ज्यादा है। अगर आपकी सैलरी इससे ज्यादा है और आप LIC, PPF, होम लोन, मेडिकल इंश्योरेंस आदि में ज्यादा Investment करते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

Conclusion

तो दोस्तों, मोदी सरकार ने इस बजट में मिडिल क्लास और नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ी राहत दी है। Standard Deduction को 75,000 रुपये तक बढ़ाने से करोड़ों टैक्सपेयर्स को फायदा होगा। अब नौकरीपेशा लोगों को 12,75,000 रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इससे उनकी बचत बढ़ेगी और वे अपने खर्चों को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकेंगे। यह बजट मिडिल क्लास के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। अब यह आपके ऊपर है कि आप सही टैक्स रिजीम चुनें और अपनी मेहनत की कमाई को बचाने का पूरा फायदा उठाएं!

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