एक ऐसा देश जो खुद को मुस्लिम वर्ल्ड का नेता बताता है, परमाणु शक्ति होने का दावा करता है, संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के लिए भाषण देता है, लेकिन उसकी असलियत कुछ और ही बयां करती है। वो असलियत इतनी चौंकाने वाली है कि वहां के भिखारी आज हवेली, SUV और स्विमिंग पूल के मालिक बन चुके हैं। और यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि Pakistan सरकार की खुद की संसद में दी गई जानकारी है।
इस्लामाबाद ने स्वीकार किया है कि 2024 के शुरुआती महीनों में ही दुनिया भर से करीब 5,000 पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजा गया। यह सच अब सामने आ चुका है कि Pakistan में भीख मांगना सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं बल्कि एक सुनियोजित कारोबार बन चुका है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
आपको शायद यकीन न हो लेकिन Pakistan के भिखारी अब पारंपरिक कपड़ों में नहीं, बल्कि कारोबारी अंदाज में पेशेवर भीख मांगते हैं। कुछ महीनों पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक Pakistan डॉक्टर महिला ने खुलासा किया था कि उसकी शादी एक शाही भिखारी परिवार में हुई है। उसने बताया कि उसके ससुराल वालों के पास न केवल एक आलीशान हवेली है, बल्कि SUV गाड़ियां, स्विमिंग पूल और हर वह सुविधा मौजूद है जो एक अमीर परिवार में होती है। और यह सब कुछ किसी व्यापार, नौकरी या विरासत से नहीं बल्कि भीख के पैसों से खरीदा गया है।
Pakistan में भिखारियों को अब दो वर्गों में बांटा जा सकता है। पहले वो जो स्थानीय हैं और सड़कों, बाज़ारों और धार्मिक स्थलों पर खड़े होकर भीख मांगते हैं। दूसरा वर्ग है प्रोफेशनल भिखारियों का जो देश की सीमाएं लांघकर विदेशों में भीख मांगने निकलते हैं। और यहीं से शुरू होता है एक ऐसा नेटवर्क, जिसे देखकर आप सोच में पड़ जाएंगे कि यह कोई संगठित अपराध है या फिर राष्ट्र समर्थित धंधा। सऊदी अरब, यूएई, मलेशिया जैसे देशों से बड़ी संख्या में पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट किया गया है। और सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा है—सिर्फ सऊदी अरब से 4,498 पाकिस्तानी भिखारी 2024 में वापस भेजे गए।
इन तथाकथित भिखारियों का भीख मांगने का तरीका आम नहीं होता। ये लोग बाकायदा किराए पर बच्चे लेते हैं, महिलाओं को सामने करते हैं, धार्मिक भावनाओं से खेलते हैं और ऐसे कपड़े पहनते हैं कि सामने वाला तुरंत दया दिखा दे। इनके पास स्क्रिप्ट होती है, लोकेशन चुनी जाती है और हफ्तेभर का ‘कलेक्शन’ एक जगह जमा होता है। फिर यही पैसा हवेली और SUV खरीदने में इस्तेमाल होता है। क्या आपने कभी सोचा था कि एक देश की अर्थव्यवस्था इस स्तर पर आ गिरेगी कि भीख मांगना वहां का सबसे लाभकारी ‘उद्योग’ बन जाएगा?
Pakistan का गृह मंत्रालय खुद यह मानता है कि भीख मांगने के इस पेशे में प्रोफेशनलिज्म आ चुका है। इनके पास पासपोर्ट से लेकर मेडिकल सर्टिफिकेट तक, हर दस्तावेज़ तैयार रहता है ताकि ये आसानी से विदेशों में घुस सकें। वहां जाकर ये लोग भीख मांगने लगते हैं और जब पकड़े जाते हैं तो पाकिस्तान सरकार उन्हें वापस लाने की जिम्मेदारी भी नहीं लेती। नतीजा यह होता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Pakistan की छवि और भी खराब होती है। कई देशों ने अब पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा देने में अतिरिक्त सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
ये स्थिति तब और शर्मनाक हो जाती है जब Pakistan के नेताओं को संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर, कश्मीर के लिए भाषण देते हुए देखा जाता है। जबकि उनके देश के नागरिक भीख मांगने के लिए पूरी दुनिया में बदनाम हो रहे हैं। भारत के रक्षा मंत्री ने इसी संदर्भ में एक तीखा बयान दिया था कि “जहां भी पाकिस्तान खड़ा होता है, भिखारियों की कतार वहीं से शुरू होती है।” पहले ये बयान राजनीतिक बयानबाजी माना गया, लेकिन अब Pakistan सरकार के अपने ही आंकड़ों से यह कथन सत्य प्रतीत हो रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे दिलचस्प बात यह है कि Pakistan में भीख मांगना, अब केवल व्यक्तिगत जरूरत नहीं बल्कि पारिवारिक व्यापार बन चुका है। एक ही परिवार के तीन-तीन सदस्य अलग-अलग देशों में भीख मांगने जाते हैं और फिर मिलकर एक हवेली खरीदते हैं। बच्चों को पढ़ाई या खेल-कूद के लिए नहीं बल्कि सहानुभूति बटोरने के लिए साथ ले जाया जाता है। महिलाओं को हिजाब पहनाकर दुकानों और मस्जिदों के बाहर खड़ा किया जाता है। यह सब देखकर तो यही लगता है कि Pakistan ने भीख को एक ‘ब्रांड’ बना दिया है, और इस ब्रांड के नाम पर अब हवेली और SUV खरीदी जाती हैं।
इस्लामिक देशों में धार्मिक भावनाएं अधिक होती हैं और इन्हीं भावनाओं को भुनाने के लिए पाकिस्तानी भिखारी रणनीति बनाते हैं। रमजान के महीने में इनका नेटवर्क और सक्रिय हो जाता है, क्योंकि दान देने की भावना चरम पर होती है। इसी मौके का फायदा उठाकर ये अपने कलेक्शन को दोगुना कर लेते हैं। इतना ही नहीं, Pakistan में इन भिखारियों को ट्रेन्ड करने वाले गिरोह भी हैं, जो इन्हें सिखाते हैं कि किस देश में किस तरह के कपड़े पहनने हैं, किस भाषा में मदद मांगनी है और किन धार्मिक स्थलों पर खड़ा होना है।
जब एक मुल्क की हालत इतनी गिर जाए कि उसका नागरिकता प्रमाणपत्र भी केवल भीख मांगने के लिए उपयोग हो, तो यह केवल आर्थिक संकट नहीं बल्कि नैतिक पतन का संकेत है। Pakistan की सरकार भले ही IMF से अरबों डॉलर का कर्ज मांगती हो, लेकिन उसका नागरिक विदेशी जमीन पर भीख मांगकर करोड़ों का कारोबार चला रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान एक देश है या एक ‘बिकाऊ’ पहचान पत्र? क्या यहां की व्यवस्था इतनी खोखली हो चुकी है कि उसे अब अपने नागरिकों की गतिविधियों पर भी नियंत्रण नहीं रहा?
Pakistan के पास इस शर्मिंदगी से निकलने का एक ही रास्ता है—अपनी आंतरिक व्यवस्था को मजबूत करना, रोजगार के अवसर पैदा करना और सबसे जरूरी, अपनी छवि को सुधारना। लेकिन वर्तमान हालात देखकर यह कहना मुश्किल नहीं कि Pakistan के लिए अब यह एक सामाजिक बीमारी बन चुका है। एक ऐसी बीमारी जो न केवल उसकी विदेश नीति को प्रभावित कर रही है बल्कि दुनिया में उसके नागरिकों की विश्वसनीयता को भी खत्म कर रही है।
भारत, जो हमेशा Pakistan से तुलना में आगे रहा है, उसके लिए यह एक सबक है कि गरीबी और बेरोजगारी का समाधान केवल आर्थिक नीतियों से नहीं होता, बल्कि सामाजिक चेतना और आत्मसम्मान से भी होता है। पाकिस्तान को अब खुद से पूछना होगा कि क्या वह वाकई एक राष्ट्र है या फिर एक संगठित भिक्षावृत्ति केंद्र?
आज जब Pakistan के नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर सिर्फ इसलिए रोका जाता है कि वे ‘भिखारी’ हो सकते हैं, तो यह किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे देश की विफलता है। यह स्थिति केवल हंसी का पात्र नहीं, बल्कि गहराई से सोचने का विषय है। क्या यह वही देश है जिसने भारत को 1,000 साल तक युद्ध की धमकी दी थी? क्या यह वही मुल्क है जिसने परमाणु बम के दम पर खुद को मुस्लिम दुनिया का नेता बताया था?
लेकिन आज जब एक डॉक्टर की पत्नी यह कहती है कि उसका पति एक शाही भिखारी निकला, तो पूरा मुल्क कटघरे में खड़ा होता है। यह समय पाकिस्तान के लिए आत्ममंथन का है। अगर अब भी वह चेत नहीं पाया, तो आने वाले समय में उसके पास न गर्व करने लायक इतिहास रहेगा, न उम्मीद जगाने वाला भविष्य।
Conclusion
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