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Crypto से Gold ख़रीद और बैंकिंग! पाकिस्तान ने दिखाई नई राह जो भारत को भी सोचने पर मजबूर कर दे।

Crypto

क्या कभी आपने सोचा है कि अगर कोई देश बर्बादी के कगार पर हो, उसकी तिजोरी खाली हो, बैंक दिवालिया हों, और जनता हताश हो—तो वो देश अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कौन-सा रास्ता अपनाएगा? IMF के दरवाज़े बार-बार खटखटाने के बाद, जब सारे पारंपरिक रास्ते बंद हो जाएं, तब क्या कोई देश क्रिप्टोकरेंसी जैसे अनिश्चित, Risk भरे लेकिन तेज़ रफ्तार रास्ते को अपनाने की कोशिश करेगा? पाकिस्तान ठीक यही कर रहा है।

मगर ये सिर्फ़ एक टेक्नोलॉजिकल कदम नहीं है—ये पाकिस्तान के अस्तित्व और उसकी आर्थिक सांसों की लड़ाई है। और इसी लड़ाई की पृष्ठभूमि में एक नई कहानी जन्म ले रही है—Crypto की वो कहानी जो सोने की खरीद से लेकर बैंकों की सांसों तक, हर जगह अपनी जगह बनाने वाली है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि बीते दिनों पाकिस्तान की सत्ता के गलियारों में एक ऐसी बैठक हुई, जो आगे चलकर न सिर्फ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बल्कि उसके समाज को भी बदल सकती है। इस हाई लेवल मीटिंग में पाकिस्तान Crypto काउंसिल के सीईओ बिलाल बिन साकिब ने एक विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया। लेकिन यह सिर्फ़ कोई कॉरपोरेट प्रेजेंटेशन नहीं था—यह एक योजना थी, एक प्लान था कि कैसे पाकिस्तान की टूटती हुई माली हालत को Crypto के सहारे संजीवनी दी जा सकती है। यह प्लान कोई इत्तेफाक नहीं था, बल्कि इसके पीछे महीनों की रणनीति और एक बहुत बड़ा एजेंडा छिपा है।

बिलाल बिन साकिब सिर्फ एकCrypto एंथुजियास्ट नहीं हैं। मई में उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का स्पेशल असिस्टेंट बनाया गया, और राज्य मंत्री का दर्जा भी दिया गया। यानी अब क्रिप्टो कोई बाहरी विचार नहीं, बल्कि सरकार का आधिकारिक प्लान बन चुका है। और इसका मक़सद है—क्रिप्टोकरेंसी को पाकिस्तान के बैंकिंग सिस्टम, गोल्ड ट्रेडिंग, और फॉरेन एक्सचेंज फर्मों में लागू करना। सोचिए, एक देश जहां डॉलर की किल्लत इतनी है कि अस्पतालों में दवाएं तक नहीं पहुंच रहीं, वहां अब गोल्ड की ख़रीद क्रिप्टो से की जाएगी।

इस पूरी कवायद का मकसद साफ़ है—पाकिस्तान Crypto को सिर्फ डिजिटल करेंसी नहीं, बल्कि ‘फाइनेंशियल रिवाइवल’ की कुंजी मान रहा है। सरकार चाहती है कि क्रिप्टो सिर्फ़ लोगों की जेब में न रहे, बल्कि सरकारी बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा बने। वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान के बैंक Crypto को डिपॉजिट या विड्रॉल के तौर पर एक्सेप्ट करने लगेंगे। लेकिन इतना सब कुछ अचानक क्यों? क्यों पाकिस्तान इतनी हड़बड़ी में है, जबकि पूरी दुनिया अभी भी इसे रेगुलेट करने से कतराती है?

असल में, इस तेज़ी के पीछे तीन बहुत बड़े कारण हैं। पहला और सबसे बड़ा कारण है पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था। देश दिवालिएपन की कगार पर है। IMF और वर्ल्ड बैंक के सामने बार-बार हाथ फैलाने के बावजूद पैसा आ नहीं रहा। ऐसे में Crypto पाकिस्तान के लिए नया दरवाज़ा बन सकता है—जहां बिना मध्यस्थता, तेज़, और ग्लोबल ट्रांजेक्शन हो सकते हैं। सरकार को उम्मीद है कि अगर लोग Crypto में लेनदेन करने लगें, तो Foreign investors भी आकर्षित होंगे, और देश की डूबती नैया संभल सकती है।

दूसरा कारण है—बिजली। पाकिस्तान में सरप्लस बिजली का संकट है। हां, आपने सही सुना—‘सरप्लस संकट’। यानी बिजली है, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा। कई इलाके ऐसे हैं जहां बिजली बन तो रही है, पर मांग नहीं है। ऐसे में सरकार ने प्लान बनाया है कि इस फालतू बिजली को बिटकॉइन माइनिंग में इस्तेमाल किया जाए। यानी बिजली से बिटकॉइन पैदा होंगे, और इन बिटकॉइन्स को बेचकर Foreign currency लाई जाएगी। साथ ही डेटा सेंटर्स बनेंगे, जो डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देंगे।

तीसरा कारण है—पाकिस्तान का युवा वर्ग। देश में करोड़ों ऐसे युवा हैं जो न तो बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा करते हैं और न ही सरकारी योजनाओं पर। लेकिन ये वही युवा हैं जो क्रिप्टोकरेंसी, NFT और Web3 जैसी चीज़ों को अपने करियर का हिस्सा बनाना चाहते हैं। सरकार को ये बात समझ में आ गई है कि अगर युवाओं को जोड़ना है, तो टेक्नोलॉजी के रास्ते से ही जोड़ा जा सकता है। और इसलिए Crypto उनके लिए एक ब्रिज बन सकता है—सरकार और नागरिकों के बीच का टेक्नो-संबंध।

इसी दिशा में अब पाकिस्तान की स्टेट बैंक ने भी कमर कस ली है। 9 जुलाई को गवर्नर जमील अहमद ने ऐलान किया कि एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च होने वाला है—डिजिटल करेंसी के लिए। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान अब अपनी खुद की डिजिटल करेंसी शुरू करने जा रहा है, जिसे सरकारी मान्यता प्राप्त होगी। इससे पहले Crypto को अवैध या संदिग्ध माना जाता था, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदलने वाले हैं। कानून का ड्राफ्ट भी लगभग तैयार हो चुका है, और जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा।

अब ज़रा सोचिए—अगर पाकिस्तान सरकार खुद Crypto को अपनाती है, तो क्या होगा? सबसे पहले, यह ब्लैक मनी और हवाला कारोबार पर भी असर डालेगा, जो अभी तक बैंकों के बाहर चलता रहा है। Crypto की ट्रेसबिलिटी इसे ट्रैक करना आसान बनाएगी। दूसरा, यह देश को एक फाइनेंशियल रूप से टेक्नो-एडवांस्ड बनने की दिशा में धकेलेगा। और तीसरा, ये उन देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है जो आर्थिक संकट में हैं और पारंपरिक वित्तीय मॉडल से थक चुके हैं।

लेकिन ये रास्ता कांटों से भरा हुआ है। पाकिस्तान के पास न तो वो टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर है जो जापान या अमेरिका जैसे देशों के पास है, और न ही वो वित्तीय पारदर्शिता जो Crypto को सफल बना सके। एक ओर जहां सरकार इसे Gold trading में लागू करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर अभी तक अधिकतर व्यापारी Crypto के उतार-चढ़ाव से डरते हैं। बिटकॉइन हो या एथेरियम, इनके प्राइस ग्राफ किसी रोलर कोस्टर की तरह ऊपर-नीचे होते रहते हैं।

ऐसे में सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान की सरकार इस Risk को समझ रही है? या फिर वो मजबूरी में एक ऐसा दांव खेल रही है, जो उसके लिए उल्टा भी पड़ सकता है? क्योंकि अगर Crypto इकोनॉमी फेल हुई, तो ना सिर्फ Foreign investors भागेंगे, बल्कि पाकिस्तान की जनता का भरोसा भी हमेशा के लिए उठ जाएगा।

फिर भी, इस पूरी कहानी में एक दिलचस्प पहलू यह है कि पाकिस्तान का यह कदम ‘प्रेरणा’ के बजाय ‘अवसाद’ से उठाया गया है। यानी यह क्रांति आशा से नहीं, निराशा से जन्म ले रही है। जहां एक ओर भारत, अमेरिका और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं अभी क्रिप्टो पर डिबेट कर रही हैं, वहां पाकिस्तान क्रिप्टो को सीधे जमीन पर लागू करने में जुटा है। और यही ‘अतिउत्साह’ कई बार Risk का रूप ले सकता है।

अब ज़रा सोचिए, अगर क्रिप्टोकरेंसी से पाकिस्तान में गोल्ड की खरीद शुरू होती है, तो सोने के व्यापारी क्या करेंगे? क्या वो अपनी तिजोरी को QR code से जोड़ेंगे? क्या कस्बों में बैठा कोई व्यापारी, जिसकी उम्र 60 पार है, बिटकॉइन से लेन-देन करना सीखेगा? और क्या पाकिस्तान की जनसंख्या, जिसमें आधे लोग अब भी स्मार्टफोन का सही इस्तेमाल नहीं जानते, इस डिजिटल जटिलता को संभाल पाएंगे?

ये सभी सवाल आज सिर्फ अटकलें लगते हैं, लेकिन कल की हकीकत बन सकते हैं। क्योंकि जब कोई देश दीवार से पीठ टिकाकर खड़ा हो, तो वो किसी भी दिशा में छलांग लगाने को मजबूर होता है। पाकिस्तान की ये छलांग क्रिप्टो की तरफ है—जो या तो उसे नए युग की ओर ले जाएगी, या फिर एक और आर्थिक भूचाल का रास्ता खोलेगी।

जहां पूरी दुनिया अभी भी क्रिप्टो को लेकर सावधानी बरत रही है, वहीं पाकिस्तान जैसे देश इसे जल्दी में अपनाने को तैयार हैं। और इसकी सबसे बड़ी वजह है—’वक़्त की कमी’। पाकिस्तान के पास अब वक़्त नहीं है। न तो इंतेज़ार करने का, और न ही गलतियां सुधारने का। इसलिए वो हर उस रास्ते को आज़माना चाहता है, जो उसे तुरंत राहत दे सके—even if it means walking on fire.

क्रिप्टो अपनाने का ये सफर पाकिस्तान के लिए न सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल जर्नी है, बल्कि एक इमोशनल भी है। यह सफर उस भरोसे का है जो वो दुनिया से दोबारा पाना चाहता है। उस आत्मविश्वास का है, जो IMF की हर डांट से टूट चुका है। और उस उम्मीद का है, जो हर बार टूटकर भी फिर से जगती है—जैसे आज क्रिप्टो के रूप में।

Conclusion

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