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Inspiring: Moody’s की रिपोर्ट भारत की इकोनॉमी अडिग! ट्रंप के टैरिफ भी नहीं बना सके असर I 2025

Moody's

एक ऐसा वक़्त जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं डगमगाने लगी हैं, ट्रेड वॉर के बाण चारों तरफ से चल रहे हैं, और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश भारत जैसे उभरते राष्ट्रों पर टैरिफ का प्रहार कर रहे हैं। हर न्यूज़ चैनल पर सिर्फ एक ही चर्चा थी—क्या भारत की अर्थव्यवस्था इस झटके को सह पाएगी? क्या डॉलर की चोट से भारतीय रुपया ढहेगा? और सबसे बड़ा सवाल—क्या भारतीय जनता की जेब पर इसका सीधा असर पड़ेगा?

ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे आने वाला वक्त किसी आर्थिक तूफान से कम नहीं होगा। लेकिन ठीक इसी तूफान के बीच, एक रिपोर्ट आई जिसने सारे भ्रम तोड़ दिए और यह साबित कर दिया कि भारत की इकोनॉमी का ‘बाल भी बांका’ नहीं होने वाला। यह रिपोर्ट किसी आम संस्था की नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे भरोसेमंद रेटिंग एजेंसी Moody’s की थी, जिसने भारत की आर्थिक स्थिरता को global platform पर मजबूती से स्थापित कर दिया। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

Moody’s की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत अमेरिकी टैरिफ के असर से न सिर्फ बचा रहेगा, बल्कि उसे इस स्थिति से कुछ हद तक लाभ भी हो सकता है। यह बात अपने आप में दुनिया के लिए एक बड़ा संकेत है कि भारत अब सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि Global अस्थिरता में भी संतुलन बनाए रखने वाली ताकत बन चुका है।

रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि भारत के भीतर का आर्थिक ढांचा इतना मजबूत और विविधतापूर्ण हो चुका है कि, यह अंतरराष्ट्रीय दबावों का सामना न सिर्फ कर सकता है, बल्कि उनसे उभरकर और ज्यादा ताकतवर बन सकता है। और इसकी सबसे बड़ी वजह है भारत का मजबूत घरेलू बाजार और Export पर कम निर्भरता, जो देश को आत्मनिर्भर बनाती है।

भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद अब इतनी मजबूत हो चुकी है कि जब अमेरिका जैसे देश ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए, तब भी भारत की कमर नहीं टूटी। बल्कि सरकार की योजनाएं, लोगों की बढ़ती खर्च करने की क्षमता और उद्योगों की उत्पादन क्षमता ने यह दिखा दिया कि भारत अब Global दबाव में झुकने वाला देश नहीं रहा।

उत्पादन से जुड़ी योजनाएं, छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन, और श्रमशक्ति के नए उपयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत संकट को अवसर में बदल सकता है। यही कारण है कि Moody’s ने कहा कि भारत अमेरिका के टैरिफ और दुनियाभर में व्यापार में हो रही परेशानियों के बावजूद, एक अच्छी स्थिति में है और Long term investors के लिए अब भी भरोसेमंद डेस्टिनेशन बना हुआ है।

Moody’s की रिपोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत को दूसरे देशों को सामान बेचने पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ता, क्योंकि उसकी अपनी घरेलू खपत ही इतनी मजबूत है कि वह अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकती है। एक अरब से अधिक की जनसंख्या, जिसमें बढ़ती हुई मिडिल क्लास और टेक्नोलॉजी अपनाने वाले युवा शामिल हैं, वह भारत की आर्थिक ऊर्जा का मूल स्रोत है। सरकार की नीतियां जैसे उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, बुनियादी ढांचे पर जोर और डिजिटल इंडिया जैसे अभियान भारत को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। इससे न सिर्फ रोजगार के मौके बढ़ेंगे, बल्कि लोगों की खरीदने की क्षमता भी बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था की गति को नया बल मिलेगा और Investors को भरोसा मिलेगा।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अगर महंगाई पर नियंत्रण बना रहता है तो ब्याज दरों में भी गिरावट आ सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को और बल मिलेगा। ब्याज दरों में कटौती का असर केवल बैंकों पर नहीं बल्कि हर उस नागरिक पर होता है जो घर, शिक्षा या व्यवसाय के लिए ऋण लेता है। यानी यह स्पष्ट है कि भारत के लिए सबसे बड़ा कवच उसकी घरेलू मांग, स्थिर वित्तीय प्रणाली और नीतिगत स्थिरता है। यह संयोजन भारत को Global मंदी, व्यापार युद्ध, और Currency volatility जैसे खतरों से सुरक्षित रखता है, जो विकासशील देशों के लिए एक दुर्लभ उपलब्धि मानी जाती है।

यहां तक कि जिन सेक्टर्स पर टैरिफ का सीधा असर पड़ सकता है, जैसे कि ऑटोमोबाइल, उनमें भी भारत ने विकल्प ढूंढ लिए हैं। अमेरिका को Export होने वाले ऑटो पार्ट्स या गाड़ियों की संख्या सीमित है, जबकि भारत का सर्विस सेक्टर लगातार विस्तार कर रहा है। आईटी, हेल्थकेयर, एजुकेशन और फिनटेक जैसी सेवाएं अब भारत के एक्सपोर्ट में बड़ा हिस्सा बन चुकी हैं, जिन पर टैरिफ का असर नहीं पड़ता। इस विविधता ने भारतीय Export को लचीला बनाया है और सरकार की नीतियां इन सेक्टर्स को और मजबूत बना रही हैं।

Moody’s ने यह भी माना कि वर्ष 2025 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.7% से घटकर 6.3% हो सकती है, लेकिन यह कमी मामूली है। क्योंकि इसी समय अन्य G-20 देशों की स्थिति और भी खराब होने वाली है। यानी Global मंदी में भी भारत सबसे तेज रफ्तार से दौड़ता रहेगा। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अब केवल उबरने की नहीं, बल्कि लीड करने की स्थिति में आ चुका है। और यह विश्व में उसकी आर्थिक और राजनीतिक स्वीकार्यता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

भारत सरकार की ओर से की जा रही बुनियादी ढांचे पर भारी Investment की रणनीति का जिक्र करते हुए Moody’s ने कहा कि बिजली, परिवहन और डिजिटल सेक्टर में मजबूत मांग अगले कुछ वर्षों में Heavy capital investment को आकर्षित करेगी। भारत अब केवल manufacturing ही नहीं, बल्कि Innovation का केंद्र बनता जा रहा है। इससे न केवल रोजगार में बढ़ोतरी होगी बल्कि यह भारत की long term ग्रोथ का आधार भी बनेगा, और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भारत को manufacturing के लिए प्राथमिक Destination बनाने में मदद मिलेगी।

सरकार की यह सोच की अब आत्मनिर्भरता ही असली ताकत है, न सिर्फ नारे में बल्कि नीति में भी स्पष्ट रूप से झलकती है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजनाएं अब केवल कागज पर नहीं, ज़मीनी हकीकत बन चुकी हैं। देश का युवा वर्ग, जो कभी नौकरियों के लिए विदेशों की ओर देखता था, अब अपने ही देश में अवसर देख रहा है। यह बदलाव भारत को न केवल आत्मनिर्भर बल्कि रोजगार सृजन में भी Global नेतृत्व की ओर ले जा रहा है।

Moody’s ने भारत की बैंकिंग व्यवस्था को भी स्थिर और मजबूत बताया है। यह अपने आप में बड़ी बात है, क्योंकि Global अस्थिरता के दौर में बैंकिंग सिस्टम का स्थिर रहना किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ को मजबूत बनाता है। अगर ब्याज दरें घटती हैं और ऋण देने की प्रक्रिया आसान होती है, तो इससे उद्योगों और स्टार्टअप्स को नई ऊर्जा मिलेगी। यही ऊर्जा विकास का असली ईंधन है, जिससे Innovation और Production की गति तेज होती है।

हालांकि Moody’s ने कुछ चेतावनियां भी दी हैं। जैसे अगर भारत में Exchange rate में बहुत तेज़ी से उतार-चढ़ाव होता है, तो monetary policy में ढील देना मुश्किल हो सकता है। इससे पूंजी का बहाव प्रभावित हो सकता है और रुपये की कीमत पर दबाव बन सकता है। लेकिन यह समस्या केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि हर उभरती हुई अर्थव्यवस्था इससे जूझ रही है। और भारत की स्थिति तुलनात्मक रूप से अब भी मजबूत है। सरकार की Currency Management Policy और foreign currency reserves की स्थिति इस संकट को नियंत्रण में रखने में सहायक सिद्ध हो रही है।

एक और दिलचस्प बात जो रिपोर्ट में सामने आई वो यह कि बैंकों को Non-interest income से लाभ होगा। मसलन, बीमा सेवाएं, वेल्थ मैनेजमेंट, और बॉन्ड ट्रेडिंग जैसे क्षेत्रों में अवसर बढ़ेंगे। यह संकेत है कि भारत अब पारंपरिक बैंकिंग से आगे बढ़कर एक आधुनिक वित्तीय प्रणाली की ओर अग्रसर है। और इसका असर आम लोगों की आर्थिक समझ और Investment की आदतों पर भी पड़ेगा। यह बदलाव समाज को वित्तीय रूप से अधिक सशक्त और जागरूक बनाएगा, जिससे दीर्घकालिक विकास को स्थायित्व मिलेगा।

रिपोर्ट में इस बात पर भी गौर किया गया कि भारत-पाकिस्तान तनाव का असर भी दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। लेकिन जहां भारत के पास विविध और स्थिर वित्तीय सिस्टम है, वहीं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था Global दबावों से जूझ रही है। ऐसे में भारत को तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्थिर और तैयार माना गया है। यह अंतर भारत के नीति निर्माण, राजनीतिक स्थिरता और Global संबंधों की समझ को दर्शाता है, जो देश को एक सशक्त आर्थिक शक्ति बनाता है। कुल मिलाकर, Moody’s की यह रिपोर्ट एक आश्वस्ति है, एक भरोसा है, और एक दिशा है।

Conclusion

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