Site icon

Mehul Choksi की कहानी में नया मोड़: कैसे SEBI की कार्रवाई से खुला अरबों की हेरा-फेरी का राज! 2025

Mehul Choksi

जब भारत के करोड़ों लोगों को यह यकीन हो चला था कि, Mehul Choksi जैसा शातिर हीरा कारोबारी अब कानून की पकड़ से बाहर ही रहेगा, तभी अचानक एक ऐसा कदम उठाया गया जिसने पूरे देश को चौंका दिया। मार्केट रेगुलेटर सेबी ने सीधे Mehul Choksi के बैंक अकाउंट, म्यूचुअल फंड और शेयरों को कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया।

करोड़ों रुपये की रिकवरी के लिए उठाया गया यह कदम न सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का एक बड़ा मोड़ था, बल्कि देश की न्याय व्यवस्था और आर्थिक पारदर्शिता की ओर एक सख्त संदेश भी। यह उन तमाम Investors और नागरिकों के लिए एक आश्वासन भी था, जो यह सोचते थे कि क्या सफेदपोश अपराधी कभी सज़ा पाएंगे। लेकिन सवाल अब यह उठता है—क्या Mehul Choksi का बच निकलना अब संभव है, या भारत की न्याय प्रणाली उसे वापसी का रास्ता दिखाने ही वाली है? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

भगोड़े हीरा कारोबारी Mehul Choksi, जिसका नाम 14,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में पहले ही बदनाम हो चुका है, अब सेबी के शिकंजे में फंस चुका है। सेबी ने 2.1 करोड़ रुपये की वसूली के लिए आदेश दिया है, जिसमें 1.5 करोड़ का जुर्माना और 60 लाख रुपये की ब्याज राशि शामिल है। लेकिन यह सज़ा किसी एक गलती की नहीं, बल्कि इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे गंभीर आर्थिक अपराध की सज़ा है।

यह जुर्म ऐसा था जो सिर्फ नियमों का उल्लंघन नहीं करता, बल्कि Investors की उम्मीदों, बाज़ार की पारदर्शिता और आर्थिक प्रणाली की जड़ों को हिलाने का काम करता है। इस पूरे घटनाक्रम ने यह दिखा दिया कि अपराध चाहे जितना बड़ा हो, अगर regulatory body दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ खड़ी हो जाए, तो कोई भी अपराधी बच नहीं सकता।

दरअसल, सेबी ने जनवरी 2022 में Mehul Choksi पर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप में जुर्माना लगाया था। Mehul Choksi, गीतांजलि जेम्स का चेयरमैन और एमडी होने के साथ-साथ कंपनी के प्रमोटर ग्रुप का हिस्सा भी था। उसे दोषी ठहराया गया कि उसने अपने करीबी राकेश गिरधरलाल गजेरा के साथ अप्रकाशित मूल्य-संवेदनशील जानकारी साझा की थी। इसके आधार पर गजेरा ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी दिसंबर 2017 में बेच दी, और घोटाले के उजागर होने से पहले खुद को सुरक्षित कर लिया। यह पूरी योजना अंदरखाने इतनी सटीकता से तैयार की गई थी कि अगर सेबी की निगाहें न जातीं, तो यह अपराध शायद कभी सामने ही नहीं आता। लेकिन Regulator की पैनी निगाहों से कुछ भी नहीं छुपा।

यही नहीं, 15 मई को सेबी ने Mehul Choksi को एक डिमांड नोटिस भेजा, जिसमें कहा गया था कि यदि 15 दिनों के भीतर वह बकाया राशि का भुगतान नहीं करता, तो उसके बैंक खाते, Investment और संपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा। Mehul Choksi ने इस चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया, और नतीजा यह निकला कि अब उसकी हर वित्तीय गतिविधि पर रोक लगा दी गई है। यह कोई साधारण चेतावनी नहीं थी बल्कि एक वैधानिक धमाका था, जिसने यह बता दिया कि सरकार और नियामक अब मूकदर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक और निष्पक्ष कार्यवाही करने वाले संस्थान बन चुके हैं।

सेबी ने इस आदेश को implement करने के लिए सभी बैंकों, CDSL, NSDL और म्यूचुअल फंड कंपनियों को निर्देश दिया है कि Mehul Choksi के किसी भी अकाउंट से कोई भी डेबिट न होने दिया जाए। क्रेडिट की अनुमति है ताकि रिकवरी की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहे। इसके अलावा, सेबी ने बैंक लॉकर और अन्य सभी Investment साधनों को भी जब्त करने के निर्देश दिए हैं। यह कार्यवाही यह दर्शाती है कि सेबी अब सिर्फ सिफारिश करने वाली संस्था नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध एक सशक्त संस्था बन चुकी है।

अब बात सिर्फ 2.1 करोड़ की रिकवरी की नहीं है। यह एक नजीर है कि भारत का रेगुलेटरी सिस्टम अब ऐसे अपराधियों को छोड़ने वाला नहीं है, चाहे वह देश में हों या विदेश में। चौकसी फिलहाल बेल्जियम में हिरासत में है, जहां उसे अप्रैल 2025 में गिरफ्तार किया गया था। भारत सरकार ने प्रत्यर्पण की मांग की है ताकि उसे भारत लाकर सजा दी जा सके। यह प्रक्रिया जितनी जटिल है, उतनी ही महत्वपूर्ण भी है, क्योंकि यह न केवल एक अपराधी को सज़ा दिलाने का कार्य है, बल्कि भारत की वैश्विक स्तर पर न्यायिक पकड़ को भी मज़बूत करने का प्रतीक है।

लेकिन यह सब ऐसे ही नहीं हुआ। साल 2018 की शुरुआत में जब पंजाब नेशनल बैंक घोटाला सामने आया था, तब देश भर में हड़कंप मच गया था। नीरव मोदी और उनके मामा Mehul Choksi पर आरोप लगे कि उन्होंने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से, लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। जैसे ही जांच शुरू हुई, दोनों देश छोड़कर भाग निकले। इस तरह की घटनाएं जनता के विश्वास को तोड़ देती हैं, लेकिन सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया और सेबी जैसी संस्थाओं की सजगता ने उम्मीद की लौ को जलाए रखा।

नीरव मोदी को मार्च 2019 में स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने ब्रिटेन में गिरफ्तार कर लिया था और वह अब वहीं की जेल में है। जबकि Mehul Choksi ने एंटीगुआ की नागरिकता हासिल कर ली थी और वहीं से भारत सरकार के प्रत्यर्पण प्रयासों को कानूनी लड़ाइयों से टालता रहा। लेकिन किस्मत हमेशा साथ नहीं देती। 2023 में जब वह मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए बेल्जियम गया, तो भारतीय एजेंसियों को उसकी लोकेशन मिल गई। और आखिरकार, अप्रैल 2025 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी महज संयोग नहीं बल्कि सतर्कता, खुफिया जानकारी और रणनीतिक तैयारी का नतीजा थी।

हालांकि, सेबी की कार्रवाई का दायरा सिर्फ उसके शेयर या म्यूचुअल फंड तक ही सीमित नहीं है। यह एक सख्त चेतावनी है उन सभी सफेदपोश अपराधियों के लिए, जो कंपनियों की अंदरूनी जानकारी का दुरुपयोग कर शेयर बाजार को धोखा देने का काम करते हैं। इनसाइडर ट्रेडिंग शेयर बाजार की पारदर्शिता पर सीधा हमला है और यही कारण है कि सेबी ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया। यह कार्रवाई यह साबित करती है कि चाहे मामला कितना ही बड़ा क्यों न हो, अगर regulatory body तय कर ले, तो हर अपराधी का हिसाब लिया जाएगा।

सेबी का यह भी कहना है कि उसने Mehul Choksi पर सिर्फ जुर्माना ही नहीं लगाया था, बल्कि एक साल के लिए उसे शेयर बाजार से प्रतिबंधित भी किया गया था। यानी Mehul Choksi अब किसी भी तरह की Security में Investment या लेन-देन नहीं कर सकता था। लेकिन जब उसने जुर्माना नहीं चुकाया, तो अब यह सीधी कुर्की की कार्यवाही बन गई है। यह वह स्तर है जहां प्रशासनिक चेतावनी, आर्थिक दंड और कानूनी सख्ती तीनों एक साथ चलती हैं। यही नए भारत की पहचान है।

बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं में विश्वास तभी बना रहता है जब नियमों का सख्ती से पालन हो। यदि कोई व्यक्ति अपने ऊंचे पद का फायदा उठाकर बाजार में हेराफेरी करता है, तो वह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं करता, बल्कि लाखों Investors के साथ धोखा करता है। यही वजह है कि Mehul Choksi जैसे मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है। यह कार्रवाई न केवल एक व्यक्ति को दंडित करने के लिए, बल्कि पूरे सिस्टम में सुधार लाने के लिए की जाती है।

बड़ी बात यह है कि सेबी की कार्रवाई ऐसे समय पर आई है जब देश में, आर्थिक पारदर्शिता और Investors के हितों की रक्षा को लेकर काफी जागरूकता है। आम आदमी अब यह जानना चाहता है कि उसके पैसे का इस्तेमाल कहां हो रहा है, और अगर कोई धोखाधड़ी करता है तो उसे सज़ा मिलेगी या नहीं। इस बढ़ती जागरूकता को देखते हुए सेबी और अन्य Regulatory bodies भी पहले से अधिक सक्रिय हो गई हैं।

Conclusion

अगर हमारे आर्टिकल ने आपको कुछ नया सिखाया हो, तो इसे शेयर करना न भूलें, ताकि यह महत्वपूर्ण जानकारी और लोगों तक पहुँच सके। आपके सुझाव और सवाल हमारे लिए बेहद अहम हैं, इसलिए उन्हें कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें। आपकी प्रतिक्रियाएं हमें बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

GRT Business विभिन्न समाचार एजेंसियों, जनमत और सार्वजनिक स्रोतों से जानकारी लेकर आपके लिए सटीक और सत्यापित कंटेंट प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। हालांकि, किसी भी त्रुटि या विवाद के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना और आपको सही तथ्यों से अवगत कराना है।

अधिक जानकारी के लिए आप हमारे GRT Business Youtube चैनल पर भी विजिट कर सकते हैं। धन्यवाद!”

Spread the love
Exit mobile version