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TAX में बड़ा खुलासा! दुनिया में कहां सबसे कम और कहां सबसे ज्यादा टैक्स देना पड़ता है? 2025

नमस्कार दोस्तों, एक आदमी जो दुनिया घूमने का शौकीन था, उसने एक दिन सोचा कि वह किसी ऐसे देश में रहेगा, जहां उसे अपनी मेहनत की कमाई पर टैक्स न देना पड़े। उसने अपने रिसर्च की शुरुआत की और यह जानकर हैरान रह गया कि दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां लोगों को इनकम टैक्स देने की जरूरत ही नहीं होती। वहीं, दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी देश हैं जहां टैक्स दरें 50% से भी ज्यादा हैं।

आखिर ऐसा क्यों है? कुछ देश बिना टैक्स के भी समृद्ध कैसे बने हुए हैं और कुछ देश क्यों नागरिकों से भारी टैक्स वसूलते हैं? यही सवाल इस विषय को और भी दिलचस्प बना देते हैं। क्या यह नीति केवल अर्थव्यवस्था के आधार पर बनाई जाती है, या फिर इसके पीछे कोई ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामाजिक कारण होते हैं? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

दुनिया के कई देशों में Income tax सरकार की आमदनी का प्रमुख स्रोत है। भारत की बात करें तो यहां Income tax को लोगों की कमाई के अनुसार तय किया जाता है। जो ज्यादा कमाता है, उसे ज्यादा टैक्स देना होता है, जबकि कम कमाने वाले कम टैक्स देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ देश ऐसे भी हैं जहां इनकम टैक्स का कोई प्रावधान ही नहीं है? यह जानना वाकई दिलचस्प है कि आखिर ये देश अपनी अर्थव्यवस्था को कैसे चला रहे हैं और उनके पास सरकारी खर्चे पूरे करने के लिए पैसा कहां से आता है। क्या इन देशों में सामाजिक कल्याण योजनाएं मौजूद हैं? अगर हां, तो उन्हें कैसे Funded किया जाता है?

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) इस सूची में सबसे ऊपर आता है। यह देश अपने नागरिकों से कोई व्यक्तिगत Income tax नहीं लेता। सरकार की income का मुख्य स्रोत Indirect tax, वैट, और टूरिज्म सेक्टर से आने वाली कमाई है। यूएई की अर्थव्यवस्था तेल और tourism industry पर आधारित है, जिससे यहां के नागरिकों को इनकम टैक्स से पूरी तरह राहत दी गई है। लेकिन यह केवल एक पक्ष है, क्योंकि कई लोग यह भी सवाल करते हैं कि क्या भविष्य में तेल पर निर्भरता इस नीति को जारी रखने के लिए पर्याप्त होगी, या सरकार को नए टैक्स सिस्टम अपनाने पड़ेंगे?

बहरीन भी एक ऐसा देश है जहां लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता। यहां सरकार डायरेक्ट टैक्स के बजाय Indirect taxes और अन्य शुल्कों से अपना Revenue जुटाती है। यह रणनीति छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए भी बहुत अनुकूल साबित होती है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है। लेकिन क्या यह मॉडल long term रूप से Continuous है? बहरीन जैसे देशों में सरकारें अन्य प्रकार की Revenue योजनाओं पर विचार कर रही हैं ताकि भविष्य में आर्थिक स्थिरता बनाए रखी जा सके।

कुवैत एक और प्रमुख टैक्स-फ्री देश है, जहां सरकार अपनी आय पूरी तरह से तेल Export पर निर्भर करती है। यहां किसी भी व्यक्ति से इनकम टैक्स नहीं लिया जाता। तेल से होने वाली भारी कमाई सरकार को इतना सक्षम बनाती है कि उसे टैक्स की जरूरत ही नहीं पड़ती। यह नीतिगत रणनीति अपनाने के बावजूद भी कुवैत global level पर एक संपन्न देश बना हुआ है। लेकिन एक सवाल यह भी उठता है कि जब तेल संसाधन सीमित हैं, तो भविष्य में कुवैत की आर्थिक नीति क्या होगी? क्या सरकार वैकल्पिक आय स्रोतों की योजना बना रही है?

सऊदी अरब ने भी अपने नागरिकों को इनकम टैक्स के झंझट से मुक्त रखा हुआ है। सरकार के Revenue का मुख्य स्रोत तेल Export और अन्य Indirect tax हैं। इस नीति के चलते नागरिकों को टैक्स में राहत मिलती है और सरकार को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है। लेकिन यह भी विचारणीय है कि अगर भविष्य में तेल की मांग में कमी आती है, तो क्या सऊदी अरब की Tax-free policy टिक पाएगी? क्या सरकार Tourism, तकनीक और अन्य क्षेत्रों में Investment बढ़ाने की योजना बना रही है?

Tourism के लिए मशहूर द बहामास में भी इनकम टैक्स नहीं लिया जाता। इस देश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से tourism industry पर निर्भर है, जिससे सरकार की income होती है। इसी तरह, ओमान और कतर भी उन देशों में शामिल हैं जहां इनकम टैक्स की कोई व्यवस्था नहीं है। इन देशों की समृद्ध अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल और गैस Export से चलती है, जिससे सरकार को अतिरिक्त tax लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ देशों में इनकम टैक्स की दरें 50% से भी ज्यादा हैं? इन देशों में टैक्स सिस्टम प्रोग्रेसिव होता है, यानी जो ज्यादा कमाता है, उसे ज्यादा टैक्स देना पड़ता है। ये देश इस टैक्स से व्यापक सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, स्वास्थ्य सुविधाएं और सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करते हैं। यह नीति नागरिकों को अधिक सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन क्या यह उनके लिए फायदेमंद है? क्या High tax rates से नागरिकों की income पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

फिनलैंड दुनिया का सबसे ज्यादा टैक्स वसूलने वाला देश है, जहां इनकम टैक्स की दर 57% तक जाती है। इस टैक्स सिस्टम के जरिए सरकार अपने नागरिकों को High quality वाली जीवन सुविधाएं देती है, जैसे कि मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं, पेंशन और बेरोजगारी भत्ता। लेकिन सवाल यह है कि क्या नागरिक इस High tax system से खुश हैं? अब सवाल उठता है कि क्या उन्हें इस नीति से अधिक लाभ होता है, या वे इसे एक अतिरिक्त बोझ मानते हैं?

जापान भी एक ऐसा देश है, जहां Higher tax rates लागू हैं। यहां इनकम टैक्स की दर 56% तक हो सकती है। यह टैक्स सिस्टम अमीर व्यक्तियों से अधिक कर लेकर उसे सामाजिक कल्याण योजनाओं में Investment करने की नीति पर काम करता है। अब सवाल यह है कि क्या यह नीति आर्थिक असमानता को कम करने में सफल रही है, या यह केवल एक वर्ग को ही लाभ पहुंचाती है?

डेनमार्क में इनकम टैक्स 55% तक जाता है, और इसका उपयोग नागरिकों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा में किया जाता है। लेकिन क्या High tax rates रोजगार सृजन को प्रभावित करती हैं? क्या इस नीति से देश के नागरिकों को long term लाभ होता है?

टैक्स नीतियों का प्रभाव केवल नागरिकों की income पर ही नहीं, बल्कि उनकी जीवनशैली, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर भी पड़ता है। एक देश की टैक्स प्रणाली उसके आर्थिक दृष्टिकोण, संसाधनों की उपलब्धता और सामाजिक संरचना को दर्शाती है। इसलिए, कम टैक्स और अधिक टैक्स दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएं और चुनौतियां होती हैं।

सरकारें इस संतुलन को बनाए रखने के लिए विभिन्न रणनीतियों को अपनाती हैं, ताकि वे अपने नागरिकों के हितों की रक्षा कर सकें और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दे सकें। पिछले साल मार्च में आई United Nations की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के खुशहाल देशों में फिनलैंड पहले स्थान पर था। रिपोर्ट के मुताबिक फिनलैंड के लोगों की खुशी के कारणों में सामाजिक सुरक्षा, कम भ्रष्टाचार अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं और सरकारी संस्थाओं पर भरोसा था।

Conclusion

तो दोस्तों, यह समझना जरूरी है कि टैक्स सिस्टम का एक देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कोई भी नीति संपूर्ण नहीं होती, और हर देश अपने संसाधनों और जरूरतों के अनुसार अपना मॉडल विकसित करता है। यह नागरिकों पर निर्भर करता है कि वे किस तरह की प्रणाली को प्राथमिकता देते हैं, कम टैक्स के साथ व्यक्तिगत वित्तीय स्वतंत्रता या अधिक टैक्स के साथ व्यापक सामाजिक सुरक्षा।

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