एक तरफ देशभक्ति का चेहरा, सोशल मीडिया पर ट्रैवल व्लॉगर के रूप में एक खुशहाल जिंदगी दिखाती महिला… और दूसरी तरफ उसी की असल जिंदगी में देश को बेचने की गुप्त कहानियां। Jyoti Malhotra की गिरफ्तारी ने केवल जासूसी के आरोपों को नहीं उजागर किया, बल्कि उस परत को भी खोला जहां सोशल मीडिया की ग्लैमर की चकाचौंध के पीछे एक गहरी साजिश छुपी हुई थी।
लेकिन इस कहानी में सिर्फ Jyoti Malhotra ही नहीं, उसके साथ जुड़े दो और नाम सामने आते हैं—दानिश और ‘यात्री डॉक्टर’। तीनों की जिंदगियां एक ही कड़ी से जुड़ी हुई हैं, और हैरान कर देने वाली बात यह है कि ये तीनों सोशल मीडिया और जासूसी दोनों से कमाई कर रहे थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से कौन सबसे अमीर निकला? किसने देश बेचकर करोड़ों कमाए और किसने यात्राएं दिखाकर विश्वास तोड़ा? यह सवाल आज हर भारतीय के मन में गूंज रहा है। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।
Jyoti Malhotra, हरियाणा की रहने वाली एक ट्रैवल व्लॉगर, अपने यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पेज के जरिए एक सपनों भरी दुनिया बनाकर पेश करती थी। चैनल पर ट्रैवल वीडियो, होटलों के रिव्यू और लोकेशन गाइड्स के ज़रिए वह हर महीने औसतन 1.5 लाख रुपये तक कमा रही थी। उसे ब्रांड प्रमोशन, होटल स्पॉन्सरशिप और ट्रैवल गियर के ऑफर भी मिलते थे। सोशल मीडिया पर उसके लाखों फॉलोअर्स थे।
लेकिन जब उसने पाकिस्तान के लिए जासूसी शुरू की, तो उसके रेट बदल गए। एक-एक जानकारी के बदले उसे कथित रूप से मोटी रकम दी जाने लगी। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, Jyoti Malhotra की कुल नेटवर्थ 15 लाख रुपये से शुरू होकर 40 लाख रुपये तक हो सकती है, लेकिन ISI नेटवर्क से जुड़े अनऑफिशियल सोर्स बताते हैं कि उसका नेटवर्क और उसकी कुल संपत्ति 15 करोड़ रुपये तक जा पहुंची थी। यह रकम एक व्लॉगर के लिए तो दूर, एक प्रभावशाली सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के लिए भी बेहद चौंकाने वाली है।
Jyoti Malhotra की मुलाकात दानिश उर्फ एहसान-उर-रहीम से साल 2023 में दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग की एक इफ्तार पार्टी में हुई थी। इस मुलाकात का वीडियो उसने अपने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया था—जो बाद में जांच एजेंसियों के लिए सबूत बना। दानिश ने न सिर्फ Jyoti Malhotra को पाकिस्तान की यात्रा के लिए वीजा दिलाया बल्कि वहां पर रहने, घूमने और पाक खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े अधिकारियों से मिलने का पूरा इंतजाम किया।
भारत सरकार ने 13 मई को दानिश को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि उसकी गतिविधियां राजनयिक कूटनीति से कहीं अधिक खतरनाक थीं। दानिश केवल एक अधिकारी नहीं था, बल्कि पाकिस्तान की ISI का वो मोहरा था जो भारत में नेटवर्क बिछाने के लिए भरोसे का मुखौटा पहनकर आया था।
Jyoti Malhotra ने 2023 से अब तक पाकिस्तान की चार से ज्यादा यात्राएं कीं। इनमें से कुछ यात्राओं के दौरान वह बाली भी गई, जिसे उसने ट्रैवल के नाम पर दिखाया लेकिन असल में ये यात्राएं, खुफिया नेटवर्क को सूचनाएं देने और एजेंट्स से संपर्क बनाए रखने के लिए थीं।
वह व्हाट्सएप, टेलीग्राम और स्नैपचैट जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स के जरिए संपर्क में रहती थी। जांच में सामने आया है कि उसके संपर्क राणा शहबाज, शाकिर, और पाक उच्चायोग के ही कई कर्मचारियों से थे। Jyoti Malhotra की डिजिटल ट्रैकिंग से यह भी पता चला है कि वह फेक प्रोफाइल्स के जरिए, संवेदनशील सैन्य जानकारी जुटाकर ISI एजेंट्स को भेजती थी। यह पूरा नेटवर्क न केवल दिल्ली में फैला था, बल्कि हरियाणा, पंजाब और जम्मू तक इसकी पकड़ थी।
अब बात करते हैं इस पूरे मामले के तीसरे और सबसे रहस्यमय चेहरे की—नवांकुर चौधरी उर्फ ‘यात्री डॉक्टर’। एक मेडिकल ग्रेजुएट जिसने MBBS करने के बाद डॉक्टर की जगह ट्रैवलर बनने का सपना चुना। उसने मद्रास मेडिकल कॉलेज से 2015 में ग्रेजुएशन किया, लेकिन जल्द ही ट्रैवल व्लॉगर बन गया।
20 सितंबर 2017 को उसने ‘यात्री डॉक्टर’ नाम से यूट्यूब चैनल शुरू किया और 120 से अधिक देशों की यात्रा कर डाली। उसकी यूट्यूब और इंस्टाग्राम मौजूदगी काफी मजबूत रही और उसे भारत के बाहर भी पहचान मिलने लगी। ट्रैवल व्लॉगर के रूप में नवांकुर ने करोड़ों की दर्शक संख्या और लाखों के विज्ञापन कमाए। लेकिन अब उसके पाकिस्तान से संपर्क होने की खबरें सबको चौंका रही हैं।
यात्री डॉक्टर का जुड़ाव भी इसी खतरनाक जाल से हुआ। ओडिशा पुलिस की जांच में सामने आया कि नवांकुर भी पाकिस्तान की यात्रा कर चुका है और Jyoti Malhotra से उसका व्यक्तिगत संपर्क था। उनके बीच यात्रा, वीजा, फ्लाइट बुकिंग और विदेश संबंधी जानकारियों के आदान-प्रदान के डिजिटल प्रमाण मिले हैं।
फिलहाल नवांकुर की फॉरेंसिक और डिजिटल जांच चल रही है, लेकिन सोशल मीडिया विश्लेषकों और मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है कि नवांकुर की कुल संपत्ति 3 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। यह कमाई उसके यूट्यूब चैनल, स्पॉन्सरशिप डील्स और ट्रैवल पार्टनरशिप्स से आई है। कुछ रिपोर्ट्स तो यह भी दावा करती हैं कि उसके पास विदेशी बैंकों में खाता और ट्रस्ट फंड्स हैं, जिनकी जांच चल रही है।
इन तीनों की कहानियां अलग-अलग लगती हैं, लेकिन जुड़ी एक ही धागे से हैं—सोशल मीडिया पर चमकती सफलता और पीछे से पाकिस्तान की साजिश का अंधेरा। Jyoti Malhotra जहां अपनी व्लॉगिंग के जरिए लोगों का भरोसा जीतती रही, वहीं उसके संपर्क में आए नवांकुर चौधरी यानी यात्री डॉक्टर की चुप्पी और डिजिटल लो प्रोफाइल ने उसे जांच से लंबे समय तक बचाए रखा।
दूसरी ओर, दानिश नाम का व्यक्ति अपने राजनयिक दर्जे का इस्तेमाल कर भारत में एक पूरा नेटवर्क खड़ा कर चुका था, जो सूचनाओं के बदले में पैसों का गंदा खेल खेल रहा था। यह त्रिकोणीय साजिश उन सभी के लिए आंख खोलने वाली है जो सोशल मीडिया को महज दिखावे का मंच मानते हैं।
इस पूरी जासूसी कड़ी को देखकर एक बात साफ हो जाती है कि अब देश के खिलाफ साजिशें बंदूक और बारूद से नहीं, बल्कि फोन, कैमरा और सोशल मीडिया के जरिए रची जा रही हैं। तीनों ही नामों की संपत्ति और आर्थिक लाभ देखने पर यह साफ होता है कि पैसा अब राष्ट्रभक्ति से बड़ा बन गया है।
Jyoti Malhotra की 15 करोड़ की कथित नेटवर्थ, नवांकुर की 3 करोड़ से ज्यादा की कमाई और दानिश के पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क की वित्तीय ताकत इस बात का सबूत है कि, एक बार अगर कोई इस दलदल में उतरता है, तो वहां से बाहर निकलना आसान नहीं होता। देश के भीतर बैठकर जो साजिशें रची जा रही हैं, वे सीमा पार से अधिक घातक बनती जा रही हैं।
यह मामला सिर्फ जासूसी का नहीं है—यह उस सोच का उदाहरण है जो दिखती कुछ और है लेकिन भीतर से पूरी तरह खोखली होती है। Jyoti Malhotra, दानिश और नवांकुर की ये तिकड़ी बताती है कि अगर सोशल मीडिया की शक्ति का गलत इस्तेमाल हो, तो यह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का नया मंच बन सकता है। इसलिए जरूरत है सतर्क रहने की—न केवल सरकार को, बल्कि आम लोगों को भी। हमें समझना होगा कि देश की सुरक्षा सिर्फ सेना के हाथों में नहीं, बल्कि हर नागरिक की सतर्कता में भी है।
अब सवाल ये नहीं है कि कौन कितना अमीर है—सवाल यह है कि कौन अपने देश के लिए वफादार है और कौन सिर्फ कुछ पैसों के लिए उसे बेचने को तैयार है। अगर हमने अब भी चेतावनी नहीं ली, तो अगली Jyoti Malhotra, अगला नवांकुर और अगला दानिश आपके सोशल मीडिया फीड पर पहले फॉलो बटन दबवाएंगे, फिर भरोसा और अंत में… देश को बेच देंगे। यह वक्त है सच को पहचानने का।
Conclusion
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