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Insurance से मिलेगा भूकंप में भी सहारा! जानिए करोड़ों के मुआवज़े की पूरी सच्चाई। 2025

Insurance

रात के दो बजे थे… नींद में डूबा पूरा मोहल्ला अचानक एक अजीब सी आवाज़ से जागा। दीवारें हिलने लगीं, पंखे झूलने लगे, और बिस्तर मानो कांपने लगे। लोग हड़बड़ाकर उठे, किसी को कुछ समझ नहीं आया। छोटे बच्चे रोने लगे, बुज़ुर्गों के चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। कुछ ही सेकंड में, जो घर कभी सुरक्षा की सबसे बड़ी जगह लगता था, वो अब मलबे में तब्दील हो चुका था।

कहीं से किसी की चीख सुनाई दे रही थी, कहीं कोई मदद के लिए पुकार रहा था। और इसी अंधेरे और अफरा-तफरी में एक और सवाल मन में उभरा—अब क्या? जिन ईंटों और दीवारों को बनाने में ज़िंदगी की कमाई लगी, वो तो अब नहीं रहीं। क्या अब कोई उम्मीद है? क्या अब कोई मदद मिलेगी? और जवाब है—हां, अगर आपने सही वक्त पर किया होता एक छोटा लेकिन समझदारी भरा फैसला: Earthquake insurance।

हम सब हेल्थ Insurance, गाड़ी का बीमा, या फिर एक्सीडेंटल पॉलिसी के बारे में सोचते हैं। लेकिन जब बात अपने घर की आती है, उस छत की जो हर रोज़ हमें सूरज, बारिश और तूफान से बचाती है—तो हम अक्सर लापरवाह हो जाते हैं। और यहीं सबसे बड़ी चूक हो जाती है।

बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से घर के नुकसान के लिए, आपको बीमा के तहत करोड़ों रुपये तक का क्लेम मिल सकता है—अगर आपने पहले से सही बीमा पॉलिसी ली हो। और आज की इस कहानी में हम आपको यही बताने जा रहे हैं, कि कैसे Earthquake insurance सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में सबसे बड़ा सहारा बन सकता है।

उत्तर भारत में भूकंप अब कोई दूर की चीज नहीं रह गया है। हर साल, हर महीने नहीं, बल्कि कई बार हर हफ्ते, किसी न किसी राज्य में धरती कांपती है। दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब, बिहार, जम्मू-कश्मीर—ये सब इलाके सिस्मिक ज़ोन 4 और 5 में आते हैं। यानी वो ज़ोन जहां किसी भी वक्त विनाशकारी भूकंप आ सकता है।

और जब आता है, तो वह केवल घर नहीं गिराता, वह जीवन की पूरी मेहनत को खा जाता है। सोचिए, जिस घर को बनाने में आपने 25 साल की नौकरी की, उसका लोन चुकाने में आपकी पूरी उम्र निकल गई—अगर वो एक झटके में गिर जाए, तो क्या होगा? शायद आप दोबारा खड़े भी न हो पाएं, अगर आपके पास कोई आर्थिक बैकअप न हो।

इन्हीं सवालों के जवाब के लिए जागरण बिज़नेस ने बात की, बजाज आलियांज जनरल Insurance के चीफ टेक्निकल ऑफिसर अमरनाथ सक्सेना से। और उन्होंने जो बातें बताईं, वो हर उस भारतीय के लिए जरूरी हैं जो आज अपने सिर पर छत रखे बैठा है—क्योंकि कोई नहीं जानता कि कब वो छत ज़मीन पर आ गिरे।

अमरनाथ जी बताते हैं कि अधिकतर जनरल Insurance पॉलिसियों में भूकंप से होने वाले नुकसान का कवर शामिल होता है। लेकिन दिक्कत ये है कि लोग बीमा खरीदते समय इस बात पर ध्यान ही नहीं देते। इसलिए जरूरी है कि जब भी आप कोई होम Insurance लें, तो उसमें अर्थक्वेक कवर ज़रूर शामिल हो—चाहे वह बेस पॉलिसी में हो या ऐड-ऑन के रूप में।

अब बात करते हैं—आखिर कवर होता क्या है? ज़्यादातर लोग यही सोचते हैं कि बीमा सिर्फ दीवारों तक सीमित होता है। लेकिन अगर आप मकान मालिक हैं, तो आपका बीमा आपके घर की संरचना के साथ-साथ उसमें रखे सामान का भी होना चाहिए। सोचिए, घर गिरा तो केवल दीवार नहीं टूटी—साथ में टूटी आपकी टीवी, फ्रिज, अलमारी, एसी, फर्नीचर, डाइनिंग टेबल, महंगे गद्दे और शायद वो फोटो फ्रेम भी जो आपके शादी के दिन का था। इन सबकी कीमत लाखों में होती है। और अगर बीमा में ये सब कवर हो, तो उस नुकसान का क्लेम मिल सकता है—वो भी कानूनी तरीके से, बिना भीख मांगे।

अब अगर आप किरायेदार हैं, तो भी घबराइए मत। बीमा सिर्फ मालिकों का हक नहीं है। आपके पास भी सामान का बीमा होना चाहिए। आप जिस कमरे या फ्लैट में रहते हैं, उसमें भी आपकी मेहनत की कमाई लगी होती है—लैपटॉप, मोबाइल, किताबें, कपड़े, किचन के बर्तन—इन सबको फिर से खरीदने में कितना खर्च होगा, ये आप ही जानते हैं। और अगर भूकंप से ये सब नष्ट हो जाए, तो क्या आप अकेले ही सबकुछ दोबारा खरीद पाएंगे? शायद नहीं। इसलिए ज़रूरी है कि किरायेदार भी कंटेंट Insurance लें, जो सिर्फ आपके सामान को कवर करता है।

अमरनाथ जी कहते हैं कि अगर आप एक प्रॉपर्टी ओनर हैं या बिज़नेस भी चलाते हैं, तो आपको फायर एंड स्पेशल पेरिल्स नाम का बीमा जरूर लेना चाहिए। यह एक विस्तृत पॉलिसी होती है, जो केवल भूकंप ही नहीं, बाढ़, आग, तूफान, बिजली गिरना जैसी सभी प्राकृतिक आपदाओं को कवर करती है। इस बीमा का प्रीमियम इस पर निर्भर करता है कि आपका घर किस ज़ोन में है और उसकी कंस्ट्रक्शन कैसी है—पक्का है या कच्चा, पुराना है या नया। मतलब ये कि बीमा कंपनी आपके जोखिम को देखकर तय करती है कि आपसे कितना प्रीमियम लिया जाएगा, और कितनी राशि तक आपको क्लेम मिल सकता है।

अब आइए बात करें उस पहलू की जो अक्सर छूट जाता है—अगर भूकंप में कोई चोटिल हो गया तो क्या? यानी इंसानी जान का क्या? क्या वो बीमा में कवर होता है? इसका जवाब है—हां, अगर आपने ली है हेल्थ Insurance और पर्सनल एक्सीडेंट कवर। अक्सर भूकंप में लोग मलबे के नीचे दब जाते हैं, कई बार गंभीर चोटें लगती हैं, ICU तक भर्ती होना पड़ता है, ऑपरेशन होते हैं और रिकवरी में महीनों लग जाते हैं। अगर आपकी हेल्थ पॉलिसी में आपातकालीन सेवाएं, कैशलेस इलाज, और एम्बुलेंस खर्च शामिल है, तो आपको अस्पताल का भारी-भरकम बिल नहीं देना होगा—जो कई बार लाखों में पहुंच जाता है।

सिर्फ यही नहीं, पर्सनल एक्सीडेंट कवर भी होना बेहद जरूरी है। क्योंकि अगर किसी हादसे में व्यक्ति अपंग हो गया, या दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो गई, तो उसके परिवार को आर्थिक रूप से भारी झटका लगता है। ऐसे में ये कवर परिवार को एक बड़ा मुआवज़ा देता है—जो 10 लाख से 1 करोड़ तक हो सकता है। ये रकम उस वक्त की सबसे बड़ी राहत बनती है जब जीवन पूरी तरह टूट चुका होता है।

अब बात करें—क्या कवर नहीं होता? यानी आपकी पॉलिसी की सीमाएं। कई लोग सोचते हैं कि बीमा है तो सब मिल जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपका घर खराब रखरखाव की वजह से पहले से ही कमजोर था, या आपने बिना परमिशन के कोई बदलाव कर दिए थे, तो बीमा कंपनी आपका क्लेम खारिज कर सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने घर में कमर्शियल एक्टिविटी शुरू की लेकिन बीमा लेते वक्त बताया नहीं, तो आप पॉलिसी की शर्तें तोड़ रहे हैं—इसलिए क्लेम नहीं मिलेगा।

इसी तरह, अगर जमीन खुद-ब-खुद धंसती है, यानी नेचुरल सेटलमेंट, तो वो भी कई बार बीमा से बाहर होती है। हेल्थ इंश्योरेंस में भी अगर आप गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल थे या बिना डॉक्टर के इलाज करवा रहे थे, तो वो खर्च कवर नहीं होगा। इसलिए सबसे अहम बात ये है कि आप पॉलिसी के डॉक्युमेंट्स ध्यान से पढ़ें, हर शब्द समझें, और अगर कोई बात unclear हो तो अपने बीमा सलाहकार से विस्तार से चर्चा करें।

भारत जैसे देश में जहां हर साल बाढ़, भूकंप, तूफान जैसी घटनाएं आम हो गई हैं, वहां बीमा अब विकल्प नहीं, ज़रूरत है। खासकर उन इलाकों में जो सिस्मिक ज़ोन 4 और 5 में आते हैं—वहां रहने वाला हर व्यक्ति एक ticking time bomb पर बैठा है। किसी को नहीं पता अगला झटका कब आएगा। लेकिन अगर आए, तो आप कितने तैयार हैं? क्या आपके पास कोई प्लान B है? और बीमा वही प्लान B है—जो उस समय काम आता है जब सब कुछ हाथ से निकल जाता है।

अच्छी बात ये है कि अब बीमा लेना पहले से बहुत आसान हो गया है। ऑनलाइन पॉलिसियां, मोबाइल ऐप्स, बीमा एजेंट्स—हर जगह से आप पॉलिसी खरीद सकते हैं। और कीमत? कई बार तो 500 से 2000 रुपए सालाना में आपको लाखों का कवर मिल सकता है। लेकिन अफसोस यही है कि हम तब तक बीमा को महत्व नहीं देते, जब तक कोई हादसा सामने न आ जाए। और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

तो अब फैसला आपके हाथ में है। आप उस दिन का इंतज़ार करना चाहते हैं जब सबकुछ मलबा बन जाए? या आज ही उस मलबे से निकलने का रास्ता बना सकते हैं? प्रकृति की योजना आप नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी योजना आप आज ही बना सकते हैं।

भूकंप कभी नहीं कहकर आता। लेकिन आप उसे जवाब देने की तैयारी कर सकते हैं। बीमा सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं है, ये एक वादा है—कि जब दुनिया हिलने लगे, तो आपका घर, आपकी ज़िंदगी, और आपकी उम्मीदें कायम रहें।

Conclusion

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