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India है हर संकट के लिए तैयार: जानिए कितने दिन तक चल सकता है पेट्रोल, राशन और गैस का भंडार! 2025

India

एक देश जहां सीमाओं पर गोलियां चल रही हैं, आसमान में लड़ाकू विमान मंडरा रहे हैं, और अखबारों से लेकर मोबाइल तक हर जगह सिर्फ एक ही शब्द गूंज रहा है—“युद्ध”! डर के इस माहौल में लोग अपने घरों में राशन, दवाइयां, गैस सिलेंडर और पेट्रोल-डीजल जमा करने लगे हैं। पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें हैं, दुकानों से आटा-चावल गायब हो चुका है, और सोशल मीडिया अफवाहों से भर चुका है। लेकिन क्या यह घबराहट वाकई ज़रूरी है?

क्या India सच में युद्ध झेलने के लिए तैयार नहीं है? या फिर सच्चाई इससे कहीं ज्यादा सशक्त और आत्मविश्वास से भरी है? आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर युद्ध होता भी है… तो India के पास इतने संसाधन हैं कि जनता को चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद India और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। एक तरफ जहां भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इस हालात में यह सवाल हर भारतीय के मन में उठना स्वाभाविक है कि अगर युद्ध लम्बा चलता है, तो देश के अंदर जरूरी चीजों की सप्लाई कैसे चलेगी? क्या हमारे पास इतना स्टॉक है कि जनता को कोई दिक्कत न हो?

सबसे पहले बात करते हैं तेल यानी पेट्रोल और डीजल की, जो हर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होता है। India के पास आज जितना स्ट्रैटेजिक ऑयल रिजर्व है, वह न सिर्फ हमारे आत्मनिर्भरता की मिसाल है, बल्कि एक रणनीतिक हथियार भी है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, देश के पास 5.33 मिलियन मैट्रिक टन का स्ट्रैटेजिक रिजर्व है, जिसे विशेष रूप से युद्ध या इमरजेंसी के लिए रखा गया है। ये रिजर्व तीन जगहों—विशाखापत्तनम, मंगलुरु और पाडूर में सुरक्षित रखा गया है।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इसके अलावा, हमारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों—जैसे इंडियन ऑयल, India पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम—के पास भी 64 दिनों का स्टॉक पहले से मौजूद है। इसका मतलब हुआ कि अगर युद्ध के दौरान किसी कारणवश तेल का Import पूरी तरह से रुक भी जाए, तो भी India के पास कुल मिलाकर करीब 75 दिनों तक अपनी ज़रूरतें पूरी करने की क्षमता है। और ये 75 दिन सिर्फ जीने के लिए नहीं, बल्कि मजबूती से टिके रहने के लिए काफी हैं।

अब बात करते हैं खाने-पीने के सामान, यानी राशन की। भारत कृषि प्रधान देश है और खाद्य सुरक्षा में यह दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। केंद्र सरकार के अनुसार, 2024 में India ने 332 मिलियन टन अनाज का उत्पादन किया। इसमें 138 मिलियन टन चावल और 113 मिलियन टन दलहन शामिल है। इन आंकड़ों से साफ है कि India न सिर्फ अपनी आवश्यकता के लिए अनाज उगाता है, बल्कि कई देशों को Export भी करता है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोविड काल रहा, जब India ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देना शुरू किया और वो स्कीम आज भी जारी है। इतने लंबे समय तक करोड़ों लोगों को बिना किसी किल्लत के अनाज देना इस बात का प्रमाण है कि, देश के पास भरपूर स्टॉक है और किसी भी आपातकाल की स्थिति में जनता को भूखा नहीं रहना पड़ेगा। यानी युद्ध हो या महामारी, India अपने लोगों का पेट भरने के लिए तैयार है।

अब बात करते हैं रसोई की एक और अहम चीज़—एलपीजी गैस की। देशभर में 2024 तक करीब 121 एलपीजी बॉटलिंग प्लांट हैं। ये प्लांट न केवल घरेलू ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं, बल्कि किसी भी संकट की स्थिति में स्टॉक को तेजी से भरने और सप्लाई करने की क्षमता रखते हैं। India एलपीजी का कुछ हिस्सा Import जरूर करता है, लेकिन देश के अंदर भी इसका उत्पादन लगातार बढ़ाया जा रहा है।

2014 में देश की सिर्फ 56% आबादी के पास एलपीजी कनेक्शन था, लेकिन उज्ज्वला योजना जैसे अभियानों के चलते यह आंकड़ा अब लगभग 100% के करीब पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि हर घर तक गैस पहुंच चुकी है, और सरकार यह सुनिश्चित कर चुकी है कि किसी भी स्थिति में रसोई का चूल्हा बंद न हो।

तेल, गैस और अनाज के बाद अब बात करते हैं लॉजिस्टिक्स की—यानि कि ये सभी चीजें घर-घर तक कैसे पहुंचेंगी। India में रेलवे, सड़क परिवहन, और मालवाहक हवाई सेवाएं इन सबको सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। युद्ध जैसी स्थिति में भारतीय रेल और Indian Air Force, Civilian Distribution System का हिस्सा बन जाती हैं, ताकि सप्लाई चेन कहीं भी बाधित न हो। इसके लिए सरकार के पास ‘Disaster Management’ और ‘National Food Security Act’ के तहत तैयार योजनाएं मौजूद हैं।

एक और बड़ी ताकत है India का डिजिटाइज्ड Distribution system। राशन कार्ड अब एक राज्य से दूसरे राज्य में भी मान्य होता है। डिजिटल इंडिया और आधार से लिंक व्यवस्था के चलते जरूरतमंदों तक फटाफट सहायता पहुंचाई जा सकती है। यानी अब लाइन में लगकर घंटों इंतज़ार नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी की मदद से तेज़, पारदर्शी और सटीक वितरण।

भारत की तैयारी सिर्फ भंडारण या सप्लाई तक सीमित नहीं है। सरकार ने नागरिकों को लगातार यह भरोसा दिलाया है कि युद्ध जैसी स्थिति में भी कोई जरूरी चीज़ की कमी नहीं होगी। अभी हाल ही में इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम दोनों ने एक बयान जारी कर लोगों से कहा कि वे घबराकर पेट्रोल या एलपीजी जमा न करें, क्योंकि सप्लाई पूरी तरह सामान्य है।

IOCL ने साफ कहा कि देश के सभी आउटलेट पर पेट्रोल, डीजल और एलपीजी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और सप्लाई लाइन बिलकुल सामान्य चल रही है। उन्होंने जनता से अपील की कि वह अफवाहों से बचें और अनावश्यक खरीदारी न करें, क्योंकि इससे सिस्टम पर दबाव बढ़ता है। यही बात भारत पेट्रोलियम ने भी दोहराई और कहा कि कंपनी हर स्थिति के लिए तैयार है, और ग्राहक बिना चिंता के अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं।

लेकिन इस तरह की अफवाहें कैसे फैलती हैं? इसका जवाब है—सोशल मीडिया। एक गलत मैसेज, एक झूठी फोटो या कोई भ्रामक वीडियो वायरल होते ही लोग डर के मारे भागने लगते हैं। हाल ही में पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ऐसा ही हुआ, जहां अफवाह फैलते ही लोग पेट्रोल पंपों और किराना दुकानों पर टूट पड़े। लेकिन जल्द ही कंपनियों के बयानों और प्रशासन की पहल से स्थिति काबू में आ गई।

यहां हमें एक बात और समझनी होगी—घबराहट में की गई खरीददारी सिर्फ अनावश्यक नहीं, बल्कि सामाजिक नुकसान भी करती है। इससे ज़रूरतमंद लोगों को चीजें नहीं मिल पातीं और काला बाज़ारी को बढ़ावा मिलता है। इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक की तरह हमें संयम और समझदारी से काम लेना चाहिए।

इस वक्त सरकार, प्रशासन, तेल कंपनियां और खाद्य विभाग सभी अलर्ट मोड पर हैं। वे न केवल हालात पर नजर रख रहे हैं, बल्कि आगे की तैयारी भी कर रहे हैं। युद्ध जैसी स्थिति में राज्य और केंद्र सरकार मिलकर ‘वॉर टाइम सप्लाई मॉडल’ पर काम करती हैं, ताकि नागरिकों को कभी किसी ज़रूरी चीज़ के लिए परेशान न होना पड़े।

अगर जरूरत पड़ी तो सेना के पास भी फील्ड किचन, मोबाइल फ्यूल यूनिट्स और अस्थाई गोदाम जैसी व्यवस्थाएं होती हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित राहत पहुंचा सकती हैं। यही नहीं, भारत के पास कई मित्र देश हैं जो ज़रूरत पड़ने पर सपोर्ट देने के लिए तैयार रहते हैं। यानी भारत की तैयारी सिर्फ आंतरिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी मजबूत है।

तो अब सवाल यह नहीं रह जाता कि “क्या हम युद्ध झेल पाएंगे?” असली सवाल ये है कि “क्या हमें घबराने की जरूरत है?” और इसका जवाब साफ है—नहीं! क्योंकि भारत आज हर मोर्चे पर न केवल तैयार है, बल्कि आत्मनिर्भर भी है।

Conclusion

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