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Home खरीदने की होड़! सिर्फ 7 शहरों में बिके 7,000 लग्जरी घर – भारत में रियल एस्टेट का नया युग।

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आँखों पर काले चश्मे, हाथ में कॉफी का कप, और पीछे एक समंदर की लहरों से टकराता कांच का बंगला… ये किसी फिल्म का सीन नहीं है। ये आज का भारत है। एक ऐसा भारत जहाँ कुछ शहरों में अमीरी का प्रदर्शन अब केवल कारों, घड़ियों या पार्टियों तक सीमित नहीं रहा—अब ये दिखाई देता है घरों में।

और वो भी ऐसे Home, जो एक आम आदमी के लिए सपना ही रह जाए। क्या आप सोच सकते हैं, सिर्फ छह महीनों में भारत के केवल सात शहरों में 7,000 से ज्यादा महंगे Home बिक गए? ऐसा लग रहा है जैसे अमीरों की रेस शुरू हो गई हो—कौन सबसे ज़्यादा लग्जरी, सबसे ज़्यादा ऊँचा और सबसे ज़्यादा महंगा घर खरीदेगा। आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि CBRE साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड और ASSOCHAM की ताज़ा रिपोर्ट की हकीकत है। रिपोर्ट कहती है कि जनवरी से जून 2025 के बीच देशभर में लग्जरी हाउसेज़ की बिक्री में 85% का उछाल आया है। और चौंकाने वाली बात ये है कि ये सिर्फ सात शहरों में हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे इन शहरों में एक नई ‘रॉयल बस्ती’ बस रही हो, जहां Home नहीं—बयान दिए जा रहे हैं कि “मैं कौन हूं, और मेरे पास कितना है।”

इन सात शहरों में सबसे ऊपर है दिल्ली-एनसीआर। जी हां, वही दिल्ली जिसे कभी सिर्फ राजनीतिक राजधानी कहा जाता था, अब वह लग्जरी रियल एस्टेट की भी राजधानी बन चुकी है। दिल्ली-एनसीआर में अकेले 4000 लग्जरी हाउसिंग यूनिट्स की बिक्री हुई है। और ये आंकड़ा पिछले साल से तीन गुना ज्यादा है। इसका मतलब ये नहीं कि सिर्फ लोग खरीद रहे हैं, बल्कि इसका मतलब ये भी है कि डेवलपर्स ने भी हर यूनिट को इतना खास, और आधुनिक बनाया है कि खरीदार खुद-ब-खुद खिंचे चले आ रहे हैं।

दिल्ली-एनसीआर की कामयाबी के पीछे कई वजहें हैं। एक तो प्रीमियम सुविधाएं—जैसे स्मार्ट होम टेक्नोलॉजी, प्राइवेट गार्डन, ओपन लिविंग स्पेस, और क्लाउड बेस्ड सिक्योरिटी। दूसरा—डिज़ाइन। यहां के घरों को सिर्फ ईंट और सीमेंट से नहीं, बल्कि ग्लैमर और अनुभव से गढ़ा गया है। और तीसरा—लोकेशन। गुरुग्राम, नोएडा, साउथ दिल्ली जैसे इलाकों में ये Home बसाए गए हैं जहां से एयरपोर्ट भी पास है, बिजनेस सेंटर भी और लाइफस्टाइल भी।

अब बात करें भारत के आर्थिक इंजन—मुंबई की। यहां पर जनवरी से जून के बीच 1240 लग्जरी यूनिट्स बिक चुकी हैं। ये भारत की कुल लग्जरी बिक्री का करीब 18% है। और ये संख्या भी पिछले साल की तुलना में 29% ज्यादा है। मुंबई की खासियत है उसका समंदर। और जब समंदर के किनारे कांच की दीवारों से बना एक पेंटहाउस मिलता है, तो करोड़ों की कीमत भी मामूली लगती है इन अमीर खरीदारों को।

मुंबई के इलाकों जैसे बांद्रा, वर्ली, जुहू और लोअर परेल में नए प्रोजेक्ट्स धड़ाधड़ लॉन्च हो रहे हैं। और खास बात ये कि इनमें से कई प्रोजेक्ट्स में एक-एक अपार्टमेंट की कीमत 25 करोड़ से शुरू होती है। यहां खरीदने वाले कौन हैं? बड़े कारोबारी, फिल्मी सितारे, स्टार्टअप के फाउंडर और कुछ NRI जो अब भारत को अपना ठिकाना बना रहे हैं। इनके लिए ये Home एक इन्वेस्टमेंट नहीं, बल्कि एक स्टेटमेंट है।

अब ज़रा नजर डालें पुणे और चेन्नई पर। ये शहर भले ही मुंबई और दिल्ली की तरह हाई-प्रोफाइल ना हों, लेकिन यहाँ की ग्रोथ रफ्तार धीरे-धीरे तेज़ हो रही है। रिपोर्ट कहती है कि पुणे और चेन्नई की हिस्सेदारी भले ही सिर्फ 5% रही हो, लेकिन इन शहरों में जो प्रोजेक्ट्स आ रहे हैं, वो किसी भी मायने में छोटे नहीं हैं। खासकर पुणे, जहां आईटी इंडस्ट्री और एजुकेशन हब के कारण अमीरों की एक नई क्लास तैयार हो रही है। ये वो लोग हैं जो सीधा बंगलों की डिमांड कर रहे हैं—टाउनहाउस, डुप्लेक्स, और गार्डन रेजिडेंस।

चेन्नई में भी हालात बदल रहे हैं। परंपरागत रूप से कंजर्वेटिव माना जाने वाला यह शहर अब ग्लोबल ट्रेंड्स को अपना रहा है। यहां के लग्जरी होम्स में अब इको-फ्रेंडली डिजाइन, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, सोलर एनर्जी और स्मार्ट टेक्नोलॉजी जैसे फीचर्स स्टैंडर्ड बन चुके हैं। ये सब दर्शाता है कि अमीरी अब सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि सोच भी बन चुकी है।

रिपोर्ट का एक और दिलचस्प आंकड़ा है—जनवरी से जून 2025 के बीच करीब 7300 लग्जरी यूनिट्स लॉन्च हुई हैं। यानी डिमांड के साथ-साथ सप्लाई भी तेज़ी से बढ़ी है। और इन प्रोजेक्ट्स में केवल महंगे फर्नीचर या हाई रेट्स नहीं, बल्कि एक नया विजन नजर आता है। डेवलपर्स अब सिर्फ Home नहीं बना रहे, वे एक “लाइफस्टाइल” बना रहे हैं।

इन घरों में क्या खास है? आइए आपको बताते हैं—ऑटोमेटेड होम सिस्टम्स, प्राइवेट पूल, होम थिएटर, इन-हाउस जिम, वैली व्यू बालकनी, और हेलीपैड तक। कुछ प्रोजेक्ट्स में तो रोबोटिक सिक्योरिटी गार्ड और AI आधारित डोर एंट्री सिस्टम भी इंस्टॉल किए जा रहे हैं। यानी Home में घुसते ही आपको ऐसा लगेगा जैसे आप भविष्य में कदम रख चुके हैं।

CBRE के मैनेजिंग डायरेक्टर गौरव कुमार कहते हैं कि आज का भारतीय खरीदार बदल चुका है। वह सिर्फ चार दीवारें नहीं चाहता—उसे अनुभव चाहिए, आराम चाहिए और एक पहचान चाहिए। यही वजह है कि अब हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स, अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स और NRI इस सेगमेंट की ओर बढ़ रहे हैं। इनके लिए ये Home ‘एक्सपेंस’ नहीं, बल्कि एक ‘स्मार्ट सेफ इन्वेस्टमेंट’ है।

इस बढ़ती रुचि के पीछे एक और बड़ा कारण है—अंतरराष्ट्रीय अनिश्चितताएं और डॉलर की ताकत। जब बाहर के देशों में महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है, तो भारत जैसे स्थिर और उभरते बाजार में पैसा लगाना ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। और जब डॉलर मज़बूत होता है, तो विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए भारत में रियल एस्टेट खरीदना और भी फायदेमंद हो जाता है।

एक और बात जो गौर करने लायक है—अभी तक भारत में रियल एस्टेट को मिडल क्लास की जरूरत से जोड़ा जाता था। लेकिन अब ये सोच बदल रही है। अब रियल एस्टेट एक ‘ब्रांडिंग’ का तरीका बन गया है। आपने कौन सा प्रोजेक्ट खरीदा, कहां का व्यू है, बिल्डर कौन है, और कौन-कौन आपके पड़ोसी हैं—ये सब आपकी ‘सोशल वैल्यू’ को तय करने लगा है।

और जब एक सेक्टर समाज की मानसिकता को ही बदल दे, तो समझ लीजिए कि वो केवल रियल एस्टेट नहीं, एक कल्चर बन चुका है। भारत में लग्जरी हाउसिंग अब सिर्फ अमीरी नहीं, एक नई संस्कृति बन रही है। एक ऐसी संस्कृति जिसमें “छत” नहीं, “शान” खरीदी जाती है।

अब बड़ा सवाल—क्या ये अमीरी की दौड़ कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रहेगी? या क्या ये मार्केट कभी मिडल क्लास को भी छू पाएगा? क्या छोटे शहरों में भी इसी तरह की बस्तियाँ बसेंगी? और क्या भारत, कभी “सभी के लिए लग्जरी” वाला सपना साकार कर पाएगा?

इन सवालों का जवाब अभी भविष्य में छुपा है। लेकिन एक बात साफ है—भारत में लग्जरी हाउसिंग का यह उभार सिर्फ एक आर्थिक घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन है। और यही परिवर्तन आज हमें एक नई कहानी दे रहा है—भारत की अमीरी, अब छिपती नहीं… ये खुलेआम बिकती है, और लोग इसे बड़ी खुशी से खरीदते हैं।

Conclusion

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