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Forbes की नई रैंकिंग में भारत की धमाकेदार एंट्री! सुपरपावर बनने की ओर एक और कदम? 2025

Forbes

नमस्कार दोस्तों, क्या सच में भारत, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, टॉप 10 Global सुपरपावर देशों की सूची में जगह नहीं बना पाया? यह सवाल सिर्फ आम लोगों के मन में नहीं, बल्कि experts और analysts के बीच भी बहस का मुद्दा बन चुका है। जब Forbes जैसी प्रतिष्ठित संस्था एक सूची जारी करती है, तो उसे पूरी गंभीरता से लिया जाता है, लेकिन इस बार जो हुआ, उसने कई लोगों को चौंका दिया है।

आखिर ऐसा क्यों हुआ? भारत को टॉप 10 शक्तिशाली देशों की सूची से बाहर रखने की वजहें क्या हो सकती हैं? क्या यह एक सोची-समझी रणनीति है या फिर किसी अनदेखे कारण का नतीजा? आज हम इसी विषय पर गहराई में चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले, अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं, तो कृपया चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि हमारी हर नई वीडियो की अपडेट सबसे पहले आपको मिलती रहे। तो चलिए, बिना किसी देरी के आज की चर्चा शुरू करते हैं!

हाल ही में Forbes द्वारा जारी इस रिपोर्ट में अमेरिका, चीन, रूस, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जापान, सऊदी अरब और इजराइल को टॉप 10 देशों में शामिल किया गया है। लेकिन भारत, जो न सिर्फ तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है, बल्कि Global diplomacy में भी एक मजबूत स्थान रखता है, उसे इस सूची से बाहर कर दिया गया है। यह न केवल एक सवाल खड़ा करता है, बल्कि इससे जुड़ी तमाम संभावनाओं और कारणों पर विचार करने की जरूरत है।

भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके पास दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सेना है। भारतीय space program ने हाल ही में चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिखाया कि, भारत वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से भी किसी से पीछे नहीं है। इसके बावजूद, जब एक global power के रूप में मान्यता की बात आती है, तो भारत को टॉप 10 में जगह नहीं दी जाती। यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि Forbes ने किन मानकों के आधार पर इस सूची को तैयार किया और किन वजहों से भारत को इसमें शामिल नहीं किया।

अगर हम इस सूची को ध्यान से देखें, तो पाएंगे कि इसमें शामिल देशों का Global प्रभाव बहुत गहरा है। अमेरिका और चीन को तो स्वाभाविक रूप से सबसे ऊपर रखा गया है, क्योंकि इनका आर्थिक और सैन्य प्रभाव निर्विवाद रूप से दुनिया पर हावी है।

रूस को उसकी सैन्य ताकत और Geopolitical प्रभाव के कारण शामिल किया गया। यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी यूरोप के सबसे प्रभावशाली देश हैं, जिनका global level पर बड़ा दबदबा है। जापान और दक्षिण कोरिया भी तकनीकी और आर्थिक रूप से बेहद मजबूत हैं। सऊदी अरब का तेल क्षेत्र में प्रभुत्व और इजराइल की सैन्य एवं तकनीकी ताकत उसे इस सूची में जगह दिलाती है।

भारत के पास वह सब कुछ होते हुए भी उसे बाहर क्यों रखा गया?

experts का मानना है कि इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। सबसे पहला कारण है Global diplomacy में भारत का अपेक्षाकृत कम प्रभाव। हालांकि भारत G20 और SCO जैसी संस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, लेकिन अमेरिका, चीन और रूस की तरह इसका प्रभाव global level पर उतना मजबूत नहीं है।

इसके अलावा, भारत की सैन्य ताकत बहुत बड़ी जरूर है, लेकिन तकनीकी रूप से यह अमेरिका और चीन के स्तर तक नहीं पहुंचा है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं, जैसे बेरोजगारी, महंगाई और बुनियादी ढांचे की समस्याएं।

भारत का किसी भी सैन्य गठबंधन का हिस्सा न बनना भी एक बड़ी वजह हो सकता है। अमेरिका नाटो का नेतृत्व करता है, रूस का अपना गठबंधन है, और चीन भी अपनी कूटनीतिक चालों के जरिए प्रभाव बढ़ा रहा है। लेकिन भारत ने हमेशा गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई है, जिससे उसकी रणनीतिक शक्ति सीमित हो सकती है। इस सूची में शामिल कई देश या तो किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा हैं या फिर किसी न किसी रूप में Global balance of power में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इसके अलावा “भारत की Global स्थिति को कमजोर आंकने के पीछे एक और प्रमुख कारण इसकी बहुपक्षीय नीतियां और सतर्क कूटनीति हो सकती हैं। experts का मानना है कि भारत ने अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखा है और किसी भी एक पक्ष की ओर स्पष्ट झुकाव नहीं दिखाया है।

अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की तुलना में, जो अपनी नीतियों और सैन्य गठबंधन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय निर्णयों को प्रभावित करते हैं, भारत एक स्वतंत्र रुख अपनाने की कोशिश करता है। हालांकि यह रणनीति भारत को कई मामलों में तटस्थ और स्थिर बनाती है, लेकिन global power के रूप में इसकी पहचान को सीमित भी कर सकती है।”

क्या भारत को इस सूची में होना चाहिए था?

इस पर बहस लगातार जारी है। भारत का आर्थिक विकास 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। भारतीय बाजार दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बनने की दिशा में है। विज्ञान और तकनीक में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, और ISRO की हालिया उपलब्धियां इसका प्रमाण हैं। ऐसे में भारत को इस सूची में स्थान न मिलना कहीं न कहीं एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

Forbes की इस सूची को लेकर सोशल मीडिया और analysts के बीच भी काफी चर्चा हो रही है। कई लोग इसे पश्चिमी देशों की भारत को कमतर आंकने की एक कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ इसे Global राजनीति का एक हिस्सा बता रहे हैं। लेकिन एक बात तो साफ है कि भारत अब सिर्फ एक उभरता हुआ देश नहीं है, बल्कि एक मजबूत और प्रभावशाली राष्ट्र बन चुका है।

भविष्य में भारत की भूमिका क्या होगी और क्या इस तरह की रैंकिंग से वास्तव में कोई फर्क पड़ता है?

भारत का कूटनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है, global level पर उसकी आवाज सुनी जा रही है, और वह कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी राय रख रहा है। ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत भले ही अभी इस सूची में जगह न बना पाया हो, लेकिन आने वाले समय में इसकी Global स्थिति और भी मजबूत होगी। यह संभव है कि अगले कुछ वर्षों में भारत न केवल इस सूची में शामिल हो, बल्कि शीर्ष देशों में अपनी जगह बनाए।

लेकिन क्या यह केवल रैंकिंग की बात है, या फिर इससे भी बड़ा कुछ है? यह सवाल भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि global power केवल सूची में स्थान पाने से तय नहीं होती। यह आर्थिक, सैन्य, तकनीकी, कूटनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव का एक मिश्रण होता है। भारत इन सभी क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ रहा है, और यह सिर्फ समय की बात है जब इसे पूरी दुनिया एक सुपरपावर के रूप में मानेगी।

भारत को खुद को और कैसे मजबूत करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी किसी सूची में इसे नजरअंदाज न किया जा सके?

क्या भारत को अपनी कूटनीतिक रणनीति बदलनी होगी? क्या उसे सैन्य गठबंधन में शामिल होना चाहिए? या फिर उसे अपनी आंतरिक चुनौतियों को पहले हल करने पर ध्यान देना चाहिए? यह सभी ऐसे सवाल हैं, जिन पर विचार करने की जरूरत है।

निश्चित रूप से, Forbes की इस सूची ने एक नई बहस को जन्म दिया है। भारत को इसमें शामिल किया जाना चाहिए था या नहीं, यह एक पक्ष है। लेकिन इससे भी बड़ा मुद्दा यह है कि भारत की Global स्थिति को किस नजरिए से देखा जा रहा है। दुनिया के नजरिए को बदलने के लिए भारत को खुद को और मजबूत करना होगा, और वह दिन दूर नहीं जब भारत को न सिर्फ टॉप 10, बल्कि टॉप 5 Global सुपरपावर देशों में गिना जाएगा।

Conclusion

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