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Deficit Budget 2025: क्या है इसका फायदा? जानिए कैसे होगा विकास को बढ़ावा!

Deficit Budget

नमस्कार दोस्तों, हर साल जब वित्त मंत्री संसद में बजट पेश करते हैं, तब बड़े-बड़े अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियाँ होती हैं – “घाटा बढ़ा”, “बजट घाटे की नई सीमा”, “फिस्कल डेफिसिट चिंता का विषय”। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सरकार हर साल बजट क्यों पेश करती है और वह भी घाटे में? क्यों सरकार अपनी Income से ज्यादा खर्च करती है? और सबसे बड़ी बात – अगर बजट घाटे में रहता है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है या बुरा?

यह एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसे समझना बहुत जरूरी है। यह केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से भी जुड़ा हुआ है। जब सरकार deficit budget बनाती है, तो हमें सड़कें, अस्पताल, स्कूल और नई योजनाएँ मिलती हैं। लेकिन इसके साथ ही महंगाई, टैक्स और कर्ज भी बढ़ सकता है।

आज हम इस विषय की गहराई में उतरेंगे। हम जानेंगे कि deficit budget कैसे बनता है, इससे सरकार, आम जनता और देश की अर्थव्यवस्था को क्या असर पड़ता है, और क्यों दुनिया के बड़े-बड़े देश भी लगातार घाटे का बजट ही पेश कर रहे हैं! लेकिन यह भी जानेंगे कि कुछ देश ऐसे भी हैं जो कभी deficit budget नहीं बनाते और फिर भी आर्थिक रूप से सफल रहते हैं!

Deficit budget आखिर होता क्या है?

“deficit budget” नाम से ही समझ आता है कि यह ऐसा बजट है जिसमें खर्च ज्यादा होता है और Income कम। सरल शब्दों में कहें तो सरकार जितना कमाती है, उससे ज्यादा खर्च करती है। अब इसे एक साधारण उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि आपके पास हर महीने 50,000 रुपए की Income है, लेकिन आपका खर्च 60,000 रुपए हो जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि आपको 10,000 रुपए की कमी पड़ रही है। इसे पूरा करने के लिए या तो आप अपनी सेविंग्स से पैसा निकालेंगे या किसी से उधार लेंगे।

ठीक यही हाल सरकार का भी होता है। जब सरकार को टैक्स, सरकारी कंपनियों से Income , और अन्य स्रोतों से 10 लाख करोड़ की कमाई होती है, लेकिन उसके खर्चे 12 लाख करोड़ हो जाते हैं, तो उसे 2 लाख करोड़ की कमी पड़ती है। यही 2 लाख करोड़ का अंतर Budget Deficit कहलाता है।

सरकार इस घाटे को कैसे पूरा करती है?

पहला, सरकार बैंकों, अन्य देशों, या अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से कर्ज ले सकती है।
दूसरा, सरकार जनता से ज्यादा टैक्स वसूल करके इस घाटे को पूरा करने की कोशिश करती है। तीसरा, कभी-कभी सरकार नए नोट छापती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है। पांचवा, सरकार अपनी कंपनियों या जमीन को बेचकर घाटे को पूरा करने की कोशिश कर सकती है।

भारत सरकार हर साल deficit budget क्यों पेश करती है?

1. तेज़ आर्थिक विकास: अगर सरकार ज्यादा खर्च करती है, तो इससे Infrastructure का विकास होता है। नए पुल, सड़कें, रेलवे, और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनने से लोगों को रोजगार मिलता है और अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ती है। अगर सरकार बजट संतुलित करने के लिए इन परियोजनाओं को रोक दे, तो इससे देश का विकास धीमा हो सकता है।

2. मंदी से बचाव: जब आर्थिक संकट आता है, तब सरकार को ज्यादा खर्च करके अर्थव्यवस्था को संभालना पड़ता है। अगर सरकार ऐसा न करे, तो लोगों की नौकरियाँ जा सकती हैं, कंपनियाँ बंद हो सकती हैं, और बाजार में मंदी आ सकती है।

3. सामाजिक योजनाओं का विस्तार: भारत जैसे देश में गरीबों, किसानों, और बेरोजगारों के लिए सरकार कई योजनाएँ चलाती है। इनमें सब्सिडी, मुफ्त राशन, मनरेगा जैसी योजनाएँ शामिल हैं। अगर सरकार घाटे वाला बजट नहीं बनाएगी, तो ये योजनाएँ भी रुक सकती हैं। लेकिन, सवाल ये भी है क्या यह हमेशा ही फायदेमंद होता है?

घाटे वाले बजट के नुकसान क्या हो सकते हैं ?

1. कर्ज बढ़ता जाता है: अगर सरकार लगातार ज्यादा खर्च करती रहेगी, तो उसे बार-बार कर्ज लेना पड़ेगा। इससे देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है। सरकार को भविष्य में ब्याज चुकाने के लिए और ज्यादा पैसे जुटाने होंगे, जिससे आगे और ज्यादा टैक्स लग सकता है।

2. महंगाई बढ़ सकती है: जब सरकार ज्यादा पैसा खर्च करती है या नया पैसा छापती है, तो बाजार में ज्यादा कैश आ जाता है। इससे चीज़ों की कीमतें बढ़ जाती हैं और महंगाई बढ़ सकती है।

3. टैक्स बढ़ सकते हैं: अगर सरकार को अपने घाटे को कम करना है, तो उसे टैक्स बढ़ाने पड़ सकते हैं, जिससे जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

किन देशों का बजट हमेशा घाटे में रहता है?

आपको बता दें कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई बड़े देश लगातार deficit budget पेश करते हैं। 1. 2023 में अमेरिका का बजट 1.7 ट्रिलियन डॉलर के घाटे का था, जो उसकी GDP का 5.8% था। अमेरिका शिक्षा, स्वास्थ्य, और रक्षा क्षेत्र पर बहुत खर्च करता है।

2. जापान का बजट घाटा GDP का 6% था। इसकी वजह बुजुर्ग आबादी, सामाजिक सुरक्षा, और आर्थिक मंदी से निपटने के लिए किए गए बड़े खर्च थे।

3. ब्रिटेन में ब्रेक्ज़िट, energy crisis और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत की वजह से ब्रिटेन का घाटा 5.1% रहा।

4. ब्राजील का बजट घाटा 7% था, क्योंकि वहां सरकार ने सामाजिक योजनाओं और गरीबों की मदद के लिए बहुत ज्यादा खर्च किया।

उन देशों की, जो कभी घाटे में बजट पेश नहीं करते या बहुत कम करते हैं।

1. नॉर्वे देश के पास तेल और गैस के विशाल भंडार हैं, जिनसे उसे बहुत ज्यादा कमाई होती है। इसलिए नॉर्वे को कभी घाटे वाला बजट पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती।

2. स्विट्जरलैंड के पास टैक्स ज्यादा हैं, लेकिन लोग ईमानदारी से टैक्स चुकाते हैं। साथ ही, सरकार अपने खर्चों पर सख्त नियंत्रण रखती है।

3. सिंगापुर में सरकारी कंपनियां मुनाफे में रहती हैं, जिससे सरकार को deficit budget पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती।

4. ऑस्ट्रेलिया में कोयला और अन्य संसाधनों के Export से ऑस्ट्रेलिया को बहुत कमाई होती है, जिससे इसका बजट घाटे में नहीं जाता।

भारत भी कभी घाटे वाला बजट बनाना बंद कर सकता है?

संभावना तो है, लेकिन इसके लिए कई बड़े बदलाव करने होंगे:

1. टैक्स चोरी कम करनी होगी, जिससे सरकार को ज्यादा Revenue मिले।

2. सरकारी खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा, खासकर चुनावी वादों और सब्सिडी में।

3. निजी क्षेत्र को ज्यादा बढ़ावा देना होगा, ताकि सरकार पर आर्थिक बोझ कम पड़े।

4. Export और Production को बढ़ाना होगा, जिससे देश को ज्यादा Foreign Exchange मिले।

Conclusion

तो दोस्तों, deficit budget एक दोधारी तलवार है। यह एक ओर आर्थिक विकास और रोजगार बढ़ाने में मदद करता है, लेकिन दूसरी ओर कर्ज और महंगाई बढ़ा सकता है। दुनिया के कई बड़े देश deficit budget बनाते हैं, लेकिन कुछ देश अपनी आर्थिक नीतियों और संसाधनों की मदद से घाटे से बचते भी हैं।

क्या भारत कभी घाटे से बाहर आ सकता है? यह एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होगी, लेकिन अगर सही नीतियां बनाई जाएं, तो हम भी एक दिन बजट संतुलित कर सकते हैं! आपका इस बारे में क्या विचार है? क्या भारत को deficit budget जारी रखना चाहिए, या इसे खत्म करने के लिए कोई ठोस योजना बनानी चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं!

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